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उत्तराखंड: दिवाली पर लग सकता है झटका, विद्युत नियामक आयोग मथंन में जुटा

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Published : Oct 19, 2019, 5:53 PM IST

अगर आयोग ने यूपीसीएल के अनुसार विद्युत दरों का निर्धारण किया तो घरेलू से लेकर व्यावसायिक और औद्योगिक बिजली की दरों के दाम बढ़ जाएंगे. हालांकि, आयोग के एक्ट की बात करें तो गैस और कोयला पर आधारित विद्युत को छोड़कर, मध्य सत्र में बिजली की दरें बढ़ाने का प्रावधान नहीं है.

देहरादून

देहरादून: उत्तराखंड में बिजली उपभोक्ताओं के लिए जरूरी खबर है. प्रदेशवासियों को जल्द ही बिजली का नया झटका लगने वाला है. दीपावली के आसपास बिजली के दाम बढ़ाये जा सकते हैं. क्योंकि यूपीसीएल ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के 296 करोड़ रुपए घाटे की भरपाई को पूरा करने के लिए विद्युत नियमक आयोग से सभी श्रेणियों की विद्युत दरों में करीब 8.99 फीसदी की बढ़ोतरी की मांग की है. जिसपर उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग, यूपीसीएल की पिटीशन पर सुनवाई कर मंथन में जुट गया है.

अगर आयोग ने यूपीसीएल के अनुसार विद्युत दरों का निर्धारण किया तो घरेलू से लेकर व्यावसायिक और औद्योगिक बिजली की दरों के दाम बढ़ जाएंगे. हालांकि, आयोग के एक्ट की बात करें तो गैस और कोयला पर आधारित विद्युत को छोड़कर, मध्य सत्र में बिजली की दरें बढ़ाने का प्रावधान नहीं है. ऐसे में अब विद्युत नियमक आयोग पर निर्भर करता है कि मध्य सत्र में बिजली के दामो में बढ़ोतरी की जाएगी या नहीं. लेकिन अगर अभी बिजली के दरों में बढ़ोतरी होती है तो ये राज्य गठन के बाद ऐसा पहली बार होगा जब मध्य सत्र में बिजली के दाम बढ़ेंगे.

पढ़ें- नैनीताल HC के आदेश पर राज्य चुनाव आयोग ने जारी किये दिशा-निर्देश, सरकार को भेजा प्रस्ताव

यूपीसीएल ने वित्तीय वर्ष 2018-19 में 5,482 करोड़ रुपये की बिजली खरीदने की अनुमति ली थी, लेकिन उसे बिजली की डिमांड पूरी करने के लिए 5,875 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े. इस तरह उस पर 441 करोड़ रुपये का बोझ पड़ा. इसका बड़ा कारण ये है कि यूपीसीएल को 3.94 रुपये प्रति यूनिट बिजली खरीदने की इजाजत मिली थी, लेकिन यूपीसीएल ने 4.26 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब में बिजली खरीदी. जिसमें से 146 करोड़ की भरपाई तो हो गयी है. बाकी अभी 296 करोड़ रुपए की भरपाई करना बाकी है. जिसकी भरपाई को लेकर बिजली के दामों में इजाफा हो सकता है.

देहरादून: उत्तराखंड में बिजली उपभोक्ताओं के लिए जरूरी खबर है. प्रदेशवासियों को जल्द ही बिजली का नया झटका लगने वाला है. दीपावली के आसपास बिजली के दाम बढ़ाये जा सकते हैं. क्योंकि यूपीसीएल ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के 296 करोड़ रुपए घाटे की भरपाई को पूरा करने के लिए विद्युत नियमक आयोग से सभी श्रेणियों की विद्युत दरों में करीब 8.99 फीसदी की बढ़ोतरी की मांग की है. जिसपर उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग, यूपीसीएल की पिटीशन पर सुनवाई कर मंथन में जुट गया है.

अगर आयोग ने यूपीसीएल के अनुसार विद्युत दरों का निर्धारण किया तो घरेलू से लेकर व्यावसायिक और औद्योगिक बिजली की दरों के दाम बढ़ जाएंगे. हालांकि, आयोग के एक्ट की बात करें तो गैस और कोयला पर आधारित विद्युत को छोड़कर, मध्य सत्र में बिजली की दरें बढ़ाने का प्रावधान नहीं है. ऐसे में अब विद्युत नियमक आयोग पर निर्भर करता है कि मध्य सत्र में बिजली के दामो में बढ़ोतरी की जाएगी या नहीं. लेकिन अगर अभी बिजली के दरों में बढ़ोतरी होती है तो ये राज्य गठन के बाद ऐसा पहली बार होगा जब मध्य सत्र में बिजली के दाम बढ़ेंगे.

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यूपीसीएल ने वित्तीय वर्ष 2018-19 में 5,482 करोड़ रुपये की बिजली खरीदने की अनुमति ली थी, लेकिन उसे बिजली की डिमांड पूरी करने के लिए 5,875 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े. इस तरह उस पर 441 करोड़ रुपये का बोझ पड़ा. इसका बड़ा कारण ये है कि यूपीसीएल को 3.94 रुपये प्रति यूनिट बिजली खरीदने की इजाजत मिली थी, लेकिन यूपीसीएल ने 4.26 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब में बिजली खरीदी. जिसमें से 146 करोड़ की भरपाई तो हो गयी है. बाकी अभी 296 करोड़ रुपए की भरपाई करना बाकी है. जिसकी भरपाई को लेकर बिजली के दामों में इजाफा हो सकता है.

Intro:यूपीसीएल ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के 296 करोड़ घाटे की भरपाई करने को लेकर विद्युत नियमक आयोग से सभी श्रेणियों की विद्युत दरों में करीब 8.99 फीसदी की बढ़ोतरी की मांग की है। जिसपर उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग, यूपीसीएल की पिटीशन पर सुनवाई कर मंथन में जुट गया है। और अगर आयोग ने यूपीसीएल के अनुसार विद्युत दरों का निर्धारण किया तो घरेलू से लेकर व्यावसायिक और औद्योगिक बिजली की दरों के दाम बढ़ जाएंगे।


Body:हालांकि, आयोग के एक्ट की बात करे तो गैस और कोयला पर आधारित विद्युत को छोड़कर, मध्य सत्र में बिजली के दरें बढ़ाने का प्रावधान नही है। ऐसे में अब विद्युत नियमक आयोग पर निर्भर करता है कि मध्य सत्र में बिजली के दामो में बढ़ोतरी की जाएगी या नही। लेकिन अगर अभी बिजली के दरों में बढ़ोतरी होती है तो ये राज्य गठन के बाद ऐसा पहली बार होगा जब मध्य सत्र में बिजली के दाम बढ़ेगी। 


यूपीसीएल ने वित्तीय वर्ष 2018-19 में 5,482 करोड़ रुपये की बिजली खरीदने की अनुमति थी। लेकिन  बिजली की मांग को पूरा करने के लिए विभाग को   5,875 करोड़ रुपये के बिजली खरीदने पड़े। यही नही 3.94 रुपये प्रति यूनिट बिजली खरीदने की इजाजत थी। बावजूद इसके 4.26 रुपये प्रति यूनिट बिजली खरीदे गए। जिस वजह से करीब 441 करोड़ का बोझ बढ़ गया है। जिसमे से 146 करोड़ की भरपाई तो हो गयी है। बाकी अभी 296 करोड़ रुपये की भरपाई करना बाकी है। जिसकी भरपाई को लेकर बिजली के दामो में इजाफा हो सकता है। 




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