देहरादून: मुख्य सचिव ओम प्रकाश (Chief Secretary Om Prakash) की अध्यक्षता में कल 17 जून को चारधाम यात्रा (chardham yatra) को लेकर एक अहम बैठक होगी. इसमें चारधाम यात्रा को चरणबद्ध तरीके से संचालित करने पर विचार किया जा सकता है. उम्मीद की जा रही है कि एक जुलाई से चारधाम यात्रा (uttarakahnd chardham yatra) को शुरू किया जा सकता है. बैठक में चारधाम की गाइडलाइन (Chardham yatra Guideline) पर भी चर्चा होगी. बैठक शाम को तीन बजे सचिवालय में होगी.
अधिकारियों ने सरकार से मांगा समय
जानकारी के मुताबिक पहले राज्य सरकार 15 जून से चारधाम शुरू करने पर विचार कर रही थी. तैयारियां पूरी नहीं होने के कारण ऐसा नहीं हो सका. अधिकारियों ने सरकार से तैयारियों के लिए 15 दिन का समय मांगा था. ताकि सभी व्यवस्थाओं को मुकम्मल किया जा सके.
पुरानी एसओपी की तर्ज पर बनायी जा रही है एसओपी
चारधाम यात्रा शुरू करने से पहले शासन एसओपी (मानक संचालन प्रकिया) बनाने की तैयारी में जुट गया है. कोरोना काल को देखते हुए पिछले साल की तरह इस बार भी चारधाम यात्रा के लिए एसओपी (chardham yatra SOP) जारी की जाएगी.
मुख्य रूप से चारधाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को आरटी-पीसीआर की निगेटिव रिपोर्ट के साथ ही स्मार्ट सिटी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य होगा. इसके अतिरिक्त सरकार अभी फिलहाल चरणबद्ध तरीके से चारधाम की यात्रा को संचालित करने पर फोकस कर रही है.
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चरणबद्ध तरीके से संचालित होगी चारधाम यात्रा
- जानकारी के मुताबिक पहले चरण में एक जुलाई से 15 जुलाई तक धामों से संबंधित जिले के श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए अनुमति दी जाएगी.
- इसके बाद 15 जुलाई से प्रदेश में कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखते हुए अन्य जिलों के श्रद्धालुओं को चारोंधामों में जाने की अनुमति मिलेगी.
- यदि सब कुछ सही रहा तो 30 जुलाई के बाद अन्य राज्यों के श्रद्धालुओं को भी चारधाम की जाने के लिए छूट दी जाएगी.
श्रद्धालुओं की संख्या रहेगी सीमित
- कोरोना को देखते हुए इस बार भी चारधाम में श्रद्धालुओं की संख्या पिछले साल की तरह सीमित रखी जाएगी. ताकि चारधामों में भीड़ एकत्र न हो.
- बता दें कि पिछले साल बदरीनाथ में 1200, केदारनाथ में 800, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री में 400 श्रद्धालुओं को रोजाना दर्शन करने की अनुमति दी गई थी.
- हालांकि बाद में ये संख्या थोड़ी बढ़ाई दी गई थी. बोर्ड ने बदरीनाथ धाम में 3000, केदारनाथ में 3000, गंगोत्री में 900 और यमुनोत्री में 700 तीर्थयात्री रोजाना दर्शन करने की अनुमति दी थी.
नैनीताल हाईकोर्ट ने की रिपोर्ट तलब
आज 15 जून को नैनीताल हाईकोर्ट में चारधाम शुरू करने को लेकर सुनवाई हुई थी. हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं को लेकर 22 जून तक सरकार को शपथ पत्र पेश करने के आदेश दिए हैं. साथ ही हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा शुरू करने से पहले साइंटिफिक तरीके से व्यवस्थाओं को मुकम्मल के लिए भी कहा है.
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हाई कोर्ट ने ये भी पूछा
- अगर यात्रा शुरू होती है तो कोविड नियमों का पालन कैसे किया जाएगा.
- अगर राज्य सरकार चारधाम यात्रा कराना चाहती है तो 21 जून से पहले इस पर नीतिगत निर्णय ले ताकि यात्रा सुचारू रूप से चल सके.
- यात्रा के दौरान तीर्थ यात्रियों के लिए मेडिकल की क्या व्यवस्था रहेगी.
- चारधाम में तीर्थ-पुरोहितों की वैक्सीनेशन की क्या व्यवस्था की गई है.
- यात्रा के दौरान हाईकोर्ट के आदेश पर गठित कमेटी की जो खामियां हैं उनको सरकार कैसे दूर करेगी.
- यात्रा के दौरान सुरक्षा के क्या इंतजाम हैं.
- राज्य सरकार के द्वारा यात्रा के दौरान मुख्य मार्गों समेत चारधाम क्षेत्र को सैनिटाइज कैसे किया जाएगा.
पिछले साल की गाइडलाइन
- चारधामों में श्रद्धालु धाम क्षेत्र में यात्रा विश्राम स्थल में 1 दिन ही रुक सकेंगे.
- आपदा, सड़क बाधित, स्वास्थ्य खराब और आपातकालीन परिस्थितियों में स्थानीय प्रशासन की अनुमति से रुकने का समय बढ़ाया जा सकता है.
- राज्य के ऐसे व्यक्ति जिनको धाम क्षेत्र में अवस्थापना की मरम्मत/रखरखाव से संबंधित कार्य के लिए धाम क्षेत्र में जाना है, वह स्थानीय प्रशासन की अनुमति प्राप्त कर क्षेत्र में 1 दिन से अधिक दिन भी रह सकेंगे.
- जिन व्यक्तियों को कोविड-19 या फ्लू से संबंधित किसी प्रकार के लक्षण होंगे, वह यात्रा नहीं कर सकेंगे.
- भारत सरकार की कोविड-19 गाइडलाइन के अनुसार 65 साल से अधिक और 10 साल से कम के किसी भी व्यक्ति को चारधाम पर जाने की अनुमति नहीं मिलेगी.
- चारधाम क्षेत्र में हैंड सैनिटाइजर और मास्क का प्रयोग करने करने के साथ ही सामाजिक दूरी का पालन करना भी अनिवार्य होगा.
- रावल, धर्माधिकारी, पुजारी और श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य सुरक्षा के दृष्टिगत किसी भी धाम (मंदिर) के गर्भगृह में श्रद्धालुओं का प्रवेश वर्जित होगा.
- मंदिर में प्रवेश से पहले हाथ-पैर धोना अनिवार्य होगा. इसके साथ ही परिसर के बाहर से लाए किसी भी प्रसाद आदि को मंदिर परिसर में लाना वर्जित होगा.
- जो धाम जिस जनपद में मौजूद है, वहां प्रशासन और पुलिस धाम क्षेत्र में निर्धारित अधिकतम सीमा को सुनिश्चित कराएंगे.