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क्लाइमेट चेंज ने बदली भालुओं की जीवन शैली, 12 महीने हुए एक्टिव, पहाड़ों पर बढ़ा हमले का खतरा

उच्च हिमालय क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन भालुओं की जीवन शैली को बदल रहा है. उच्च क्षेत्र में कम बर्फबारी और बदलता मौसम चक्र भी भालुओं के व्यवहार को बदल रहा हैं. स्थिति ये है कि भालुओं ने शीतकाल में अपने सोने की आदत छोड़कर हमलों की प्रवृत्ति को बढ़ा दिया है. वन विभाग के विशेषज्ञ भी इसी बात को लेकर चिंतित दिखाई देते हैं. Uttarakhand climate

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 25, 2023, 10:12 PM IST

Updated : Nov 25, 2023, 10:48 PM IST

पहाड़ों पर बढ़ा भालुओं के हमले का खतरा

देहरादून: देश और दुनिया में जलवायु परिवर्तन के कई प्रभाव देखने को मिल रहे हैं, लेकिन उत्तराखंड के उच्च हिमालय क्षेत्र में रहने वाला एक वन्य जीव भी इसके कारण बेहद ज्यादा प्रभावित दिखाई दे रहा है. पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले भालुओं पर इसका सीधा असर पड़ रहा है और अब भालू शीत निंद्रा की प्रवृत्ति को कम करते हुए दिखाई दे रहे हैं. दरअसल भालू सर्दियां बढ़ने के साथ ही शीत निद्रा में चले जाते हैं, लेकिन उच्च क्षेत्र में बर्फबारी कम होने से भालुओं के इस व्यवहार में परिवर्तन आया है. ऐसे में उच्च हिमालय क्षेत्र स्थित गांवों में भालू सर्दियां शुरू होने के बाद घरों की तरफ रूख कर रहे हैं. हालांकि ऊंचाई वाले क्षेत्रों में लोग सर्दियों के समय घरों को बंद करते हुए निचले स्थान पर चले जाते हैं, लेकिन इसके बावजूद भी भालू बंद घरों में मौजूद अनाज को खाने के लिए यहां पहुंच रहे हैं.

उत्तराखंड वन विभाग के अधिकारी मानते हैं कि सर्दियों की शुरुआत में भालूओं के हमले बढ़ रहे हैं और यह सबसे ज्यादा चिंता की बात है. जिस समय भालूओं को शीत निद्रा में जाना चाहिए था, उस समय भालू आबादी वाले क्षेत्र की तरफ जाकर आक्रामक रुख अपना रहे हैं. वैसे भालूओं के हमले में घायल होने वाले लोगों की संख्या बाकी वन्य जीवों के लिहाज से बेहद ज्यादा होती है और इसका एक निश्चित समय रहता है, लेकिन सर्दियों के समय अब भालू ज्यादा आक्रामक हो रहे हैं और इस दौरान लोगों को भी भालूओं के हमले से बचने के लिए ज्यादा सजग होने की जरूरत बताई जा रही है.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में कभी भालू तो कभी गुलदार से लड़ गईं ये 60 साल की अम्मा और दादी, बहादुरी के किस्से जानिए

उत्तराखंड वन विभाग के वाइल्डलाइफ वार्डन डॉक्टर समीर सिन्हा ने बताया कि उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर यह देखा है कि भालूओं का व्यवहार बदल रहा है. हालांकि भालू कम देख पाते हैं, लेकिन अचानक इंसानों से आमना-सामना होने पर खतरा महसूस करते ही वह हमला भी कर देते हैं. उन्होंने कहा कि इस समय भालू के ऐसे हमले की सबसे ज्यादा संभावना है, क्योंकि भालू इस समय शिकार या भोजन की तलाश पर निकलते हैं. जिस तरह जलवायु परिवर्तन हो रहा है, उसके कारण अब भालू 12 महीने सक्रिय दिखाई दे रहे हैं.

ये भी पढ़ें: चेन्नई के वंडालूर चिड़ियाघर में अब कश्मीर के हिमालयी काले भालू का हो सकेगा दीदार

पहाड़ों पर बढ़ा भालुओं के हमले का खतरा

देहरादून: देश और दुनिया में जलवायु परिवर्तन के कई प्रभाव देखने को मिल रहे हैं, लेकिन उत्तराखंड के उच्च हिमालय क्षेत्र में रहने वाला एक वन्य जीव भी इसके कारण बेहद ज्यादा प्रभावित दिखाई दे रहा है. पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले भालुओं पर इसका सीधा असर पड़ रहा है और अब भालू शीत निंद्रा की प्रवृत्ति को कम करते हुए दिखाई दे रहे हैं. दरअसल भालू सर्दियां बढ़ने के साथ ही शीत निद्रा में चले जाते हैं, लेकिन उच्च क्षेत्र में बर्फबारी कम होने से भालुओं के इस व्यवहार में परिवर्तन आया है. ऐसे में उच्च हिमालय क्षेत्र स्थित गांवों में भालू सर्दियां शुरू होने के बाद घरों की तरफ रूख कर रहे हैं. हालांकि ऊंचाई वाले क्षेत्रों में लोग सर्दियों के समय घरों को बंद करते हुए निचले स्थान पर चले जाते हैं, लेकिन इसके बावजूद भी भालू बंद घरों में मौजूद अनाज को खाने के लिए यहां पहुंच रहे हैं.

उत्तराखंड वन विभाग के अधिकारी मानते हैं कि सर्दियों की शुरुआत में भालूओं के हमले बढ़ रहे हैं और यह सबसे ज्यादा चिंता की बात है. जिस समय भालूओं को शीत निद्रा में जाना चाहिए था, उस समय भालू आबादी वाले क्षेत्र की तरफ जाकर आक्रामक रुख अपना रहे हैं. वैसे भालूओं के हमले में घायल होने वाले लोगों की संख्या बाकी वन्य जीवों के लिहाज से बेहद ज्यादा होती है और इसका एक निश्चित समय रहता है, लेकिन सर्दियों के समय अब भालू ज्यादा आक्रामक हो रहे हैं और इस दौरान लोगों को भी भालूओं के हमले से बचने के लिए ज्यादा सजग होने की जरूरत बताई जा रही है.
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उत्तराखंड वन विभाग के वाइल्डलाइफ वार्डन डॉक्टर समीर सिन्हा ने बताया कि उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर यह देखा है कि भालूओं का व्यवहार बदल रहा है. हालांकि भालू कम देख पाते हैं, लेकिन अचानक इंसानों से आमना-सामना होने पर खतरा महसूस करते ही वह हमला भी कर देते हैं. उन्होंने कहा कि इस समय भालू के ऐसे हमले की सबसे ज्यादा संभावना है, क्योंकि भालू इस समय शिकार या भोजन की तलाश पर निकलते हैं. जिस तरह जलवायु परिवर्तन हो रहा है, उसके कारण अब भालू 12 महीने सक्रिय दिखाई दे रहे हैं.

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Last Updated : Nov 25, 2023, 10:48 PM IST
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