ETV Bharat / state

राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र से पहले IMA ने जारी किया हेल्थ मेनिफेस्टो, कही बड़ी बात - हेल्थ मेनिफेस्टो

भारतीय चिकित्सा संघ से प्रत्यक्ष और परोक्ष रुप से 5 लाख डॉक्टर इससे जुड़े हुए है.

IMA ने जारी किया हेल्थ मेनिफेस्टो
author img

By

Published : Apr 2, 2019, 2:44 PM IST

Updated : Apr 2, 2019, 3:08 PM IST

देहरादून: लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने हेल्थ मेनिफेस्टो जारी कर सभी राजनीतिक दलों से स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की मांग की है. मेनिफेस्टो में सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार करने, नीति निर्देश में बदलाव करने, चिकित्सा शिक्षा को सुव्यवस्थित करने और चिकित्सा अनुसंधान में सुधार करने के लिए कई सुझाव दिए गए हैं.

IMA ने जारी किया हेल्थ मेनिफेस्टो

पढ़ें-5 अप्रैल को देहरादून में गरजेंगे PM मोदी, सुरक्षा ऐसी की परिंदा भी नहीं मार पाएगा पर

आईएमए की उत्तराखंड शाखा के महासचिव डॉ. डीडी चौधरी ने बल्लूपुर रोड स्थित ब्लड बैंक में प्रेस क्रांफेस के दौरान कहा कि भारत में स्वास्थ्य को प्राथमिकता न मिलने की वजह से हर स्तर पर इसकी सेवाएं अपर्याप्त सिद्ध हो रही हैं. किसी भी देश के सामाजिक और आर्थिक विकास की पहचान उसकी स्वास्थ्य सेवाएं होती हैं. हमारे देश की सरकारों ने लगातार इसकी अनदेखी की है. जीडीपी का सिर्फ 1.1 फ़ीसदी ही सात सेवाओं को दिया जाता रहा है.

उन्होंने कहा कि भारतीय चिकित्सा संघ जिसमें प्रत्यक्ष रूप से तीन लाख से अधिक आधुनिक पद्धति के डॉक्टर हैं और परोक्ष रुप से 5 लाख डॉक्टर इससे जुड़े हुए है. जिसमें जूनियर डॉक्टरों का नेटवर्क, मेडिकल के विद्यार्थियों का नेटवर्क, मेडिकल एसोसिएशन संघ का महिला विंग सम्मिलित है. बावजूद इसके यहां स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी सुधार की आवश्यकता है.

पढ़ें-सांसद आदर्श गांव की जनता बोली- सूरत बदली न सीरत, इस बार 'विकास' को देंगे वोट

मेनिफेस्टो के प्रमुख बिंदु

  • स्वास्थ्य सेवा में जीडीपी का अंश 1.2 फीसदी से बढ़ाकर 5 फ़ीसदी किया जाए.
  • सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लिए सरकारी कोष से अनुदान मिले.
  • प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाए. निवारक व प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा पर ध्यान केंद्रित किया जाए.
  • सामाजिक सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के अलावा सफाई व्यवस्था, प्रचुर मात्रा में पीने का स्वच्छ पानी, पौष्टिक व स्वस्थ आहार व्यवस्था प्रदान की जाए. साथ ही सरकार खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए. इसके लिए सुरक्षित और स्वस्थ आहार नीति पर अमल किया जाए.
  • कमजोर राज्यों में अधिक से अधिक सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों की स्थापना की जाए. शुल्क के निर्धारण प्रणाली में सुधार किया जाए, ताकि निजी स्वास्थ्य महाविद्यालय आम आदमी की पहुंचे के भीतर हो.
  • अग्रिम चिकित्सा अनुसंधान को सुनिश्चित करने के लिए चिकित्सा अनुदान आयोग की घोषणा की जाए.
  • ग्रामीण व आदिवासी क्षेत्रों में एमबीबीएस चिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिए विशेष प्रोत्साहन परियोजनाओं को अमल में लाया जाए.
  • विभिन्न दवाइयों, उपकरणों, उपभोज्य प्रत्यारोपित व इमप्लांटों की कीमतों व गुणवत्ता के लिए एक दवाई एक दाम नीति की घोषणा का पालन हो.
  • चिकित्सा कर्मियों के खिलाफ हिंसा न हो इसके लिए केंद्र सरकार नेशनल हेल्थ केयर इस्टैब्लिशमेंट प्रोटेक्शन एक्ट अंडर आईपीसी की स्थापना करें.

देहरादून: लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने हेल्थ मेनिफेस्टो जारी कर सभी राजनीतिक दलों से स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की मांग की है. मेनिफेस्टो में सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार करने, नीति निर्देश में बदलाव करने, चिकित्सा शिक्षा को सुव्यवस्थित करने और चिकित्सा अनुसंधान में सुधार करने के लिए कई सुझाव दिए गए हैं.

IMA ने जारी किया हेल्थ मेनिफेस्टो

पढ़ें-5 अप्रैल को देहरादून में गरजेंगे PM मोदी, सुरक्षा ऐसी की परिंदा भी नहीं मार पाएगा पर

आईएमए की उत्तराखंड शाखा के महासचिव डॉ. डीडी चौधरी ने बल्लूपुर रोड स्थित ब्लड बैंक में प्रेस क्रांफेस के दौरान कहा कि भारत में स्वास्थ्य को प्राथमिकता न मिलने की वजह से हर स्तर पर इसकी सेवाएं अपर्याप्त सिद्ध हो रही हैं. किसी भी देश के सामाजिक और आर्थिक विकास की पहचान उसकी स्वास्थ्य सेवाएं होती हैं. हमारे देश की सरकारों ने लगातार इसकी अनदेखी की है. जीडीपी का सिर्फ 1.1 फ़ीसदी ही सात सेवाओं को दिया जाता रहा है.

उन्होंने कहा कि भारतीय चिकित्सा संघ जिसमें प्रत्यक्ष रूप से तीन लाख से अधिक आधुनिक पद्धति के डॉक्टर हैं और परोक्ष रुप से 5 लाख डॉक्टर इससे जुड़े हुए है. जिसमें जूनियर डॉक्टरों का नेटवर्क, मेडिकल के विद्यार्थियों का नेटवर्क, मेडिकल एसोसिएशन संघ का महिला विंग सम्मिलित है. बावजूद इसके यहां स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी सुधार की आवश्यकता है.

पढ़ें-सांसद आदर्श गांव की जनता बोली- सूरत बदली न सीरत, इस बार 'विकास' को देंगे वोट

मेनिफेस्टो के प्रमुख बिंदु

  • स्वास्थ्य सेवा में जीडीपी का अंश 1.2 फीसदी से बढ़ाकर 5 फ़ीसदी किया जाए.
  • सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लिए सरकारी कोष से अनुदान मिले.
  • प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाए. निवारक व प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा पर ध्यान केंद्रित किया जाए.
  • सामाजिक सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के अलावा सफाई व्यवस्था, प्रचुर मात्रा में पीने का स्वच्छ पानी, पौष्टिक व स्वस्थ आहार व्यवस्था प्रदान की जाए. साथ ही सरकार खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए. इसके लिए सुरक्षित और स्वस्थ आहार नीति पर अमल किया जाए.
  • कमजोर राज्यों में अधिक से अधिक सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों की स्थापना की जाए. शुल्क के निर्धारण प्रणाली में सुधार किया जाए, ताकि निजी स्वास्थ्य महाविद्यालय आम आदमी की पहुंचे के भीतर हो.
  • अग्रिम चिकित्सा अनुसंधान को सुनिश्चित करने के लिए चिकित्सा अनुदान आयोग की घोषणा की जाए.
  • ग्रामीण व आदिवासी क्षेत्रों में एमबीबीएस चिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिए विशेष प्रोत्साहन परियोजनाओं को अमल में लाया जाए.
  • विभिन्न दवाइयों, उपकरणों, उपभोज्य प्रत्यारोपित व इमप्लांटों की कीमतों व गुणवत्ता के लिए एक दवाई एक दाम नीति की घोषणा का पालन हो.
  • चिकित्सा कर्मियों के खिलाफ हिंसा न हो इसके लिए केंद्र सरकार नेशनल हेल्थ केयर इस्टैब्लिशमेंट प्रोटेक्शन एक्ट अंडर आईपीसी की स्थापना करें.
Intro:slug-UK-DDN-2march-ima on menifesto

भारतीय चिकित्सा संघ ने 15 बिंदुओं पर अपना मेनिफेस्टो जारी करते हुए कहा कि जो भी पार्टी चिकित्सा क्षेत्र को प्रमुख रूप से प्राथमिकता देगी उसे आईएमए के चिकित्सक अपना सहयोग देंगे।


Body:आईएमए कि उत्तराखंड शाखा के महासचिव डॉक्टर डीडी चौधरी ने बल्लूपुर रोड स्थित ब्लड बैंक में पत्रकार वार्ता करते हुए कहा कि भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र को प्राथमिकता ना मिलने की वजह से हर स्तर पर इसकी सेवाएं अपर्याप्त सिद्ध हो रही हैं, किसी भी देश के सामाजिक और आर्थिक विकास की पहचान उसकी स्वास्थ्य सेवाएं हैं पर हमारे देश की सरकारों ने लगातार इसकी अनदेखी की है तथा जीडीपी का सिर्फ 1.1 फ़ीसदी ही सात सेवाओं को दिया जाता रहा है, उन्होंने कहा कि भारतीय चिकित्सा संघ जिसमें प्रत्यक्ष रूप से तीन लाख से अधिक आधुनिक पद्धति के चिकित्सक हैं तथा परोक्ष रूप से पाँच लाख चिकित्सक इसके सदस्य हैं, जिसमें जूनियर डॉक्टरों का नेटवर्क, मेडिकल के विद्यार्थियों का नेटवर्क, मेडिकल एसोसिएशन संघ का महिला विंग सम्मिलित है, उसके बावजूद भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र को प्राथमिकता ना मिलने से स्थिति चिंतनीय है, किसी भी देश की सामाजिक और आर्थिक विकास की पहचान स्वास्थ सेवाएं होती है जबकि हमारे देश में इसकी लगातार अनदेखी की जा रही है, उन्होंने शिक्षा क्षेत्र का बजट बढ़ाए जाने चिकित्सा शिक्षा सुधार और ग्रामीण चिकित्सा को बढ़ावा दिए जाने की पहल की है
बाईट- डीडी चौधरी, महासचिव,आईएमए, उत्तराखंड शाखा


Conclusion:मेनिफेस्टो के प्रमुख बिंदु-
1-स्वास्थ्य सेवा में जीडीपी का अंश
स्वास्थ सेवा में जीडीपी में 1.2 फीसदी से बढ़ाकर 5 फ़ीसदी की की जाए।
2-सार्वभौमिक स्वास्थ्य विस्तार
सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लिए सरकारी कोष से अनुदान मिले।
3-प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा व ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाए तथा निवारक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा में ध्यान केंद्रित किया जाए।
4- स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार के लिए सामाजिक निर्धारकों में समन्वय स्थापित किया जाए।
सामाजिक सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के अलावा सफाई व्यवस्था की बेहतरी स्वच्छ पीने का पानी प्रचुर मात्रा में पौष्टिक व स्वस्थ आहार व्यवस्था प्रदान की जाए। साथी खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वालों के खिलाफ कदम उठाकर एक सुरक्षित एवं स्वस्थ आहार नीति पर अमल किया जाए।
5- चिकित्सा शिक्षा
सरकारी क्षेत्र में स्वास्थ श्रम शक्ति में कमजोर राज्यों में अधिक सरकारी क्षेत्र के चिकित्सा महाविद्यालयों की स्थापना की जाए, और शुल्क के निर्धारण प्रणाली में सुधार किया जाए ताकि निजी स्वास्थ्य महाविद्यालय जनसामान्य की आर्थिक पहुंच के भीतर हों।
6- चिकित्सक की अनुसंधान में शोध
चिकित्सकीय शिक्षा में अनुदान विभिन्न चिकित्सा महाविद्यालयों के आपसी सहयोग तथा अग्रिम चिकित्सा अनुसंधान को सुनिश्चित करने के लिए चिकित्सा अनुदान आयोग की घोषणा की जाए।
7- चिकित्सकीय श्रम शक्ति की अल्पता
ग्रामीण आदिवासी एवं परिवर्तन क्षेत्रों में एमबीबीएस चिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिए विशेष प्रोत्साहन परियोजनाओं को अमल में लाया लाया जाए।
8- आम आदमी के लिए चिकित्सकीय खर्चे में कटौती
विभिन्न दवाइयों, उपकरणों , उपभोज्य प्रत्यारोपित व इमप्लांटों की कीमतों में गुणवत्ता विनियमन तथा विभिन्न करों का पुनर्निर्धारण हो व एक दवाई एक दाम नीति की घोषणा का पालन हो।
9- चिकित्सकों के लिए सुरक्षित माहौल
चिकित्सा कर्मियों के खिलाफ हिंसा ना हो इसको सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार नेशनल हेल्थ केयर इस्टैब्लिशमेंट प्रोटेक्शन एक्ट अंडर आईपीसी की स्थापना करें।
10- स्वास्थ्य सेवा वितरण में सुधार के उपाय
स्वास्थ सेवा में बिचोलियों का सफाया तथा जनता की गाढ़ी कमाई से धन का रिसाव बंद हो और बीमा क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच हो।
11- सर्व जनों को उचित अधिकारिक व वैज्ञानिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो
समाज के वंचित वर्ग के लिए ब्रिज कोर्स करा कर चिकित्सकों का एक अलग वर्ग खड़ा करने की कोशिश से बचाव जरूरी है, क्रॉसपैथी नहीं होनी चाहिए।
12- लघु तथा मध्यम वर्ग के अस्पतालों का संरक्षण
आईटी क्षेत्र में लघु तथा माध्यमिक वर्ग के उद्योगों की तरह ही लघु तथा मध्यम वर्ग के अस्पतालों को कम दरों में भूमि की उपलब्धता तथा करो में छूट देकर उनको प्रोत्साहित किया जाए
13- उपभोक्ता संरक्षण कानून
उपभोक्ता संरक्षण कानून चिकित्सकीय व्यवसाय से हटाया जाए।
14- हित धारकों की सहभागिता
केंद्र व राज्य सरकारी नीतियों को बनाने व क्रियान्वयन में भारतीय चिकित्सा संघ की भी सहभागिता सुनिश्चित करें।
15- सामाजिक न्याय तथा बुजुर्गों की स्वास्थ्य सेवा
समाज से वंचित वर्गों तथा बुजुर्गों के लिए सुरक्षित एवं आरामदायक जीवन यापन करने के लिए ज्यादा नीतिगत पहल की आवश्यकता है ।
Last Updated : Apr 2, 2019, 3:08 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.