देहरादून: लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने हेल्थ मेनिफेस्टो जारी कर सभी राजनीतिक दलों से स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की मांग की है. मेनिफेस्टो में सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार करने, नीति निर्देश में बदलाव करने, चिकित्सा शिक्षा को सुव्यवस्थित करने और चिकित्सा अनुसंधान में सुधार करने के लिए कई सुझाव दिए गए हैं.
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आईएमए की उत्तराखंड शाखा के महासचिव डॉ. डीडी चौधरी ने बल्लूपुर रोड स्थित ब्लड बैंक में प्रेस क्रांफेस के दौरान कहा कि भारत में स्वास्थ्य को प्राथमिकता न मिलने की वजह से हर स्तर पर इसकी सेवाएं अपर्याप्त सिद्ध हो रही हैं. किसी भी देश के सामाजिक और आर्थिक विकास की पहचान उसकी स्वास्थ्य सेवाएं होती हैं. हमारे देश की सरकारों ने लगातार इसकी अनदेखी की है. जीडीपी का सिर्फ 1.1 फ़ीसदी ही सात सेवाओं को दिया जाता रहा है.
उन्होंने कहा कि भारतीय चिकित्सा संघ जिसमें प्रत्यक्ष रूप से तीन लाख से अधिक आधुनिक पद्धति के डॉक्टर हैं और परोक्ष रुप से 5 लाख डॉक्टर इससे जुड़े हुए है. जिसमें जूनियर डॉक्टरों का नेटवर्क, मेडिकल के विद्यार्थियों का नेटवर्क, मेडिकल एसोसिएशन संघ का महिला विंग सम्मिलित है. बावजूद इसके यहां स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी सुधार की आवश्यकता है.
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मेनिफेस्टो के प्रमुख बिंदु
- स्वास्थ्य सेवा में जीडीपी का अंश 1.2 फीसदी से बढ़ाकर 5 फ़ीसदी किया जाए.
- सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लिए सरकारी कोष से अनुदान मिले.
- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाए. निवारक व प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा पर ध्यान केंद्रित किया जाए.
- सामाजिक सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के अलावा सफाई व्यवस्था, प्रचुर मात्रा में पीने का स्वच्छ पानी, पौष्टिक व स्वस्थ आहार व्यवस्था प्रदान की जाए. साथ ही सरकार खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए. इसके लिए सुरक्षित और स्वस्थ आहार नीति पर अमल किया जाए.
- कमजोर राज्यों में अधिक से अधिक सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों की स्थापना की जाए. शुल्क के निर्धारण प्रणाली में सुधार किया जाए, ताकि निजी स्वास्थ्य महाविद्यालय आम आदमी की पहुंचे के भीतर हो.
- अग्रिम चिकित्सा अनुसंधान को सुनिश्चित करने के लिए चिकित्सा अनुदान आयोग की घोषणा की जाए.
- ग्रामीण व आदिवासी क्षेत्रों में एमबीबीएस चिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिए विशेष प्रोत्साहन परियोजनाओं को अमल में लाया जाए.
- विभिन्न दवाइयों, उपकरणों, उपभोज्य प्रत्यारोपित व इमप्लांटों की कीमतों व गुणवत्ता के लिए एक दवाई एक दाम नीति की घोषणा का पालन हो.
- चिकित्सा कर्मियों के खिलाफ हिंसा न हो इसके लिए केंद्र सरकार नेशनल हेल्थ केयर इस्टैब्लिशमेंट प्रोटेक्शन एक्ट अंडर आईपीसी की स्थापना करें.