देहरादून: उत्तराखंड में हमेशा से खनन कारोबार राज्य सरकार के लिए और खनन कारोबारियों के लिए सोने का अंडा देने वाला काम रहा है. खनन के काम में जितना पैसा राज्य सरकार को राजस्व के रूप में मिलता है उतना और शायद ही कही से मिलता होगा, लेकिन मार्च महीने के बाद उत्तराखंड में हाईकोर्ट ने खनन पर रोक लगा रखी है. खनन पर रोक लगने का मुख्य कारण वैसे तो जानकार मानते हैं कि राज्य सरकार ठीक से कोर्ट में पैरवी नहीं कर पाई, जिस कारण राज्य में खनन पर रोक लगी हुई है.
इस रोक के बाद जहां उत्तर प्रदेश और हिमाचल के खनन कारोबारियों की मौज आ रखी है. वहीं उत्तराखंड में भी अवैध खनन करने वाले रात के अंधेरे में दिन के उजाले में नदियों का सीना चीर कर खनन (Illegal mining in full swing in Dehradun Haridwar) कर रहे हैं. राजधानी देहरादून का विकासनगर हो या हरिद्वार का भोगपुर इलाका. यहां रात के अंधेरे में मशीनों से खनन का काम किया जा रहा है.
देहरादून में यमुना नदी से हो रहा है अवैध खनन: राजधानी देहरादून के विकास नगर में यमुना नदी में अवैध खनन (Illegal mining in Yamuna river in Vikas Nagar) हो रहा है. लेकिन मजाल है कि अवैध खनन करने वालों के खिलाफ कोई कुछ कह दे. देहरादून के विकास नगर क्षेत्र में बहने वाली यमुना नदी से अवैध खनन करने वाली सैकड़ों छोटी बड़ी गाड़ियां रोजाना राजधानी देहरादून की तरफ आ रही हैं. हैरानी की बात यह है कि जिन सड़कों पर अवैध खनन की गाड़ियां दौड़ रही हैं, उन्ही सड़कों पर पड़ने वाली चौकियां-थाने और दूसरे डिपार्टमेंट के ऑफिसर भी खामोश बैठे हैं.
विकासनगर तहसील के कुल्हाल क्षेत्र में गढ़वाल मण्डल विकास निगम द्वारा आबंटित पट्टे की आड़ में दिन के उजाला हो या फिर रात का अंधेरा अवैध खनन धड़ल्ले से हो रहा है. गढ़वाल मंडल विकास निगम द्वारा लगाए गए पट्टे क्षेत्र के लाल पिल्लरों को छोड़ उसके बाहर ट्रैक्टर ट्रॉली से खनन कर नदी किनारे जमा किया जा रहा है.
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हरिद्वार में रात के अंधेरे में खनन: ऐसा नहीं है कि राजधानी देहरादून का ही यह हाल है. उत्तराखंड में हरिद्वार भी खनन के मामले में हमेशा से चर्चाओं में रहा है. ऐसे में हरिद्वार जनपद में खनन पर रोक लगने के बाद भोगपुर और दूसरे क्षेत्रों में रात के अंधेरे में खनन किया जा रहा है. जबकि राज्य सरकार को हाईकोर्ट ने निर्देशित किया हुआ है कि गढ़वाल और कुमाऊं के किसी भी क्षेत्र में खनन जैसी प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकती.
राज्य सरकार द्वारा हाईकोर्ट में माकूल जवाब पेश करने के बाद ही खनन पर लगी रोक को हटाया जा सकता है. इसके बाद भी हरिद्वार जिले में रात के अंधेरे में खनन माफिया बड़ी-बड़ी मशीनों से खनन कर रहे हैं. यह खनन माफिया ना केवल नदियों से खनन कर रहे हैं, बल्कि खेतों में खड़े खनन सामग्री को भी धड़ाधड़ बड़ी-बड़ी गाड़ियों से खोद रहे हैं.
इस मामले पर जब हरिद्वार जिलाधिकारी विनय शंकर पांडे से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया फिलहाल इस तरह की शिकायतों पर मौके पर टीम को भेजी जा रही हैं. अभी तक टीम को ऐसा कोई भी स्थान नहीं मिला है जहां पर इस तरह की गाड़ियां या मशीनों से खनन हो रहा हो. हरिद्वार में पूरी तरह से खनन बंद है, लेकिन अगर आपके संज्ञान में यह मामला आया है तो एक बार वह फिर से इसकी जांच करवाएंगे. खनन करते हुए वीडियो बाहर आने के बाद के सवाल पर जिलाधिकारी विनय शंकर पांडेय ने कहा हो सकता है यह वीडियो पुराने हों, लेकिन जिस जगह पर यह शिकायतें आ रही हैं वहां दोबारा से टीम को वहां पर भेजकर इस पर कार्रवाई करवाएंगे.
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क्यों लगी है खनन पर रोक: उत्तराखंड में लगभग 6 महीने से अधिक का वक्त हो गया है, जब हरिद्वार और देहरादून की कई नदियों में खनन पर रोक लगाई गई है. हरिद्वार में मातृसदन की शिकायतों और कोर्ट जाने के बाद ये रोक लगी है. हाईकोर्ट ने सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए कहा था, लेकिन संतोषजनक जवाब ना मिलने से रोक नहीं हटी.
अब सवाल ये भी खड़ा होता है कि जिन नदियों से हिमाचल और यूपी जैसे राज्य खनन कर रहे हैं, वो नदिया उत्तराखंड से ही बह कर जा रही हैं. लेकिन उत्तराखंड में रोक लगी है. उत्तराखंड में रोक लगने के बाद जो देहरादून में ही लगभग 1000 से अधिक गाड़िया रोजाना हिमाचल जा रही हैं. यूपी से भी इतनी ही गाड़िया हरिद्वार और आसपास के क्षेत्रों में माल भरकर आ रही हैं. जिस कच्चे माल की रॉयल्टी उत्तराखंड में 27 रूपए प्रति कुंतल है, उसी माल की कीमत यूपी और हिमाचल में 10 से 11 रूपए है. ऐसे में दोनों राज्य में माल सस्ता भी है. ऐसे में राज्य सरकार को जहां नुकसान हो रहा है. वहीं दोनों राज्य को इसका भरपूर फायदा हो रहा है.