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IIPC की रिपोर्ट में खुलासा: बढ़ रहे हैं खुदकुशी के मामले, प्यार में नाकामी बड़ी वजह

शहर में आत्महत्या के मामले दिन पर दिन बढ़ते जा रहे हैं. इसको लेकर आईआईपीसी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 10 फीसदी आत्महत्या तनाव के कारण की जाती है. इस समस्या के निवारण में मनोचिकित्सक की भूमिका अहम हो जाती है.

देहरादून में बढ़ रहे आत्महत्या के मामले.
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Published : Jul 31, 2019, 10:46 PM IST

देहरादून: अकेलेपन और डिप्रेशन का शिकार हुए लोग आए दिन आत्महत्या कर रहे हैं. कुछ सालों से आत्महत्या एक बड़ी महामारी के तौर पर सामने आई है. लोग घरेलू व अन्य चिन्ताओं के चलते मौत को गले लगा लेते हैं. आत्महत्या करने वाले लोगों में अधिकतर युवा शामिल हैं.

देहरादून में बढ़ रहे आत्महत्या के मामले.
बता दें कि आईआईपीसी ( इंटरनेशनल इंस्टीटूट ऑफ साईकोमेट्रिक काउंसिलिंग) की एक रिपोर्ट के अनुसार खुदकुशी करने वालों में 15 से 30 साल के युवक-युवतियों की संख्या सबसे अधिक पाई गई है. वहीं सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस साल प्रदेश में अब तक 46 लोग आत्महत्या कर चुके हैं.आईआईपीसी के संस्थापक क्लीनिकल साईक्लोजिस्ट डॉ. मुकुल शर्मा बताते हैं कि युवाओं में बढ़ रहे खुदकुशी के मामलों के कई कारण हैं. जहां 10 प्रतिशत लोग तनाव की वजह से खुदकुशी कर रहे हैं. वहीं 70 प्रतिशत युवा अपने जीवन साथी से नाखुश होकर आत्महत्या का रास्ता चुनते हैं. इसके अलावा 2 प्रतिशत लोग ऐसे भी हैं जिनकी आत्महत्या के कारणों का पता नहीं लग पाता है.डॉ. मुकुल शर्मा बताते हैं कि यह खुदकुशी के वह मामले हैं जो पुलिस स्टेशन में दर्ज कराए गए हैं. उनके अनुसार खुदकुशी के आधे से ज्यादा मामले ऐसे होते हैं जो सामने नहीं आ पाते हैं. इस लिहाज से उनके मुताबिक प्रदेश में अब तक 200 से ज्यादा लोग खुदकुशी कर चुके हैं.

यह भी पढ़ें: कहीं आप और आपके बच्चे तो नहीं है 'NOMOPHOBIA' के शिकार, जानें इससे जुड़ी कुछ जानकारियां

आत्महत्या के बढ़ते मामलों पर चिंता जाहिर करते हुए वरिष्ठ स्तंभकार सुशील कुमार का कहना है कि खुदकुशी के बढ़ते मामलों पर लगाम लगाने के लिए युवाओं को यह समझना होगा कि वह अपनी पढ़ाई- लिखाई और निजी जीवन में सामंजस्य बनाए रखें. उन्होंने कहा कि इसके साथ ही खुदकुशी पर रोक लगाने के लिए परिवार जनों को भी अपना सहयोग देना होगा.

देहरादून: अकेलेपन और डिप्रेशन का शिकार हुए लोग आए दिन आत्महत्या कर रहे हैं. कुछ सालों से आत्महत्या एक बड़ी महामारी के तौर पर सामने आई है. लोग घरेलू व अन्य चिन्ताओं के चलते मौत को गले लगा लेते हैं. आत्महत्या करने वाले लोगों में अधिकतर युवा शामिल हैं.

देहरादून में बढ़ रहे आत्महत्या के मामले.
बता दें कि आईआईपीसी ( इंटरनेशनल इंस्टीटूट ऑफ साईकोमेट्रिक काउंसिलिंग) की एक रिपोर्ट के अनुसार खुदकुशी करने वालों में 15 से 30 साल के युवक-युवतियों की संख्या सबसे अधिक पाई गई है. वहीं सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस साल प्रदेश में अब तक 46 लोग आत्महत्या कर चुके हैं.आईआईपीसी के संस्थापक क्लीनिकल साईक्लोजिस्ट डॉ. मुकुल शर्मा बताते हैं कि युवाओं में बढ़ रहे खुदकुशी के मामलों के कई कारण हैं. जहां 10 प्रतिशत लोग तनाव की वजह से खुदकुशी कर रहे हैं. वहीं 70 प्रतिशत युवा अपने जीवन साथी से नाखुश होकर आत्महत्या का रास्ता चुनते हैं. इसके अलावा 2 प्रतिशत लोग ऐसे भी हैं जिनकी आत्महत्या के कारणों का पता नहीं लग पाता है.डॉ. मुकुल शर्मा बताते हैं कि यह खुदकुशी के वह मामले हैं जो पुलिस स्टेशन में दर्ज कराए गए हैं. उनके अनुसार खुदकुशी के आधे से ज्यादा मामले ऐसे होते हैं जो सामने नहीं आ पाते हैं. इस लिहाज से उनके मुताबिक प्रदेश में अब तक 200 से ज्यादा लोग खुदकुशी कर चुके हैं.

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आत्महत्या के बढ़ते मामलों पर चिंता जाहिर करते हुए वरिष्ठ स्तंभकार सुशील कुमार का कहना है कि खुदकुशी के बढ़ते मामलों पर लगाम लगाने के लिए युवाओं को यह समझना होगा कि वह अपनी पढ़ाई- लिखाई और निजी जीवन में सामंजस्य बनाए रखें. उन्होंने कहा कि इसके साथ ही खुदकुशी पर रोक लगाने के लिए परिवार जनों को भी अपना सहयोग देना होगा.

Intro:देहरादून- जिंदगी की भागदौड़ में डिप्रेशन और अकेलापन का शिकार हो कर आज दिन पर दिन लोग खुदकुशी कर मौत को गले लगा रहे हैं।

बता दें कि आईआईपीसी ( इंटरनेशनल इंस्टीटूट ऑफ साईकोमेट्रिक काउंसिलिंग) की एक रिपोर्ट के अनुसार खुदकुशी करने वालों में 15 से 30 साल के युवक-युवतियों की संख्या सबसे ज्यादा पाई गई है । वहीं सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस साल प्रदेश में अब तक 46 लोग खुदकुशी कर चुके हैं ।






Body:आईआईपीसी (IIPC) के संस्थापक क्लिनिकल साईक्लोजिस्ट डॉ0 मुकुल शर्मा बताते है कि युवाओं में बढ़ रहे खुदकुशी के मामलो के कई कारण हैं । जहां 10% लोग डिप्रेसन की वजह से खुदकुशी कर रहे हैं । वहीं 70% लोग नाकाम प्यार की वजह से खुदकुशी कर रहे हैं । इसके अलावा 2 % लोग ऐसे भी हैं जिनकी खुदकुशी के कारणों का कोई पता नही लग पाता ।

वहीं डॉ मुकुल शर्मा बताते हैं कि सरकारी आंकड़ों में प्रदेश में इस साल जून माह तक 46 लोगो ने खुदकुशी की है । लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह है कि यह खुदकुशी के वह मामले हैं जो पुलिस स्टशन में दर्ज कराए गए । उनके मुताबिक खुदकुशी के आधे से ज्यादा मामले ऐसे होते हैं जो सामने ही नही आ पाता है । इस लिहाज से उनके मुताबिक प्रदेश में अब तक 200 से ज्यादा लोग खुदकुशी कर मौत को गले लगा चुके हैं


Conclusion:वहीं खुदकुशी के बढ़ते मामलों पर चिंता जाहिर करते हुए वरिष्ठ स्तंभकार सुशील कुमार का कहना है कि यदि खुदकुशी के बढ़ते मामलों पर लगाम लगानी है तो युवाओं को यह समझाना होगा कि वह अपने काम, पढ़ाई- लिखाई और निजी जीवन में सामंजस्य बनाए रखें । इसके साथ ही खुदकुशी के मामलों पर रोक लगाने के लिए परिवार जनों को भी अपना सहयोग देना होगा । जब परिवार में खुलकर हर विषय और समस्या पर बात होगी तो अपने आप खुदकुशी के मामलों पर रोक लग सकेगी।
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