ETV Bharat / state

उत्तराखंड में धूमधाम से मनाया गया इगास-बग्वाल का त्योहार

दीपावली के ग्यारह दिन बाद मनाए जाने वाले ईगास यानि पहाड़ी दीपावली का पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है. इसी क्रम में तीर्थनगरी ऋषिकेश में चौदह बीघा क्षेत्र में इगास पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया गया.

धूमधाम से मनाया गया ईगास-बग्वाल का त्योहार
author img

By

Published : Nov 9, 2019, 1:08 PM IST

Updated : Nov 9, 2019, 1:18 PM IST

ऋषिकेश/मसूरीः उत्तराखंड लोक संस्कृति का ऐतिहासिक पर्व इगास यानि पहाड़ की दीपावली के नाम से विख्यात यह पर्व खास महत्व रखता है. लोक संस्कृति समिति द्वारा तीर्थनगरी ऋषिकेश के 14 बीघा प्रांगण में धूमधाम से मनाया गया. जिसमें सैकड़ों की संख्या में स्थानीय लोगों ने प्रतिभाग किया. वहीं मसूरी में जलते हुए भेलू को हाथों में लेकर कलाकारों ने इगास पर्व मनाया.

धूमधाम से मनाया गया इगास-बग्वाल का त्योहार

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि उत्तराखंड एक युवा प्रदेश है. जिसको बने 18 साल पूरे होने जा रहे हैं. यह अपनी संस्कृति व त्योहारों को लेकर बड़ा ही महत्व रखता है. ऐसे में उत्तराखंड की संस्कृति को बचाने के लिए जितने भी त्योहार और पर्व मनाए जाते हैं. उनको समझ कर आने वाली पीढ़ियों को बताना अत्यंत आवश्यक है.

दीपावली के ग्यारह दिन बाद मनाए जाने वाले इगास यानि पहाड़ी दीपावली का पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है. इसी क्रम में तीर्थनगरी ऋषिकेश में चौदह बीघा क्षेत्र में इगास पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया गया. जिसमें हजारों की संख्या स्थानीय लोग पहुंचे.

ये भी पढ़ेंःउत्तराखंड स्थापना दिवस: रक्षा मंत्री राजनाथ पहुंचेंगे दून, 'भारत भारती उत्सव' कार्यक्रम का करेंगे उद्घाटन

युवा, वृद्ध, महिला व बच्चा हर वर्ग के लोगों के अंदर कार्यक्रम को लेकर उत्साह देखने को मिला. गढ़वाली संगीत व नृत्य का भी कार्यक्रम हुआ. जिसमें गढ़वाल के लोकप्रिय गायक व कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी.

मसूरी में भी गढ़वाल महासभा के तत्वावधान में पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ इगास बग्वाल त्योहार को शहीद स्थल पर धूमधाम के साथ मनाया गया. इस दौरान जलते हुए भेलू को हाथों में लेकर कलाकारों के साथ पूर्व पालिकाध्यक्ष मनमोहन सिंह मल्ल और पर्यटकों ने जमकर पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुन पर नृत्य किया. साथ ही स्थानीय देवताओं की पूजा की गई.

पूर्व पालिकाध्यक्ष मनमोहन सिंह मल्ल ने बताया कि देश-विदेश से आए पर्यटकों को अपनी संस्कृति के महत्व के बारे में बताने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि भगवान रामचंद्र के वनवास से अयोध्या लौटने के बाद पहाड़ी क्षेत्रों में करीब एक माह के बाद पता चला और ग्रामीणों में खुशी की लहर दौड़ गई. जिसके स्वरूप में ग्रामीण इस दिवस को इगास बग्वाल के रूप में मनाते हैं.

ऋषिकेश/मसूरीः उत्तराखंड लोक संस्कृति का ऐतिहासिक पर्व इगास यानि पहाड़ की दीपावली के नाम से विख्यात यह पर्व खास महत्व रखता है. लोक संस्कृति समिति द्वारा तीर्थनगरी ऋषिकेश के 14 बीघा प्रांगण में धूमधाम से मनाया गया. जिसमें सैकड़ों की संख्या में स्थानीय लोगों ने प्रतिभाग किया. वहीं मसूरी में जलते हुए भेलू को हाथों में लेकर कलाकारों ने इगास पर्व मनाया.

धूमधाम से मनाया गया इगास-बग्वाल का त्योहार

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि उत्तराखंड एक युवा प्रदेश है. जिसको बने 18 साल पूरे होने जा रहे हैं. यह अपनी संस्कृति व त्योहारों को लेकर बड़ा ही महत्व रखता है. ऐसे में उत्तराखंड की संस्कृति को बचाने के लिए जितने भी त्योहार और पर्व मनाए जाते हैं. उनको समझ कर आने वाली पीढ़ियों को बताना अत्यंत आवश्यक है.

दीपावली के ग्यारह दिन बाद मनाए जाने वाले इगास यानि पहाड़ी दीपावली का पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है. इसी क्रम में तीर्थनगरी ऋषिकेश में चौदह बीघा क्षेत्र में इगास पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया गया. जिसमें हजारों की संख्या स्थानीय लोग पहुंचे.

ये भी पढ़ेंःउत्तराखंड स्थापना दिवस: रक्षा मंत्री राजनाथ पहुंचेंगे दून, 'भारत भारती उत्सव' कार्यक्रम का करेंगे उद्घाटन

युवा, वृद्ध, महिला व बच्चा हर वर्ग के लोगों के अंदर कार्यक्रम को लेकर उत्साह देखने को मिला. गढ़वाली संगीत व नृत्य का भी कार्यक्रम हुआ. जिसमें गढ़वाल के लोकप्रिय गायक व कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी.

मसूरी में भी गढ़वाल महासभा के तत्वावधान में पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ इगास बग्वाल त्योहार को शहीद स्थल पर धूमधाम के साथ मनाया गया. इस दौरान जलते हुए भेलू को हाथों में लेकर कलाकारों के साथ पूर्व पालिकाध्यक्ष मनमोहन सिंह मल्ल और पर्यटकों ने जमकर पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुन पर नृत्य किया. साथ ही स्थानीय देवताओं की पूजा की गई.

पूर्व पालिकाध्यक्ष मनमोहन सिंह मल्ल ने बताया कि देश-विदेश से आए पर्यटकों को अपनी संस्कृति के महत्व के बारे में बताने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि भगवान रामचंद्र के वनवास से अयोध्या लौटने के बाद पहाड़ी क्षेत्रों में करीब एक माह के बाद पता चला और ग्रामीणों में खुशी की लहर दौड़ गई. जिसके स्वरूप में ग्रामीण इस दिवस को इगास बग्वाल के रूप में मनाते हैं.

Intro:Feed send on FTP
Folder Name-- Igas parv

ऋषिकेश--उत्तराखंड लोक संस्कृति का ऐतिहासिक पर्व ईगास यानि पहाड़ी दीपावली के नाम से विख्यात यह पर्व उत्तराखंड में महत्व रखता है, जिसको लोक संस्कृति समिति द्वारा तीर्थनगरी ऋषिकेश के 14 बीघा प्रांगण में बड़ी धूमधाम से मनाया गया , जिसमें सैकड़ों की संख्या में स्थानीय लोगों ने प्रतिभाग किया । कार्यक्रम में पहुंचे लोगों ने लोक संस्कृति को संजोए रखने के लिए अपनी आने वाली पीढ़ी को इस पर्व की महत्ता बताई ।


Body:वी/ओ--कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उत्तराखंड के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल भी पहुंचे जिन्होंने पत्रकारों से वार्ता में बताया कि उत्तराखंड एक युवा प्रदेश है क्योंकि इसको बने 18 साल पूरे होने जा रहे हैं क्यों अपनी संस्कृति व त्योहारों को लेकर बड़े ही महत्वता रखता है ऐसे उत्तराखंड की संस्कृति को बचाने के लिए जितने भी त्योहार वपरों मनाए जाते हैं उनको समझ कर अपने आने वाले पीढ़ियों को बताना अत्यंत आवश्यक है। उत्तराखंड संस्कृति में दीपावली के 11 दिन बाद बनाए जाने इगास पर्व यानि पहाड़ी दीपावली का पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है जिसमें गांव के गांव इगास दीपावली के इस पर्व को बड़ी धूमधाम से मानते है । इसी क्रम में तीर्थनगरी ऋषिकेश में चौदह बीघा क्षेत्र में इगास पर्व बड़ी धूम - धाम से मनाया गया जिसमें हजारों की संख्या स्थानीय लोग पहुँचे जिसमें युवा , वृद्ध , महिला व बच्चा हर वर्ग का व्यक्ति के अंदर कार्यक्रम को लेकर उत्साह देखने को मिला । कार्यक्रम में गढ़वाली संगीत व नृत्य का भी कार्यक्रम रहा , जिसमें गढ़वाल के लोकप्रिय गायक व कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी व हजारों की संख्या में लोग लोक संस्कृति के इस पर्व का लाभ उठाने के लिए कार्यक्रम में पहुंचे व लाभ उठाया ।




Conclusion:वी/ओ-- उत्तराखंड के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल कार्यक्रम में पहुंचे जहां उन्होंने कहा कि त्यौहारों का एकीकरण हुआ है पहले उत्तराखंड नहीं था तो उत्तराखंड के त्यौहार खुल कर अपना स्थान नहीं ले पाते थे आज उत्तराखंड वासियों में अपने संस्कृति व त्यौहारों को लेकर उत्साह है बहुत अच्छी बात है। जहां एक तरफ हम अपने उत्तराखंड का राज्य स्थापना दिवस मनाने जा रहे है वहीं अपनी संस्कृति को बनाये रखने के लिए विरासत के इन पर्वों का पालन कर रहे है।

बाईट-- सुबोध उनियाल (कृषि मंत्री , उत्तराखंड )

Last Updated : Nov 9, 2019, 1:18 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.