देहरादून: उत्तराखंड में बर्फबारी के चलते शीतकालीन खेलों की अपार संभावानाएं हैं. प्रदेश सरकार भी कई मंचों पर उत्तराखंड को शीतकालीन खेलों का हब बनाने के दावे करती है. इन सब दावों के बीच सरकार ने करोड़ों की धनराशि खर्च कर कुछ सुविधाएं खिलाड़ियों के लिए जुटाई हैं. लेकिन उसके बाद उनके रख-रखाव के आभाव में यह सुविधाएं भी दम तोड़ती नजर आ रही हैं. इसकी बानगी देहरादून में करीब 80 करोड़ की लागत से बना आइस स्केटिंग रिंक कर रहा है. ये आइस स्केटिंग रिंक देख-रेख के आभाव में खंडहर बनता नजर आ रहा है.
दरअसल, उत्तराखंड में शीतकालीन खेलों को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में वर्ष 2011 में करीब 80 करोड़ की लागत से आइस स्केटिंग रिंक बनाया था. उसके बाद यहां साल 2011 और 2012 में ही आइस स्केटिंग प्रतियोगिता का आयोजन हो पाया. उसके बाद इस रिंक को इसके हाल पर ही छोड़ दिया गया. नतीजा आज यह खंडहर में तब्दील हो रहा है.
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आइस स्केटिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष शिव पैन्यूली का कहना है कि जिस प्रकार के इंडोर रिंक का निर्माण देहरादून में हुआ था. उस स्तर का इंडोर रिंक कहीं नहीं है. लेकिन, अनदेखी के कारण यह दम तोड़ रहा है. आज स्थिति यह है कि प्रदेश में पांच अंतरराष्ट्रीय स्तर और 30 राष्ट्रीय पदक विजेता और 45 सक्रिय खिलाड़ी हैं, लेकिन इनके लिए अपने खेल के हुनर को निखारने के लिए बना आइस स्केटिंग रिंक भी बदहाली के आंसू बहा रहा है.
बार-बार इसके मेंटेनेंस और संचालन पर सवाल उठते रहे हैं, क्योंकि इसमें आज भी आइस ट्रैक नहीं बन पाया है, जबकि पूर्व में खिलाड़ी सीमेंट से बने ट्रैक पर ही अपनी तैयारियां करते थे. अब सवाल यह उठता है कि जब राजधानी में ही शीतकालीन खेलों को बढ़ावा देने वाली सुविधाओं का यह हाल है तो प्रदेश एक दूरस्थ जिलों में क्या होगा.