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यहां भगवान श्रीराम ने किया था एक रात विश्राम, सीतामढ़ी के नाम से प्रसिद्ध है ये स्थान - सीतामढ़ी मंदिर में भगवान श्रीराम

शहडोल के सीतामढ़ी में भगवान श्रीराम ने माता- सीता और लक्ष्मण के साथ एक रात विश्राम किया था. इसीलिए इस स्थान पर आज सीतामढ़ी मंदिर स्थित है.

यहां भगवान श्रीराम ने किया था एक रात विश्राम.
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Published : Oct 25, 2019, 8:58 AM IST

शहडोल: कहते हैं कि वनवास के समय श्रीराम जहां-जहां से गुजरे, वहां की धरती पवित्र होती गई. ऐसा ही एक स्थान सीतामढ़ी मंदिर शहडोल के गंधिया गांव में स्थित है. कहा जाता है कि यहां भगवान श्रीराम ने माता सीता और लक्ष्मण के साथ एक रात विश्राम किया था. प्रभु श्रीराम उमरिया के दशरथ घाट से होते हुए शहडोल के इसी गंधिया गांव के सीतामढ़ी मंदिर में पहुंचे. यहां विश्राम करने के बाद छत्तीसगढ़ के हरचोका के लिए प्रस्थान किया.

यहां भगवान श्रीराम ने किया था एक रात विश्राम.

यहां के पुजारी पंडित विष्णु प्रसाद शुक्ला बताते हैं कि भगवान श्रीराम जब अपने वनवास में थे तो यहां से होकर गुजरे और गंधिया गांव के इसी स्थान पर उन्होंने एक रात विश्राम किया. जिसकी वजह से इसका नाम सीतामढ़ी पड़ा.
अयोध्या की एक टीम ने यहां जांच कर इस स्थान को रामवनगमन पथ के तौर पर चिन्हित किया है. जिसके बाद यहां भगवान श्रीराम की एक चरण पादुका भी लगाई गई है. भगवान श्रीराम वनवास के समय इसी रास्ते से होकर गुजरे इसके कई प्रमाण हैं.

मंदिर में माता सीता के साथ विराजे हैं श्रीराम

सीतामढ़ी मंदिर में भगवान श्रीराम के अलावा माता सीता और लक्ष्मण भी विराजे हैं, साथ ही इस परिसर में भगवान शिव भी हैं जिनके चमत्कार की कई कहानियां हैं. यहां भगवान शिव पर भी लोगों की काफी आस्था है.
मंदिर की मौजूदा स्थिति सरंक्षण के अभाव में जर्जर है, जिसे देखरेख की जरूरत है क्योंकि ये मंदिर बहुत पुराना हो चुका है. ऐसे में यह सरकार से संरक्षण की बाट जोह रहा है.

शहडोल: कहते हैं कि वनवास के समय श्रीराम जहां-जहां से गुजरे, वहां की धरती पवित्र होती गई. ऐसा ही एक स्थान सीतामढ़ी मंदिर शहडोल के गंधिया गांव में स्थित है. कहा जाता है कि यहां भगवान श्रीराम ने माता सीता और लक्ष्मण के साथ एक रात विश्राम किया था. प्रभु श्रीराम उमरिया के दशरथ घाट से होते हुए शहडोल के इसी गंधिया गांव के सीतामढ़ी मंदिर में पहुंचे. यहां विश्राम करने के बाद छत्तीसगढ़ के हरचोका के लिए प्रस्थान किया.

यहां भगवान श्रीराम ने किया था एक रात विश्राम.

यहां के पुजारी पंडित विष्णु प्रसाद शुक्ला बताते हैं कि भगवान श्रीराम जब अपने वनवास में थे तो यहां से होकर गुजरे और गंधिया गांव के इसी स्थान पर उन्होंने एक रात विश्राम किया. जिसकी वजह से इसका नाम सीतामढ़ी पड़ा.
अयोध्या की एक टीम ने यहां जांच कर इस स्थान को रामवनगमन पथ के तौर पर चिन्हित किया है. जिसके बाद यहां भगवान श्रीराम की एक चरण पादुका भी लगाई गई है. भगवान श्रीराम वनवास के समय इसी रास्ते से होकर गुजरे इसके कई प्रमाण हैं.

मंदिर में माता सीता के साथ विराजे हैं श्रीराम

सीतामढ़ी मंदिर में भगवान श्रीराम के अलावा माता सीता और लक्ष्मण भी विराजे हैं, साथ ही इस परिसर में भगवान शिव भी हैं जिनके चमत्कार की कई कहानियां हैं. यहां भगवान शिव पर भी लोगों की काफी आस्था है.
मंदिर की मौजूदा स्थिति सरंक्षण के अभाव में जर्जर है, जिसे देखरेख की जरूरत है क्योंकि ये मंदिर बहुत पुराना हो चुका है. ऐसे में यह सरकार से संरक्षण की बाट जोह रहा है.

Intro:Note_ ये स्पेशल स्टोरी है राजाराम प्रोग्राम के लिए जो असाइनमेंट ने मंगवाया है।

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इस स्लग में दो वर्जन है पहला वर्जन पुजारी का है जिसका नाम विष्णु प्रसाद शुक्ला है। और फिर दूसरा वर्जन गांव के 75 साल के बुजुर्ग का है।

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इन दोनों स्लगों में ओपनिंग और क्लोजिंग पीटूसी है।

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यहां भगवान श्रीराम ने किया था एक रात विश्राम, सीतामढ़ी के नाम से प्रसिद्ध है ये स्थान, यहां से लोगों की जुड़ी है काफी आस्था

शहडोल- कहते हैं वनवास के समय जहां जहां से गुजरे हैं श्रीराम, वहां की धरती पवित्र होती गई है, शहडोल जिले के गन्धिया गांव में भी प्रकृति की सुंदरता देखते ही बनती है। और गन्धिया गांव में स्थित है सीतामढी जो आसपास के एरिया में प्रसिद्ध है, कहा जाता है कि भगवान श्रीराम ने ग्राम पंचायत गन्धिया के इसी स्थान पर एक रात विश्राम किया था। कहा जाता है की प्रभु श्रीराम उमरिया जिले के दशरथ घाट से होते हुए शहडोल जिले के इसी गन्धिया गांव के इस स्थान में विश्राम करते हुए गुजरे थे, और यहीं से छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के हरचोका निकल गए थे।


Body:शहडोल जिला मुख्यालय से करीब 55 से 60 किलोमीटर दूर है गन्धिया गांव जहां स्थित है सीतामढ़ी, और यहां माता सीता और लक्ष्मण के साथ विराजे हैं प्रभु श्रीराम।

इस मंदिर से लोगों की बढ़ी आस्था जुड़ी हुई है, यहां लोग प्रभु श्रीराम के दर्शन करने आते हैं।

एक रात प्रभु श्रीराम ने किया था विश्राम

गन्धिया के इस सीतामढी में ऐसा कहा जाता है कि प्रभु श्रीराम ने अपने वनवास के समय एक रात विश्राम किया था, यहाँ के पुजारी पंडित विष्णु प्रसाद शुक्ला हैं जो पिछले 25 साल से इस मंदिर में भगवान श्रीराम की सेवा कर रहे हैं और इनसे पहले इनके पिता ने कई सालों तक यहां के सभी मंदिर और भगवान श्रीराम की सेवा की है।

पंडित विष्णु प्रसाद शुक्ला बताते हैं कि उनके पूर्वजो ने बताया है की भगवान श्रीराम जब अपने वनवास में थे तो यहां से होकर गुजरे और इसी गन्धिया ग्राम के इस स्थान में उन्होंने एक रात विश्राम किया जिसकी वजह से इसका नाम सीतामढ़ी पड़ा। इसके अलावा पंडित विष्णु प्रसाद कहते हैं कि अयोध्या की एक टीम भी खोज करते आई है और उसने भी इस स्थान को रामवनगमन पथ के तौर पर चिन्हित किया है। जिसके बाद यहां भगवान श्रीराम की एक चरण पादुका भी लगाई गई है। भगवान श्रीराम वनवास के समय इसी रास्ते से होकर गुजरे इसके कई प्रमाण है।

पुजारी के अलावा गन्धिया गांव के पास के ही दूसरे गांव के एक बुजुर्ग ऋषि गौतम जिनकी उम्र 75 साल है वो बताते हैं कि बचपन से उनके बुजुर्गों ने उन्हें यही बताया है कि भगवान श्रीराम अपने वनवास के समय में यहां आये हुए थे। वो भी अपने बचपन में यहां की रामलीला साधु संतों की भक्ति देखने आते थे। और भगवान के दर्शन करते चले आ रहे हैं।

मंदिर में माता सीता के साथ विराजे हैं श्रीराम

सीतामढी में स्थित मंदिर में भगवान श्रीराम के अलावा माता सीता और लक्ष्मण जी विराजे हुए हैं। हलांकि मंदिर की मौज़ूदा स्थिति सरंक्षण के अभाव में जर्जर है, जिसे देखरेख की जरूरत है। क्योंकि ये मंदिर भी बहुत पुरानी हो चुकी है।

परिसर में है कई और भगवान

सीतामढी में भगवान श्रीराम तो विराजे हुए हैं ही, साथ ही इस परिसर में भगवान शिव भी हैं जिनके चमत्कार की कई कहानियां हैं, यहां भगवान शिव पर भी लोगों की काफी आस्था है।




Conclusion:गौरतलब है कि गन्धिया का ये सीतामढी इसलिए भी प्रसिद्ध है कि भगवान श्रीराम इस रास्ते से गुजरे थे और यहां एक रात भी व्यतीत किया था, और ऐसा माना जाता है कि यहीं से भगवान श्रीराम अपने वनवास के दौरान छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के हरचोका के लिए निकल गए थे।
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