मसूरी: उत्तराखंड में धूमधाम से हरियाली तीज मनाई जा रही है. हर साल सावन माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज का पर्व मनाया जाता है. हरियाली तीज सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्वपूर्ण होता है. तीज के त्योहार में ज्यादातर महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं. इस मौके पर मसूरी के लंढौर स्थित एक होटल के सभागार में आयोजित भाजपा महिला मोर्चा हरियाली तीज कार्यक्रम में महिलाओं ने जहां जमकर नृत्य किया.
इस मौके पर नृत्य पर आधारित विभिन्न मनोरंजक प्रतियोगिताएं आयोजित की गई, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाओं ने प्रतिभाग किया. इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि मंत्री गणेश जोशी की पत्नी निर्मला जोशी ने महिलाओं को तीज की बधाई दी. इस मौके पर महिलाओं ने सावन के गीत गाते हुए बॉलीवुड गानों पर जमकर ठुमके लगाए.
हरियाली तीज का महत्व: सावन के महीने में मनाया जाने वाला हरियाली तीज का त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती के दोबारा मिलन की खुशी के रूप में मनाया जाता है. इस पर्व सुहागिन महिलाएं व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करती हैं. इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद प्राप्त होता है. हरियाली तीज के मौके पर महिलाएं श्रृंगार कर एक जगह एकत्र होकर झूला झूलती और सावन के मधुर गीत गाती हैं.
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पौराणिक मान्यता: मां पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था. वहीं, उनके मिलन के लिए भगवान राम तक ने अपने आराध्य शिव से उनके और देवी पार्वती के मिलन के लिए वरदान मांगा था. इसी तिथि को भगवान शंकर ने अपने और माता पार्वती के मिलन की कहानी सुनाई थी, तभी से महिलाएं प्रेम के इस त्योहार को मनाती हैं.
पूजन की विधि: हरियाली तीज पर घर की साफ सफाई करें. चौकी पर मंडप सजाकर मिट्टी से भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश की प्रतिमा बना कर पाटे या चौकी पर स्थापित कर दें और भगवान और माता का आह्वान करने के बाद विधिपूर्वक पूजन करें. अखंड सौभाग्य के लिए किए जाने वाले इस व्रत में मां पार्वती को सुहाग की सामग्री अर्पित की जाती है. इसमें 16 श्रृंगार की वस्तुएं मां को समर्पित होती हैं. जिसमें चूड़ी, सिंदूर, साड़ी, चुन्नी, कंगन, मेंहदी, जैसी सुहागिनों से जुड़ी चीजें होती हैं और व्रत रख कर माता पार्वती से अखंड सौभाग्य का वरदान माना जाता है.
महिलाएं खुद भी सोलह श्रृंगार करके निर्जला व्रत रखती हैं और पूरे विधि-विधान से मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं. हरियाली तीज व्रत का पूरी रात चलता है. इस दिन महिलाएं पूरी रात जागते हुए भजन कीर्तन करती हैं. कुंवारी कन्याएं भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को कर सकती हैं.
हरे रंग का है महत्व: हरियाली तीज के दिन महिलाएं सुबह घर का काम करने के बाद श्रृंगार करती हैं और निर्जला व्रत रखती हैं, साथ ही विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करके हरियाली तीज की कथा सुनती हैं. सावन मास में चारों तरफ हरियाली होने के कारण हरे रंग का इस पर्व में विशेष महत्व है. महिलाएं इस दिन हरें कपड़े, हरी चूड़ी, हरी चुनरी, हरा लहरिया पहनती हैं.