देहरादून: उत्तराखंड में दिल्ली से राष्ट्रीय स्तर के नेताओं का प्रदेश में आना जारी है. खासतौर पर भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के बड़े चेहरों का प्रदेश में आने का सिलसिला जारी. आजकल बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उत्तराखंड के दो दिवसीय दौरे पर हैं. इस दौरान वे तमाम बैठकों के जरिए कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र दे रहे हैं. उनके इस दौरे पर हरीश रावत ने तंज कसा है. हरीश रावत ने उत्तराखंड में राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के आने को राजनीति की एबीसीडी कहकर संबोधित किया है. इस घटनाक्रम को हरीश रावत विरोधी दलों की राजनीतिक समझ से जोड़ रहे है.
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा दो दिवसीय उत्तराखंड दौरे पर हैं. इससे पहले भी पार्टी के केंद्रीय मंत्रियों का प्रदेश में संगठनात्मक कार्यों के लिए आना जाना लगा रहा. चुनावी तैयारियों से जुड़ा इस तरह की राजनीतिक घटनाक्रम आम आदमी पार्टी में भी शुरू हो चुका है. यहां खुद अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया बारी-बारी कई दौरे कर चुके हैं. यूं तो राजनीतिक रूप से इन दोनों को चुनावी तैयारी के रूप में देखा जा रहा है. लेकिन हरीश रावत का इस पर अपना ही एक अलग अलग तर्क है.
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हरीश रावत विरोधी दलों के केंद्रीय नेताओं के दौरों को उत्तराखंड में विरोधी नेताओं की राजनीतिक समझ से जोड़ रहे हैं. हरीश रावत की मानें तो कांग्रेस के नेताओं को राजनीति की एबीसीडी सीखने की जरूरत नहीं है, जबकि भाजपा के केंद्रीय नेता अपने उत्तराखंड के नेताओं को राजनीतिक समझ दे रहे हैं. आम आदमी पार्टी के नेताओं को भी राजनीति सिखाने केंद्रीय नेता आ रहे हैं.
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हरीश रावत के इस तंज पर भाजपा की तरफ से भी जवाब दिया जा रहा है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता शादाब शम्स कहते हैं कि कांग्रेस में सोनिया और राहुल गांधी के अलावा किसी को नेता माना ही नहीं जाता है. हरीश रावत तो खुद राष्ट्रीय महासचिव हैं लेकिन पार्टी में न तो एकजुटता है और ना ही चुनावी तैयारियों को लेकर कोई रणनीति. उन्होंने कहा इस बार भाजपा 60 पार का नारा लेकर चली है, कांग्रेस इस बार इकाई पर ही सिमट कर रह जाएगी.