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हाईकमान के तलब करते ही ढीले पड़े हरीश रावत, बोले- ट्वीट रोजमर्रा जैसे ही हैं, BJP-आप को लगी मिर्ची - harish rawat reaction on his rebellious attitude

हाईकमान के तलब करने के बाद गुरुवार को हरीश रावत के बागी तेवर में थोड़ी नरमी दिखी. बुधवार को हरीश रावत के जिस ट्वीट ने उत्तराखंड की राजनीति में हलचल मचा दी थी, उस पर गुरुवार को हरीश रावत ने अपनी प्रतिकिया दी. हरदा ने कहा कि उनके ट्वीट से भाजपा और आप को बड़ी मिर्ची लगी है.

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हरीश रावत
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Published : Dec 23, 2021, 5:37 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 से पहले प्रदेश की राजनीति में एक ट्वीट कर हलचल मचाने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत का रुख गुरुवार को थोड़ा नरम दिखा. हरीश रावत ने बुधवार को ट्वीट कर कांग्रेस हाईकमान के खिलाफ जो बागी तेवर अपनाए थे, उस पर गुरुवार को उन्होंने एक और ट्वीट किया. इस ट्वीट में उन्होंने लिखा कि मेरा ट्वीट रोजमर्रा जैसा ही ट्वीट है, मगर आज अखबार पढ़ने के बाद लगा कि कुछ खास है. क्योंकि भाजपा और आप को मेरे ट्वीट को पढ़कर बड़ी मिर्ची लग गई है. इसलिये बड़े नमक-मिर्च लगाये हुये बयान दे रहे हैं.

दरअसल, बुधवार को हरीश रावत ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए थे. इन ट्वीट में उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस हाईकमान पर उंगली उठाई थी. वहीं हरीश रावत के मीडिया सलाहकार सुरेंद्र अग्रवाल ने उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव पर भी कई गंभीर आरोप लगाए थे. हालांकि कांग्रेस हाईकमान के खिलाफ बगावत को लेकर जब हरीश रावत से सवाल किया तो उन्होंने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया था और सिर्फ इतना कहा था कि समय आने पर सब कुछ साझा किया जाएगा. वहीं हरीश रावत के बागी तेवरों से कांग्रेस हाईकमान भी असजह दिख रही है. इसी वजह से हरीश रावत समेत उत्तराखंड कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेताओं को दिल्ली तलब किया गया है.

पढ़ें- दिल्ली में राहुल गांधी से भी मिलेगा हरीश रावत गुट, गोदियाल बोले-हरदा का दर्द बेवजह नहीं

बताया जा रहा है कि कल (24 दिसंबर) दिल्ली में हरीश रावत गुट की राहुल गांधी से मुलाकात हो सकती है. वहीं आज हरीश रावत का रुख भी कल के मुकाबले थोड़ा नरम दिखा.

हरीश रावत की बवाल वाली पोस्ट:

चुनाव रूपी समुद्र है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है, सहयोग के लिए संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है'. 'जिस समुद्र में तैरना है, जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं. मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि हरीश रावत अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिये, अब विश्राम का समय है'. चुपके से मन के एक कोने से आवाज उठ रही है, 'न दैन्यं न पलायनम. बड़ी उहापोह की स्थिति में हूं, नया साल शायद रास्ता दिखा दे. मुझे विश्वास है कि भगवान केदारनाथ जी इस स्थिति में मेरा मार्गदर्शन करेंगे. सत्ता ने वहां कई मगरमच्छ छोड़ रखे हैं, जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं. मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि हरीश रावत अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिये, अब विश्राम का समय है'.

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 से पहले प्रदेश की राजनीति में एक ट्वीट कर हलचल मचाने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत का रुख गुरुवार को थोड़ा नरम दिखा. हरीश रावत ने बुधवार को ट्वीट कर कांग्रेस हाईकमान के खिलाफ जो बागी तेवर अपनाए थे, उस पर गुरुवार को उन्होंने एक और ट्वीट किया. इस ट्वीट में उन्होंने लिखा कि मेरा ट्वीट रोजमर्रा जैसा ही ट्वीट है, मगर आज अखबार पढ़ने के बाद लगा कि कुछ खास है. क्योंकि भाजपा और आप को मेरे ट्वीट को पढ़कर बड़ी मिर्ची लग गई है. इसलिये बड़े नमक-मिर्च लगाये हुये बयान दे रहे हैं.

दरअसल, बुधवार को हरीश रावत ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए थे. इन ट्वीट में उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस हाईकमान पर उंगली उठाई थी. वहीं हरीश रावत के मीडिया सलाहकार सुरेंद्र अग्रवाल ने उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव पर भी कई गंभीर आरोप लगाए थे. हालांकि कांग्रेस हाईकमान के खिलाफ बगावत को लेकर जब हरीश रावत से सवाल किया तो उन्होंने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया था और सिर्फ इतना कहा था कि समय आने पर सब कुछ साझा किया जाएगा. वहीं हरीश रावत के बागी तेवरों से कांग्रेस हाईकमान भी असजह दिख रही है. इसी वजह से हरीश रावत समेत उत्तराखंड कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेताओं को दिल्ली तलब किया गया है.

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बताया जा रहा है कि कल (24 दिसंबर) दिल्ली में हरीश रावत गुट की राहुल गांधी से मुलाकात हो सकती है. वहीं आज हरीश रावत का रुख भी कल के मुकाबले थोड़ा नरम दिखा.

हरीश रावत की बवाल वाली पोस्ट:

चुनाव रूपी समुद्र है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है, सहयोग के लिए संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है'. 'जिस समुद्र में तैरना है, जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं. मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि हरीश रावत अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिये, अब विश्राम का समय है'. चुपके से मन के एक कोने से आवाज उठ रही है, 'न दैन्यं न पलायनम. बड़ी उहापोह की स्थिति में हूं, नया साल शायद रास्ता दिखा दे. मुझे विश्वास है कि भगवान केदारनाथ जी इस स्थिति में मेरा मार्गदर्शन करेंगे. सत्ता ने वहां कई मगरमच्छ छोड़ रखे हैं, जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं. मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि हरीश रावत अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिये, अब विश्राम का समय है'.

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