देहरादून: 9 फरवरी को राजधानी में बेरोजगारों पर हुए लाठीचार्ज मामले की जांच रिपोर्ट आ गई है. मामले में गढ़वाल कमिश्नर ने अपनी जांच रिपोर्ट में पुलिस की कार्रवाई को सही बताया है. जिसको लेकर प्रदेश में राजनीति गरम हो गई है. पूर्व सीएम हरीश रावत ने इस जांच रिपोर्ट पर ही सवालिया निशान खड़ा करते हुए इसे हास्यास्पद बताया है.
हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर पोस्ट डालते हुए लाठीचार्ज मामले में आई रिपोर्ट को प्रश्न उठाए है. हरदा ने लिखा पुलिस लाठीचार्ज और उसके पहले और बाद में घटित घटनाओं को लेकर जांच अधिकारी की रिपोर्ट पूर्णत हास्यास्पद है. जांच के आधार पर एसएसआई से लेकर के एलआईयू के छोटे अधिकारियों को स्थानांतरित करने की अनुशंसा की गई है. मतलब उन्हें घटनाक्रम के लिए किसी न किसी रूप में दोषी माना गया है.
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#पुलिस_लाठी_चार्ज और उसके पहले और बाद में घटित घटनाओं को लेकर जांच अधिकारी की रिपोर्ट पूर्णतः हास्यास्पद है। जांच के..https://t.co/xBYNQvARDM..अंतरिक्ष में विचलन कर रहे थे या पूर्णतः निष्क्रिय थे या सुषुप्त अवस्था में थे!!#uttarakhand @pushkardhami @uttarakhandcops pic.twitter.com/qMxpn9flat
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हरदा ने कहा यदि इस जांच रिपोर्ट और उसके निष्कर्ष का तथ्यात्मक विश्लेषण किया जाए तो, एक बात सुनिश्चित तौर पर कही जा सकती है कि पहले दिन, रात और दूसरे दिन भर की अराजकता के लिए कुछ ही लोग बहुत नीचे स्तर के अधिकारी ही जिम्मेदार थे. यानी कि इन अधिकारियों ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों से या तो कोई निर्देश लिया नहीं या उनके निर्देश की पूर्णत अवहेलना की है, तो इससे जाने-अनजाने में जांच अधिकारी ने यह इंगित कर दिया है कि पहले दिन की रात और दूसरे दिन, राज्य का पुलिस तंत्र पूरी तरीके से निष्प्रभावी था.
हरीश रावत ने कहा कुछ छोटे अधिकारियों को इंगित करने और उनके लिए कुछ दंड सुझाने का अर्थ यह है कि उन्होंने सारे निर्णय उस 2 दिन केवल अपने स्तर से लिए और वरिष्ठ अधिकारी या तो उस दिन कहीं और अंतरिक्ष में विचरण कर रहे थे. या पूर्णत निष्क्रिय थे या सुसुकता अवस्था में थे.