देहरादून: 'कल आएंगे, हमसे बेहतर नगमों की कलियां चुनने वाले... हमसे बेहतर कहने वाले, हमसे बेहतर सुनने वाले...' ये शब्द हरीश रावत के सोशल मीडिया पर छलके हैं. दरअसल, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत 26 जनवरी को भराड़ीसैंण में एक घंटे का उपवास रखने वाले थे. लेकिन उससे पहले ही उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर फरवरी में भराड़ीसैंण आने की बात कही है.
कल आएंगे, हमसे बेहतर नगमों की कलियां चुनने वाले, हमसे बेहतर कहने वाले, हमसे बेहतर सुनने वाले... मैं कुछ यही भाव लिए 26 जनवरी को भराड़ीसैंण जाना चाहता था मौन उपवास रखने के लिए और भराड़ीसैंण की वादियों से क्षमा चाहने के लिए. इससे पहले उत्तराखंड की संस्कृति के मायके लालकुआं के भाई-बहनों से मैं उत्तरायणी के मौके पर उत्तराखंडियत एवं उससे जुड़े सवालों पर माफी मांगने आया हूं.
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जहां तक भराड़ीसैंण की लड़ाई को आगे बढ़ा सकता था, जहां तक उत्तराखंडियत के झंडे को हम बुलंदियों की ओर लेकर के चल सकते थे. उत्तराखंडियत एवं उससे जुड़े हुए सवालों के एजेंडे को आगे बढ़ा सकते थे, हमने एक परम कर्तव्य मानकर इस पुण्य दायित्व का निर्वहन किया है. मुझे उम्मीद है कि अब वहां से आगे लेकर के चलने के लिए कुछ और लोग आगे आएंगे. साधन और शक्ति की कमी समर्पण पर भारी पड़ रही है.
हरीश रावत ने आगे लिखते हुए कहा कि क्षमा भराड़ीसैंण, क्षमा उत्तराखंडियत! अब 26 जनवरी को न सही, मैं फरवरी के पहले सप्ताह भराड़ीसैंण आऊंगा और भराड़ीसैंण एवं उत्तराखंडियत से कुछ अपने दिल के भाव और समझ को साझा करूंगा.