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राष्ट्रीय महासचिव पद से दिए इस्तीफे के बाद बोले हरदा, 'मैं पहले वाला हरीश नहीं रहा'

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Published : Jul 6, 2019, 5:00 PM IST

Updated : Jul 6, 2019, 5:29 PM IST

राष्ट्रीय महासचिव पद से हरीश रावत के इस्तीफा के बाद उत्तराखंड कांग्रेस में इस तरह की आवाज फिर से उठने लगी हैं कि पार्टी के सभी पदाधिकारियों को हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पदों से इस्तीफा देना चाहिए. इस पर रावत ने कहा कि किसी पर भी इस्तीफे का कोई दबाव नहीं है. उनके इस्तीफे की प्रतिक्रिया बहुत ही स्वाभाविक थी.

हरीश रावत

देहरादून: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत एक बार फिर चर्चाओं में हैं. इस बार सुर्खियों का कारण उनका कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा देना है. इस बारे में ईटीवी भारत संवाददाता धीरज सजवाण ने उनसे खास बातचीत की.

पूर्व सीएम हरीश रावत से खास बातचीत.

अपने इस्तीफा देने के बारे में हरीश रावत ने कहा कि जो उनके मन ने उचित समझा वो कदम उन्होंने उठाया है. राहुल गांधी उनके लिए प्रेरणा हैं. रावत ने बताया कि उन्हें उम्मीद थी कि कठिन परिस्थितियों में राहुल के साथ काम करते हुए वो कांग्रेस को फिर से पुराने स्थान पर लाएंगे, लेकिन जब राहुल गांधी ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया तो उन्हें भी स्वाभाविक तौर पर हार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए, इसलिए उन्होंने कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दिया.

पढ़ें- Budget 2019: हरदा का सरकार पर निशाना, कहा- बजट में उत्तराखंड को मिला "Will look you later on"

लोकसभा चुनाव में असम के अंदर पार्टी की जो हार हुई है. असम प्रभारी के तौर पर वो इसकी जिम्मेदारी लेते हैं. असम में पार्टी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी. हरीश रावत की मानें तो असम में कांग्रेस का वोट प्रतिशत जरूर बढ़ा है. हरीश रावत के इस्तीफा देने के बाद उत्तराखंड कांग्रेस में इस तरह की आवाज फिर से उठने लगी है कि पार्टी के सभी पदाधिकारियों को हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पदों से इस्तीफा देना चाहिए. इसपर रावत ने कहा कि किसी पर भी इस्तीफे का कोई दबाव नहीं है. उनके इस्तीफे की प्रतिक्रिया बहुत ही स्वाभाविक थी.

पढ़ें- बजट को लेकर कांग्रेस का निशाना, कहा- सरकार ने किसानों और बेरोजगारों को किया नजरअंदाज

रावत ने कहा कि उन्होंने अपनी इस्तीफा ट्विटर पर जरूर डाला, लेकिन जैसे ही उन्हें जानकारी मिली कि राहुल गांधी अब राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर नहीं हैं तभी उन्होंने अपने राष्ट्रीय महासचिव के पद से लिखित में भी इस्तीफा दे दिया. इस्तीफे के पीछे कोई राजनीतिक या फिर कोई सोची-समझी रणनीति नहीं है, उन्हें स्वाभाविक लगा और इसलिए उन्होंने इस्तीफा दिया. हरीश रावत ने कहा कि यह जरूरी नहीं कि उन्होंने इस्तीफा दिया तो अन्य लोग भी इस्तीफा दें. राज्य में ये पंचायत चुनाव का समय है और सभी को पंचायत चुनाव में कांग्रेस के लिए काम करना है. वह भी प्रदेश अध्यक्ष के साथ पंचायत चुनाव में काम करेंगे. यह अलग बात है कि अब वो कार्यकर्ता के रूप में प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में काम करेंगे.

पढ़ें- कांवड़ मेले को लेकर CM ने की बैठक, कहा- कांवड़ियों के भेष में असामाजिक तत्व बिगाड़ सकते हैं माहौल

हरीश रावत के इस्तीफे को लेकर बीजेपी नेता उनपर लगातार टिप्पणी कर रहे हैं. रावत ने कहा कि बीजेपी नेताओं को जो बेहतर लगता है वो करते हैं. उन्हें उस पर ज्यादा कुछ नहीं कहना है. वो जल्द ही राहुल गांधी से मुलाकात करेंगे और कहेंगे कि कांग्रेस ने उन्हें बहुत कुछ दिया है, वे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. लेकिन अब वो कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में काम करेंगे. अब वो बिना किसी पद के पार्टी को एकजुट करने का काम करेंगे. उनका फोकस कांग्रेस के मजूबत करने पर है.

हरीश रावत ने कहा कि हमारा मुकाबला एक सुसंगठित रेजिमेंट, पार्टी या फिर कह सकते हैं कि आरएसएस जैसे अर्धसैनिक बलों की पार्टी से है, जिससे थोड़ा नए तरीके से लड़ना होगा और कांग्रेस में बदलाव लाने पड़ेंगे. 2024 तक कांग्रेस की परिस्थितियां पूरी तरह बदल जाएंगी.

देहरादून: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत एक बार फिर चर्चाओं में हैं. इस बार सुर्खियों का कारण उनका कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा देना है. इस बारे में ईटीवी भारत संवाददाता धीरज सजवाण ने उनसे खास बातचीत की.

पूर्व सीएम हरीश रावत से खास बातचीत.

अपने इस्तीफा देने के बारे में हरीश रावत ने कहा कि जो उनके मन ने उचित समझा वो कदम उन्होंने उठाया है. राहुल गांधी उनके लिए प्रेरणा हैं. रावत ने बताया कि उन्हें उम्मीद थी कि कठिन परिस्थितियों में राहुल के साथ काम करते हुए वो कांग्रेस को फिर से पुराने स्थान पर लाएंगे, लेकिन जब राहुल गांधी ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया तो उन्हें भी स्वाभाविक तौर पर हार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए, इसलिए उन्होंने कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दिया.

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लोकसभा चुनाव में असम के अंदर पार्टी की जो हार हुई है. असम प्रभारी के तौर पर वो इसकी जिम्मेदारी लेते हैं. असम में पार्टी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी. हरीश रावत की मानें तो असम में कांग्रेस का वोट प्रतिशत जरूर बढ़ा है. हरीश रावत के इस्तीफा देने के बाद उत्तराखंड कांग्रेस में इस तरह की आवाज फिर से उठने लगी है कि पार्टी के सभी पदाधिकारियों को हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पदों से इस्तीफा देना चाहिए. इसपर रावत ने कहा कि किसी पर भी इस्तीफे का कोई दबाव नहीं है. उनके इस्तीफे की प्रतिक्रिया बहुत ही स्वाभाविक थी.

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रावत ने कहा कि उन्होंने अपनी इस्तीफा ट्विटर पर जरूर डाला, लेकिन जैसे ही उन्हें जानकारी मिली कि राहुल गांधी अब राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर नहीं हैं तभी उन्होंने अपने राष्ट्रीय महासचिव के पद से लिखित में भी इस्तीफा दे दिया. इस्तीफे के पीछे कोई राजनीतिक या फिर कोई सोची-समझी रणनीति नहीं है, उन्हें स्वाभाविक लगा और इसलिए उन्होंने इस्तीफा दिया. हरीश रावत ने कहा कि यह जरूरी नहीं कि उन्होंने इस्तीफा दिया तो अन्य लोग भी इस्तीफा दें. राज्य में ये पंचायत चुनाव का समय है और सभी को पंचायत चुनाव में कांग्रेस के लिए काम करना है. वह भी प्रदेश अध्यक्ष के साथ पंचायत चुनाव में काम करेंगे. यह अलग बात है कि अब वो कार्यकर्ता के रूप में प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में काम करेंगे.

पढ़ें- कांवड़ मेले को लेकर CM ने की बैठक, कहा- कांवड़ियों के भेष में असामाजिक तत्व बिगाड़ सकते हैं माहौल

हरीश रावत के इस्तीफे को लेकर बीजेपी नेता उनपर लगातार टिप्पणी कर रहे हैं. रावत ने कहा कि बीजेपी नेताओं को जो बेहतर लगता है वो करते हैं. उन्हें उस पर ज्यादा कुछ नहीं कहना है. वो जल्द ही राहुल गांधी से मुलाकात करेंगे और कहेंगे कि कांग्रेस ने उन्हें बहुत कुछ दिया है, वे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. लेकिन अब वो कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में काम करेंगे. अब वो बिना किसी पद के पार्टी को एकजुट करने का काम करेंगे. उनका फोकस कांग्रेस के मजूबत करने पर है.

हरीश रावत ने कहा कि हमारा मुकाबला एक सुसंगठित रेजिमेंट, पार्टी या फिर कह सकते हैं कि आरएसएस जैसे अर्धसैनिक बलों की पार्टी से है, जिससे थोड़ा नए तरीके से लड़ना होगा और कांग्रेस में बदलाव लाने पड़ेंगे. 2024 तक कांग्रेस की परिस्थितियां पूरी तरह बदल जाएंगी.

Intro:summary- उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफे के बाद तमाम घटनाक्रम को लेकर खास बातचीत। स्पेशल स्टोरी

note- इस ख़बर की फीड FTP से (uk_ddn_Harish rawat khas batcheet_1_one to one_7205800)

एंकर- उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत लोकसभा में करारी शिकस्त के बाद कुछ दिन राजनीति से दूर रहने के बाद एक बार फिर से चर्चाओं में है। इस बार चर्चा हरीश रावत के कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव के पद से इस्तीफे को लेकर है। जिसके बाद भाजपा की और से ओर उनके ही संगठन कांग्रेस की ओर से भी तमाम तरह की प्रतिक्रयाओं का दौर शुरू हो गया है। इसी पूरे घटना कर्म पर etv संवाददाता धीरज सजवाण ने खास बातचीत की पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से ओर जाना पूरा घटनाक्रम


Body:हार की जिम्मेदारी लेते हुए दिया इस्तीफा- हरीश रावत-----

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कांग्रेस राष्टीय महासचिव पद से इस्तीफे के सिलसिले में कहा कि जो उनके अंतरात्मा की आवाज ने जो कहा वहीं उन्होंने किया है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी हमारे लिए प्रेरणा स्रोत है और कठिन परिस्थितियों में उनके साथ काम करते हुए हमें उम्मीद थी कि हम पार्टी को फिर से अपने पुराने स्थान पर लेकर आएंगे लेकिन राहुल गांधी ने जब इस्तीफा दिया और हार की जिम्मेदारी ली तो मुझे यह स्वभाविक लगा कि अब हमें भी अपनी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। हरीश रावत ने लोकसभा चुनावों में प्रभारी के तौर पर आसाम में हुई हार की भी जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि वहां पर भी पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। पहले भी तीन सीट थी और इस लोकसभा में भी तीन ही सीट जीत कर आए हैं। हालांकि वोट पर्सेंट जरूर थोड़ा बड़ा है।

मेने इस्तीफा दिया तो जरूरी नही सब इस्तीफा दें, पंचायत चुनाव में एक कार्यकर्ता के तौर पर करूंगा काम------

हरीश रावत के इस्तीफे के बाद प्रदेश के अन्य कांग्रेस पदाधिकारियों पर दबाव इस्तीफे के दवाब के सवाल पर हरीश रावत ने कहा कि किसी पर भी कोई दबाव नहीं है। मेरे इस्तीफे की प्रतिक्रिया बहुत ही स्वाभाविक थी। हरीश रावत ने कहा कि मैंने ट्विटर पर इस्तीफा जरूर डाला लेकिन इससे पहले जैसे ही जानकारी मिली कि राहुल गांधी अब राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर नहीं है तो वैसे ही उन्होंने अपने राष्ट्रीय महासचिव के पद से भी लिखित में इस्तीफा दे दिया था। हरीश रावत ने कहा कि उनके इस्तीफे के पीछे कोई राजनीतिक या फिर कोई सोची-समझी रणनीति नहीं है। उन्हें स्वभाविक लगा और इसलिए उन्होंने इस्तीफा दे दिया। हरीश रावत ने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि उन्होंने इस्तीफा दिया है तो अन्य लोग भी इस्तीफा दें। उन्होंने कहा कि राज्य में इस वक्त पंचायती चुनाव है और हम सभी को पंचायत चुनाव में कांग्रेस के लिए काम करना है। उन्होंने कहा कि वह भी अध्यक्ष के साथ पंचायत चुनाव के लिए काम करेंगे वह बात अलग है कि वह एक कार्यकर्ता के रूप में प्रदेश अध्यक्ष के अंतर्गत काम करेंगे।

भाजपा जो मरजी कहती रहे, हमारा फोकस अभी कांग्रेस को मजबूत करना, 2024 तक बदल देंगे परिस्थिती-----

हरीश रावत के इस्तीफे पर बीजेपी द्वारा लगातार की जा रही टीका टिप्पणी का जवाब देते हुए हरीश रावत ने कहा कि भाजपा को जो बेहतर लग रहा है वो करती रहे मै उस पर कुछ ज्यादा नहीं कहूंगा लेकिन इतना जरूर है कि मैं राहुल गांधी से मुलाकात करूंगा और कहूंगा कि कांग्रेस ने मुझे बहुत कुछ दिया है यहां तक कि पूर्व मुख्यमंत्री भी मैं रह चुका हूं लेकिन अब कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में काम करेंगे और अब बिना किसी पद पर रहते हुए पार्टी को एकजुट करने का काम करेंगे। हरीश रावत ने कहा कि भाजपा कांग्रेस और मेरे बारे में क्या कह रही है हम इस समय इस बात पर ध्यान नहीं दे रहे हैं हमारा फोकस इस वक्त कांग्रेस को एक बार फिर से खड़ा करना है और नई चुनौतियों के अनुसार कांग्रेस को एकजुट करना है। हरीश रावत ने कहा कि हमारा मुकाबला एक सू संगठित रेजिमेंटेड पार्टी या फिर कह सकते हैं की आरएसएस जैसे अर्धसैनिक बलों की पार्टी से हमारा मुकाबला है। और इस मुकाबले में हमें थोड़ा नए तौर तरीकों के साथ आना होगा। कांग्रेस में बदलाव लाने पड़ेंगे। हरीश रावत ने भाजपा को नसीहत दी है कि वह परेशान ना हो और कांग्रेस उन्हें नहीं छोड़ने वाली है और 2024 तक कांग्रेस परिस्थितियों को पूरी तरह से बदल देगी।


उत्तराखंड के लोगों ने मुझे नकार दिया है, लेकिन नही मानूंगा हार, कार्यकर्ता के रूप में रहूंगा सक्रिय----

उत्तराखंड के लोगों को संबोधित करते हुए हरीश रावत ने कहा कि उत्तराखंड के लोगों ने प्रदेश की बागडोर भाजपा में त्रिवेंद्र सिंह रावत के हाथों में दी है। और केंद्र में मोदी जी के हाथों में दी है। लेकिन ऐसा लग नहीं रहा है कि इन दोनों के एजेंडे में उत्तराखंड का विकास शामिल है। इस बार के बजट से तो उत्तराखंड को निराश होना पड़ा है। और इसलिए जब समय आएगा तो हम उत्तराखंड को उचित सलाह देंगे और अपनी बात कहेंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपने सभी समर्थकों को संबोधित करते हुए स्पष्ट किया है कि उन्होंने कांग्रेस में राष्ट्रीय महासचिव के पद से इस्तीफा दिया है ना कि कांग्रेस की सदस्यता से। उन्होंने कहा कि हरीश रावत जब तक जिंदा है उनकी रगों में कांग्रेस का खून बहेगा।
सियासत में लगातार सक्रिय रहने वाले हरीश रावत ने बताया कि उनकी सक्रियता के लिए कांग्रेस पार्टी से उन्हें प्रेरणा मिली है। उन्होंने कहा कि जब वह 2017 में हारे थे तो उन्होंने विचार किया कि एक बार और जनता को अपनी बात समझाने की कोशिश करनी होगी। लेकिन अब जब 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें जनादेश नहीं मिला तो उन्होंने 1 मिनट भी यह सोचने में देरी नहीं करी कि वह जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे हैं। और उसके बाद उन्होंने राजनीति से खुद को अलग कर लिया। लेकिन अब जब उन्होंने देखा कि वह पार्टी जिस पार्टी ने उन्हें शुरुआत से लेकर अब तक बहुत कुछ दिया है वह पार्टी मुश्किल के दौर में है, तो वह एक बार फिर से पार्टी की मजबूती के लिए मैदान में है और आगे आने वाले समय में परिस्थितियों के हिसाब से निर्णय लेंगे।

वन टू वन हरीश रावत




Conclusion:
Last Updated : Jul 6, 2019, 5:29 PM IST
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