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लॉकडाउनः हरदा ने जताई रोजगार की चिंता, खुद को बताया गर्म आलू, जानिए क्यों

कोरोना महामारी की वजह से लॉकडाउन के बीच अन्य राज्यों में काम करने वाले उत्तराखंड के मजदूर अपने अपने घर को लौट गए हैं, लेकिन सबसे बड़ी समस्या यहा है कि जब लॉकडाउन खुलेगा तो इनके सामने रोजगार का संकट रहेगा. जिसको लेकर उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने चिंता जताई है.

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हरीश रावत को रोजगार की चिंता
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Published : Apr 9, 2020, 8:20 PM IST

देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने लॉकडाउन के दौरान अपने गांव वापस पहाड़ आए युवाओं के रोजगार को लेकर चिंता जताई है. हरीश रावत का कहना है कि अपना कार्य स्थल छोड़कर वापस गावों की ओर आए बच्चों के लिए लॉकडाउन खुलने के बाद उनके लिए रोजगार के अवसर तलाशने होंगे.

हरीश रावत का कहना है कि आज उन्हें उन बच्चों की याद आ रही है, जो अपना काम छोड़कर गांवों की ओर वापस आ गए हैं. उन्हें इस बात की फिक्र है कि लॉकडाउन के बाद आखिर कितने बच्चों को वापस काम मिल पाएगा? पहले से ही उत्तराखंड सर्वाधिक बेरोजगारी से त्रस्त है. मार्च में लॉकडाउन से पहले 19 से 20 प्रतिशत जो राज्य सर्वाधिक बेरोजगारी वाले थे, उनमें उत्तराखंड भी शामिल था.

हरीश रावत को रोजगार की चिंता

इसके बाद अब परिस्थितियां और भी बिगड़ जाएंगी. क्योंकि राज्य में अभी जो उद्योग हैं, उसको लेकर भी संदेह की स्थिति है. उन्होंने कहा कि यूं तो उत्तराखंड में लोग उन्हें गर्म आलू जैसा समझने लगे हैं. जिसमें उनके दोस्त भी शामिल हैं. ऐसे में उनका मानना है कि अभी से ही रोजगार सृजन पर विमर्श प्रारंभ कर देना चाहिए. यह देखना चाहिए कि कैसे हम अपने परंपरागत क्षेत्र जैसे खेती, जंगल, प्रकृति, एडवेंचर, टूरिज्म, गांव के होमस्टे में रोजगार तलाश सकते हैं.

ये भी पढ़े: मंडियों पर लगा 'लॉकडाउन' का ग्रहण, सड़कों पर फेंकी जा रही सब्जियां

हरीश रावत का कहना है कि हमको अपनी संस्कृति, खानपान, जड़ी बूटियों में रोजगार के अवसर तलाशने होंगे. मेरा मानना है कि कभी-कभी आवश्यकता आविष्कार की जननी बन जाती है. ऐसे में बहुत सारे ऐसे कदम थे, जिन्हें सामान्य स्थितियों में हम नहीं उठा पाए. जब लॉकडाउन हटेगा उस समय हमें पुनः अपनी परंपरागत क्षेत्रों, जिसमें वस्त्र, शिल्प, आभूषण इत्यादि शामिल हैं. उनमे रोजगार के अवसर खोजने होंगे. यह विमर्श इस दौरान प्रारंभ हो सके तो उन रास्तों पर चलकर रोजगार के अवसर प्रदान किए जा सकते हैं.

दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने लॉकडाउन में अन्य राज्यों से वापस अपने गांव की ओर लौटे युवाओं के रोजगार को लेकर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने लॉकडाउन खुलने के बाद परंपरागत क्षेत्रों में रोजगार के अवसर तलाशने पर जोर दिया है.

देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने लॉकडाउन के दौरान अपने गांव वापस पहाड़ आए युवाओं के रोजगार को लेकर चिंता जताई है. हरीश रावत का कहना है कि अपना कार्य स्थल छोड़कर वापस गावों की ओर आए बच्चों के लिए लॉकडाउन खुलने के बाद उनके लिए रोजगार के अवसर तलाशने होंगे.

हरीश रावत का कहना है कि आज उन्हें उन बच्चों की याद आ रही है, जो अपना काम छोड़कर गांवों की ओर वापस आ गए हैं. उन्हें इस बात की फिक्र है कि लॉकडाउन के बाद आखिर कितने बच्चों को वापस काम मिल पाएगा? पहले से ही उत्तराखंड सर्वाधिक बेरोजगारी से त्रस्त है. मार्च में लॉकडाउन से पहले 19 से 20 प्रतिशत जो राज्य सर्वाधिक बेरोजगारी वाले थे, उनमें उत्तराखंड भी शामिल था.

हरीश रावत को रोजगार की चिंता

इसके बाद अब परिस्थितियां और भी बिगड़ जाएंगी. क्योंकि राज्य में अभी जो उद्योग हैं, उसको लेकर भी संदेह की स्थिति है. उन्होंने कहा कि यूं तो उत्तराखंड में लोग उन्हें गर्म आलू जैसा समझने लगे हैं. जिसमें उनके दोस्त भी शामिल हैं. ऐसे में उनका मानना है कि अभी से ही रोजगार सृजन पर विमर्श प्रारंभ कर देना चाहिए. यह देखना चाहिए कि कैसे हम अपने परंपरागत क्षेत्र जैसे खेती, जंगल, प्रकृति, एडवेंचर, टूरिज्म, गांव के होमस्टे में रोजगार तलाश सकते हैं.

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हरीश रावत का कहना है कि हमको अपनी संस्कृति, खानपान, जड़ी बूटियों में रोजगार के अवसर तलाशने होंगे. मेरा मानना है कि कभी-कभी आवश्यकता आविष्कार की जननी बन जाती है. ऐसे में बहुत सारे ऐसे कदम थे, जिन्हें सामान्य स्थितियों में हम नहीं उठा पाए. जब लॉकडाउन हटेगा उस समय हमें पुनः अपनी परंपरागत क्षेत्रों, जिसमें वस्त्र, शिल्प, आभूषण इत्यादि शामिल हैं. उनमे रोजगार के अवसर खोजने होंगे. यह विमर्श इस दौरान प्रारंभ हो सके तो उन रास्तों पर चलकर रोजगार के अवसर प्रदान किए जा सकते हैं.

दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने लॉकडाउन में अन्य राज्यों से वापस अपने गांव की ओर लौटे युवाओं के रोजगार को लेकर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने लॉकडाउन खुलने के बाद परंपरागत क्षेत्रों में रोजगार के अवसर तलाशने पर जोर दिया है.

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