देहरादून: राजनेताओं का मन कब बदल जाए कुछ कहा नहीं जा सकता. इसका उदाहरण उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बखूबी पेश किया है. उत्तराखंड में 10 मार्च को विधानसभा चुनाव के नजीते आने आने हैं. उससे पहले ही हरीश रावत का बन बदल गया है. ऐसा लगता है कि अब उनका दलित मोह भंग हो गया है.
दरअसल, उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में 14 फरवरी को 65.37 प्रतिशत मतदान हुआ है. 10 मार्च को नतीजे आने हैं. ऐसा लग रहा है कि नतीजों से पहले ही कांग्रेस के कद्दावर नेता हरीश रावत को जीत की सुगंध लग गई है. जीत की सुंगध ऐसी कि गंगा मइया की कसम पर भी भारी पड़ गई है.
14 फरवरी को मतदान संपन्न होने के एक दिन बाद यानी 15 फरवरी को हरीश रावत ने सबसे पहले 'ईटीवी भारत' को इंटरव्यू दिया, जिसमें सीएम बनने का राग अलापा है. हरीश रावत ने कहा है कि हम (कांग्रेस) 48 सीटें जीतेंगे और उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार बनेगी. उसके बाद उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि या तो वो सीएम बनेंगे या घर बैठेंगे, क्योंकि उनको अपने हिसाब से उत्तराखंड को आगे बढ़ाना है.
हरदा का दलित मोह 'भंग': ऐसा हम नहीं कर रहे, ये बात हरीश रावत खुद साफ कर रहे हैं. दरअसल, पिछले साल 21 सितंबर को हरीश रावत ने हल्द्वानी की एक जनसभा में कहा था कि वो अपने जीते जी उत्तराखंड में एक बार दलित को मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं. लेकिन 14 फरवरी को संपन्न हुए मतदान के बाद हरीश रावत का मन बदल गया लगता है.
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कौन हैं हरीश रावत: हरीश रावत का जन्म 27 अप्रैल 1947 को अलमोड़ा जिले के मोहनरी में एक राजपूत परिवार में हुआ था. हरीश रावत के पिता का नाम राजेंद्र सिंह और माता का नाम देवकी देवी है. हरीश रावत ने उत्तराखंड से अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त की. उसके बाद उन्होंने यूपी के लखनऊ विश्वविद्यालय में बीए और एलएलबी की उपाधि प्राप्त की.
हरीश रावत का विवाह रेणुका रावत से हुआ. हरीश रावत के दो बच्चे हैं. बेटा आनंद सिंह रावत भी राजनीति से जुड़ा है, जबकि बेटी अनुपमा रावत सॉफ्टवेयर के क्षेत्र से हैं. अनुपमा रावत हरिद्वार ग्रामीण सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं.
राजनीतिक जीवन: व्यावसायिक तौर पर हरीश रावत कृषि से जुड़े होने के साथ-साथ सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं. श्रमिक संघ से भी संबद्ध रहे हैं. विद्यार्थी जीवन में ही उन्होंने भारतीय युवक कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली. साल 1973 में कांग्रेस की जिला युवा इकाई के प्रमुख चुने जाने वाले वे सबसे कम उम्र के युवा थे.
हरीश रावत उत्तराखंड के कद्दावर नेताओं में शुमार हैं. हरीश रावत ऐसे राजनीतिज्ञ माने जाते हैं, जो अपने प्रतिद्वंदियों से मात खाने के बाद हर बार और मजबूत होकर उभरे हैं. केंद्र में कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी संभालने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे हैं.