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कर्मकार कल्याण बोर्ड से जुड़े विवाद नहीं छोड़ रहे हरक सिंह रावत का पीछा, अब ये नया मामला आया सामने

हरक सिंह रावत अब कर्मकार कल्याण बोर्ड के कार्यालय को लेकर नए मामले में घिरते नजर आ रहे हैं. कार्यालय के भवन किराए से लेकर एग्रीमेंट तक में पाई गई गड़बड़ियों को लेकर जांच की जा रही है.

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कर्मकार कल्याण बोर्ड और विवाद नहीं छोड़ रहे हरक सिंह रावत का पीछा
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Published : Nov 25, 2020, 10:53 PM IST

Updated : Nov 26, 2020, 12:08 PM IST

देहरादून: कर्मकार कल्याण बोर्ड में नियमों के खिलाफ दमयंती रावत को नियुक्ति देने वाले मंत्री हरक सिंह अब नए विवाद में फंसते दिख रहे हैं. ये नया विवाद बोर्ड के देहरादून कार्यालय से जुड़ा है. मजेदार बात ये है कि किराए का ये भवन किसी और का नहीं बल्कि कांग्रेस नेत्री लक्ष्मी राणा का है. वे रुद्रप्रयाग से पूर्व में जिला पंचायत अध्यक्ष रहने के साथ ही कांग्रेस के टिकट पर विधायक का चुनाव भी लड़ी हैं. मंत्री हरक सिंह रावत के कांग्रेस में रहने के दौरान लक्ष्मी राणा को उनका समर्थक और करीबी माना जाता था.

कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत श्रम विभाग के कर्म कार कल्याण बोर्ड में वित्तीय अनियमितताओं की जांच के दायरे में हैं. बोर्ड में कई स्तर पर अनियमिक्ताओं की बात कही जा रही है, लेकिन नया मामला बोर्ड के देहरादून स्थित कार्यालय से जुड़ा हुआ है. जानकारी के अनुसार देहरादून कार्यालय के किराए को लेकर कई गड़बड़ियां और अनियमितताएं सामने आ रही हैं. बता दें कि इससे पहले जहां हरक सिंह रावत बोर्ड के सचिव पद पर नियमों के विरुद्ध दमयंती रावत की नियुक्ति देने को लेकर विवादों में आए थे, अब कांग्रेस नेत्री लक्ष्मी राणा के भवन को बोर्ड कार्यालय बनाना भी विवाद की वजह बन गया है.

पढ़ें- हाई कोर्ट ने UTC को दिया आदेश, कर्मचारी यूनियन को जल्द एक करोड़ रुपए का भुगतान करें


बोर्ड के पुनर्गठन के बाद चल रही जांच में सामने आया है कि नेत्री लक्ष्मी राणा के घर को बोर्ड ने ईएसआई के टेंडर के आधार पर ही किराए पर ले लिया था, और इसके लिए बोर्ड ने कोई टेंडर नहीं करवाया गया था. शासन से कार्यालय के लिए केवल एक फ्लोर की अनुमति के बावजूद बोर्ड द्वारा दो फ्लोर किराए पर लिए गए. जिसमें एक फ्लोर का किराया ₹65000 है तो दूसरे फ्लोर का किराया 32000 है. जबकि इसमें बिजली का खर्च अलग से बोर्ड वहन करता है.

कर्मकार कल्याण बोर्ड से जुड़े विवाद नहीं छोड़ रहे हरक सिंह रावत का पीछा.

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पूर्व सचिव और भवन स्वामी लक्ष्मी राणा के बीच हुए बिजली के बिल का कोई जिक्र नहीं है. बावजूद इसके बिना किसी हिसाब के पूरे भवन का 50 प्रतिशत बिजली का बिल बोर्ड द्वारा वहन किया जा रहा है. जबकि इसी भवन में ईएसआई का भी दफ्तर मौजूद है. देहरादून कर्मकार कल्याण बोर्ड के कार्यालय का एंग्रीमेन्ट ही विधिवत रूप से नहीं किया गया है.

जांच पूरी होने में लगेगा लंबा वक्त

फिलहाल इस मामले में जांच की जा रही है. बोर्ड में कामों के हो रहे इस ऑडिट में फिलहाल लंबा समय लगता है. ऐसा इसलिए क्योंकि कई सालों से यहां पर हुए खर्च का कोई ऑडिट नहीं किया गया है. ऐसे भी अभी जी के इस ऑडिट में समय बढ़ाए जाने की उम्मीद है. बता दें कि 28 नवंबर तक इस जांच को पूरा होना था.

स्पेशल ऑडिट, एसआईटी जांच भी संभव

विभाग के सूत्र बताते हैं कि एजी के ऑडिट के बाद इस मामले में बोर्ड स्पेशल ऑडिट कराने की तैयारी कर रहा है. जबकि मामले की गंभीरता को देखते हुए स्पेशल ऑडिट के बाद एसआईटी जांच भी इस मामले में होने की संभावना है.

पढ़ें- कोरोना के बढ़ते मामलों के बाद फिर से लागू हुई साप्ताहिक बंदी, कार्तिक पूर्णिमा का स्नान स्थगित

बैंकों से भी बोर्ड की जमा रकम का लिया जा रहा है हिसाब

कर्मकार कल्याण बोर्ड के पुनर्गठन के बाद चल रही जांच के अलावा बोर्ड की जमा रकम पर भी फिलहाल जांच की जा रही है. इसमें तमाम बैंकों से संपर्क करते हुए बोर्ड की एफडी और कुल रगद रकम का भी हिसाब लिया जा रहा है. बताया जा रहा है कि कर्मकार कल्याण बोर्ड का करीब 100 करोड़ रुपया बैंकों में है.

पढ़ें- फर्जी टीचर गिरफ्तार, 23 सालों से शिक्षा विभाग को बना रहा था बेवकूफ

जानिए कौन है भवन स्वामी लक्ष्मी राणा

देहरादून कर्मकार कल्याण बोर्ड के कार्यालय में नियमों के विरुद्ध एग्रीमेंट को लेकर मामला उठते ही सवाल यह भी खड़े होते हैं कि आखिरकार ऐसा क्यों किया गया. हालांकि इसका खुलासा तो जांच के बाद ही हो पाएगा लेकिन यह जानना भी जरूरी है कि जिस भवन को किराए पर लिया गया उसकी स्वामी लक्ष्मी राणा आखिरकार है कौन? आपको बता दें कि लक्ष्मी राणा कांग्रेस की नेत्री हैं. वे रुद्रप्रयाग से पूर्व में जिला पंचायत अध्यक्ष रहने के साथ ही कांग्रेस के टिकट पर विधायक का चुनाव भी लड़ी हैं. मंत्री हरक सिंह रावत के कांग्रेस में रहने के दौरान लक्ष्मी राणा को उनका समर्थक और करीबी माना जाता था. ऐसे भी लक्ष्मी राणा के भवन को किराए के रूप में लेने को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.

देहरादून: कर्मकार कल्याण बोर्ड में नियमों के खिलाफ दमयंती रावत को नियुक्ति देने वाले मंत्री हरक सिंह अब नए विवाद में फंसते दिख रहे हैं. ये नया विवाद बोर्ड के देहरादून कार्यालय से जुड़ा है. मजेदार बात ये है कि किराए का ये भवन किसी और का नहीं बल्कि कांग्रेस नेत्री लक्ष्मी राणा का है. वे रुद्रप्रयाग से पूर्व में जिला पंचायत अध्यक्ष रहने के साथ ही कांग्रेस के टिकट पर विधायक का चुनाव भी लड़ी हैं. मंत्री हरक सिंह रावत के कांग्रेस में रहने के दौरान लक्ष्मी राणा को उनका समर्थक और करीबी माना जाता था.

कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत श्रम विभाग के कर्म कार कल्याण बोर्ड में वित्तीय अनियमितताओं की जांच के दायरे में हैं. बोर्ड में कई स्तर पर अनियमिक्ताओं की बात कही जा रही है, लेकिन नया मामला बोर्ड के देहरादून स्थित कार्यालय से जुड़ा हुआ है. जानकारी के अनुसार देहरादून कार्यालय के किराए को लेकर कई गड़बड़ियां और अनियमितताएं सामने आ रही हैं. बता दें कि इससे पहले जहां हरक सिंह रावत बोर्ड के सचिव पद पर नियमों के विरुद्ध दमयंती रावत की नियुक्ति देने को लेकर विवादों में आए थे, अब कांग्रेस नेत्री लक्ष्मी राणा के भवन को बोर्ड कार्यालय बनाना भी विवाद की वजह बन गया है.

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बोर्ड के पुनर्गठन के बाद चल रही जांच में सामने आया है कि नेत्री लक्ष्मी राणा के घर को बोर्ड ने ईएसआई के टेंडर के आधार पर ही किराए पर ले लिया था, और इसके लिए बोर्ड ने कोई टेंडर नहीं करवाया गया था. शासन से कार्यालय के लिए केवल एक फ्लोर की अनुमति के बावजूद बोर्ड द्वारा दो फ्लोर किराए पर लिए गए. जिसमें एक फ्लोर का किराया ₹65000 है तो दूसरे फ्लोर का किराया 32000 है. जबकि इसमें बिजली का खर्च अलग से बोर्ड वहन करता है.

कर्मकार कल्याण बोर्ड से जुड़े विवाद नहीं छोड़ रहे हरक सिंह रावत का पीछा.

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पूर्व सचिव और भवन स्वामी लक्ष्मी राणा के बीच हुए बिजली के बिल का कोई जिक्र नहीं है. बावजूद इसके बिना किसी हिसाब के पूरे भवन का 50 प्रतिशत बिजली का बिल बोर्ड द्वारा वहन किया जा रहा है. जबकि इसी भवन में ईएसआई का भी दफ्तर मौजूद है. देहरादून कर्मकार कल्याण बोर्ड के कार्यालय का एंग्रीमेन्ट ही विधिवत रूप से नहीं किया गया है.

जांच पूरी होने में लगेगा लंबा वक्त

फिलहाल इस मामले में जांच की जा रही है. बोर्ड में कामों के हो रहे इस ऑडिट में फिलहाल लंबा समय लगता है. ऐसा इसलिए क्योंकि कई सालों से यहां पर हुए खर्च का कोई ऑडिट नहीं किया गया है. ऐसे भी अभी जी के इस ऑडिट में समय बढ़ाए जाने की उम्मीद है. बता दें कि 28 नवंबर तक इस जांच को पूरा होना था.

स्पेशल ऑडिट, एसआईटी जांच भी संभव

विभाग के सूत्र बताते हैं कि एजी के ऑडिट के बाद इस मामले में बोर्ड स्पेशल ऑडिट कराने की तैयारी कर रहा है. जबकि मामले की गंभीरता को देखते हुए स्पेशल ऑडिट के बाद एसआईटी जांच भी इस मामले में होने की संभावना है.

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बैंकों से भी बोर्ड की जमा रकम का लिया जा रहा है हिसाब

कर्मकार कल्याण बोर्ड के पुनर्गठन के बाद चल रही जांच के अलावा बोर्ड की जमा रकम पर भी फिलहाल जांच की जा रही है. इसमें तमाम बैंकों से संपर्क करते हुए बोर्ड की एफडी और कुल रगद रकम का भी हिसाब लिया जा रहा है. बताया जा रहा है कि कर्मकार कल्याण बोर्ड का करीब 100 करोड़ रुपया बैंकों में है.

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जानिए कौन है भवन स्वामी लक्ष्मी राणा

देहरादून कर्मकार कल्याण बोर्ड के कार्यालय में नियमों के विरुद्ध एग्रीमेंट को लेकर मामला उठते ही सवाल यह भी खड़े होते हैं कि आखिरकार ऐसा क्यों किया गया. हालांकि इसका खुलासा तो जांच के बाद ही हो पाएगा लेकिन यह जानना भी जरूरी है कि जिस भवन को किराए पर लिया गया उसकी स्वामी लक्ष्मी राणा आखिरकार है कौन? आपको बता दें कि लक्ष्मी राणा कांग्रेस की नेत्री हैं. वे रुद्रप्रयाग से पूर्व में जिला पंचायत अध्यक्ष रहने के साथ ही कांग्रेस के टिकट पर विधायक का चुनाव भी लड़ी हैं. मंत्री हरक सिंह रावत के कांग्रेस में रहने के दौरान लक्ष्मी राणा को उनका समर्थक और करीबी माना जाता था. ऐसे भी लक्ष्मी राणा के भवन को किराए के रूप में लेने को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.

Last Updated : Nov 26, 2020, 12:08 PM IST
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