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उत्तराखंड में वित्तीय लिहाज से चिंताजनक हुई स्थितियां, GST प्रतिपूर्ति पर टिकी निगाहें - GST reimbursement required for Uttarakhand

उत्तराखंड पहले ही 60 हजार करोड़ रुपए के कर्ज में चल रहा है. ऐसे में हर साल प्रतिपूर्ति ना मिलने से हजारों करोड़ का नुकसान होने के बाद राज्य की आर्थिक कमर पूरी तरह से टूट जाएगी. प्रदेश के लिए अपने कर्मचारियों का वेतन देना भी धीरे-धीरे नामुमकिन हो जाएगा. साफ है कि केंद्र से जीएसटी प्रतिपूर्ति राज्य के लिए बेहद जरूरी है.

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प्रदेश में वित्तीय लिहाज से चिंताजनक हुई स्थितियां
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Published : Oct 11, 2021, 6:48 PM IST

Updated : Oct 11, 2021, 7:54 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी के कलेक्शन में सुधार करना राज्य के लिए एक बड़ी चुनौती रहा है. जीएसटी लागू होने के बाद से ही प्रदेश में राजस्व में भारी कमी आई है. इसी कमी को केंद्र की तरफ से प्रतिपूर्ति के जरिए पूरा करने की कोशिश की जाती है. लेकिन साल 2022 में केंद्र सरकार राज्यों को प्रतिपूर्ति देना बंद कर देगी. ये उत्तराखंड के लिए बड़ी चिंता का विषय है.

उत्तराखंड में वित्तीय लिहाज से चिंताजनक हुई स्थितियां

अगर ऐसा होता है तो प्रदेश को हर साल 5000 करोड़ से ज्यादा का नुकसान होगा. राज्य के लिए गैर योजनागत कार्य को भी कर पाना मुश्किल हो जाएगा. साल 2017 में उत्तराखंड जीएसटी लागू करने वाला राज्य बना. वस्तु एवं सेवा कर लागू होने के बाद ऐसे कई नियम थे जो प्रदेश में बदल चुके थे. इस लिहाज से राजस्व को बढ़ाना राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती थी. हालांकि केंद्र सरकार ने देश के सभी राज्यों को 2022 तक जीएसटी लागू करने के बाद होने वाले नुकसान की प्रतिपूर्ति करने का वादा किया था. जिसे केंद्र निभा भी रहा है. मगर उत्तराखंड की चिंताएं अब 2022 के बाद की हैं.

पढ़ें- 'जाने वाले को कहां रोक सका है कोई'... यशपाल आर्य के जाने पर बोले CM धामी

दरअसल, प्रदेश में जीएसटी लागू होने के बाद राजस्व बेहद कम हुआ है. प्रदेश काफी हद तक केंद्रीय प्रतिपूर्ति पर निर्भर रहा है. सबसे पहले जानिए कि जीएसटी को लेकर आंकड़े क्या कहते हैं.

उत्तराखंड में साल 2017-18 में GST के आंकड़े

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GST प्रतिपूर्ति पर टिकी निगाहें

2019-20 में जीएसटी के आंकड़े

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GST प्रतिपूर्ति पर टिकी निगाहें

साल 2022 में बढ़ेंगी परेशानियां

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GST प्रतिपूर्ति पर टिकी निगाहें

उत्तराखंड के लिए 5000 करोड़ या इससे ज्यादा का सालाना नुकसान सहने की क्षमता नहीं है. पहले ही राज्य 60 हजार करोड़ के कर्ज में चल रहा है. ऐसे में हर साल प्रतिपूर्ति ना मिलने से हजारों करोड़ का नुकसान होने के बाद राज्य की कमर पूरी तरह से टूट जाएगी. प्रदेश के लिए अपने कर्मचारियों का वेतन देना भी धीरे-धीरे नामुमकिन हो जाएगा. साफ है कि केंद्र से जीएसटी प्रतिपूर्ति राज्य के लिए बेहद जरूरी है.

पढ़ें- CM धामी की पीठ थपथपाने पर कांग्रेस ने साधा निशाना, कहा- खनन को संरक्षण दे रही मोदी सरकार

शायद यही कारण है कि राज्य सरकार ने न केवल केंद्रीय जीएसटी काउंसिल में इस बात को रखा है, बल्कि हाल ही में नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार से भी प्रतिपूर्ति दिए जाने की मांग की है.

इस मामले पर कांग्रेस का कहना है कि जीएसटी लागू होने से पहले ही उन्होंने इसका विरोध किया था. इससे प्रदेश को नुकसान होने की बात भी कही थी. अब जब हालात खराब हो रहे हैं तो कांग्रेस की वही बात लोगों को याद आ रही है.

पढ़ें- उत्तराखंड BJP को झटका, कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने बेटे संग की 'घर वापसी'

उत्तराखंड में कोरोनाकाल के दौरान टैक्स वसूली में बेहद कमी आई है. बता दें कि जीएसटी प्रतिपूर्ति को लेकर उत्तराखंड ही नहीं बल्कि देश के कई राज्य केंद्र से प्रतिपूर्ति दिए जाने की मांग कर रहे हैं. जीएसटी से बाकी राज्यों को भी काफी नुकसान हुआ है. लेकिन उत्तराखंड पहले से ही वित्तीय हालातों के लिहाज से बेहद कमजोर है. इसलिए उत्तराखंड के लिए यह हालात ज्यादा खराब दिखाई दे रहे हैं. इन हालातों में बिना प्रतिपूर्ति के उत्तराखंड का सर्वाइव करना भी मुश्किल दिखाई दे रहा है. इस मामले पर भाजपा नेता कहते हैं कि जब तक उत्तराखंड में भाजपा का राज है उत्तराखंड को वित्तीय लिहाज से कमजोर नहीं होने दिया जाएगा. केंद्र में भाजपा की सरकार है. केंद्र उत्तराखंड को हमेशा मदद करता रहेगा.

देहरादून: उत्तराखंड में वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी के कलेक्शन में सुधार करना राज्य के लिए एक बड़ी चुनौती रहा है. जीएसटी लागू होने के बाद से ही प्रदेश में राजस्व में भारी कमी आई है. इसी कमी को केंद्र की तरफ से प्रतिपूर्ति के जरिए पूरा करने की कोशिश की जाती है. लेकिन साल 2022 में केंद्र सरकार राज्यों को प्रतिपूर्ति देना बंद कर देगी. ये उत्तराखंड के लिए बड़ी चिंता का विषय है.

उत्तराखंड में वित्तीय लिहाज से चिंताजनक हुई स्थितियां

अगर ऐसा होता है तो प्रदेश को हर साल 5000 करोड़ से ज्यादा का नुकसान होगा. राज्य के लिए गैर योजनागत कार्य को भी कर पाना मुश्किल हो जाएगा. साल 2017 में उत्तराखंड जीएसटी लागू करने वाला राज्य बना. वस्तु एवं सेवा कर लागू होने के बाद ऐसे कई नियम थे जो प्रदेश में बदल चुके थे. इस लिहाज से राजस्व को बढ़ाना राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती थी. हालांकि केंद्र सरकार ने देश के सभी राज्यों को 2022 तक जीएसटी लागू करने के बाद होने वाले नुकसान की प्रतिपूर्ति करने का वादा किया था. जिसे केंद्र निभा भी रहा है. मगर उत्तराखंड की चिंताएं अब 2022 के बाद की हैं.

पढ़ें- 'जाने वाले को कहां रोक सका है कोई'... यशपाल आर्य के जाने पर बोले CM धामी

दरअसल, प्रदेश में जीएसटी लागू होने के बाद राजस्व बेहद कम हुआ है. प्रदेश काफी हद तक केंद्रीय प्रतिपूर्ति पर निर्भर रहा है. सबसे पहले जानिए कि जीएसटी को लेकर आंकड़े क्या कहते हैं.

उत्तराखंड में साल 2017-18 में GST के आंकड़े

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GST प्रतिपूर्ति पर टिकी निगाहें

2019-20 में जीएसटी के आंकड़े

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GST प्रतिपूर्ति पर टिकी निगाहें

साल 2022 में बढ़ेंगी परेशानियां

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GST प्रतिपूर्ति पर टिकी निगाहें

उत्तराखंड के लिए 5000 करोड़ या इससे ज्यादा का सालाना नुकसान सहने की क्षमता नहीं है. पहले ही राज्य 60 हजार करोड़ के कर्ज में चल रहा है. ऐसे में हर साल प्रतिपूर्ति ना मिलने से हजारों करोड़ का नुकसान होने के बाद राज्य की कमर पूरी तरह से टूट जाएगी. प्रदेश के लिए अपने कर्मचारियों का वेतन देना भी धीरे-धीरे नामुमकिन हो जाएगा. साफ है कि केंद्र से जीएसटी प्रतिपूर्ति राज्य के लिए बेहद जरूरी है.

पढ़ें- CM धामी की पीठ थपथपाने पर कांग्रेस ने साधा निशाना, कहा- खनन को संरक्षण दे रही मोदी सरकार

शायद यही कारण है कि राज्य सरकार ने न केवल केंद्रीय जीएसटी काउंसिल में इस बात को रखा है, बल्कि हाल ही में नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार से भी प्रतिपूर्ति दिए जाने की मांग की है.

इस मामले पर कांग्रेस का कहना है कि जीएसटी लागू होने से पहले ही उन्होंने इसका विरोध किया था. इससे प्रदेश को नुकसान होने की बात भी कही थी. अब जब हालात खराब हो रहे हैं तो कांग्रेस की वही बात लोगों को याद आ रही है.

पढ़ें- उत्तराखंड BJP को झटका, कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने बेटे संग की 'घर वापसी'

उत्तराखंड में कोरोनाकाल के दौरान टैक्स वसूली में बेहद कमी आई है. बता दें कि जीएसटी प्रतिपूर्ति को लेकर उत्तराखंड ही नहीं बल्कि देश के कई राज्य केंद्र से प्रतिपूर्ति दिए जाने की मांग कर रहे हैं. जीएसटी से बाकी राज्यों को भी काफी नुकसान हुआ है. लेकिन उत्तराखंड पहले से ही वित्तीय हालातों के लिहाज से बेहद कमजोर है. इसलिए उत्तराखंड के लिए यह हालात ज्यादा खराब दिखाई दे रहे हैं. इन हालातों में बिना प्रतिपूर्ति के उत्तराखंड का सर्वाइव करना भी मुश्किल दिखाई दे रहा है. इस मामले पर भाजपा नेता कहते हैं कि जब तक उत्तराखंड में भाजपा का राज है उत्तराखंड को वित्तीय लिहाज से कमजोर नहीं होने दिया जाएगा. केंद्र में भाजपा की सरकार है. केंद्र उत्तराखंड को हमेशा मदद करता रहेगा.

Last Updated : Oct 11, 2021, 7:54 PM IST
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