देहरादून: प्रदेश की टिहरी लोकसभा सीट इस समय सबसे ज्यादा हॉट सीट बनी हुई है. इन लोकसभा चुनावों में इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है. राजघराने से ताल्लुक रखने वाली माला राज्यलक्ष्मी शाह टिहरी लोकसभा से दो बार की सांसद रही हैं. लिहाजा इस बार वह जीत की हैट्रिक लगाने की उम्मीद से चुनावी मैदान में हैं.
वहींं, दूसरी तरफ कांग्रेस की ओर से प्रीतम सिंह टिहरी लोकसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी हैं. प्रीतम सिंह के लिए ये सीट ही नहीं बल्कि उनका सियासी सफर भी दांव पर लगा है. बात अगर तीसरे प्रत्याशी कथावाचक गोपालमणि की करें तो वो कहीं न कही बीजेपी और कांग्रेस के लिए इस लोकसभा चुनाव में बड़ी परेशानी खड़ी कर सकते हैं. ऐसे में लोकसभा चुनावों को लेकर मतदाताओं की क्या राय है ये जानने के लिए ईटीवी भारत ने जनता के बीच जाकर उनके मन को टटोलने की कोशिश की.
चुनाव में जनता ही जनार्दन होती है. जनता चाहे किसी को सर पर बैठा ले तो और चाहे किसी को अर्श से फर्श पर ला दे. ऐसे में टिहरी संसदीय सीट के प्रत्याशियों के भाग्य की पड़ताल करने और जनता का मूड समझने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने लोगों के बीच जाकर बात की. सबसे पहले हमारी टीम टिहरी लोकसभा क्षेत्र के मसूरी विधानसभा के गांव किमाड़ी और कलज्याड़ी गांव पहुंची. जहां हमने लोगों से सवाल किया कि वे इस बार क्या सोचकर मतदान करने जाएंगे. इस पर लोगों की जो प्रतिक्रिया आई वो वाकई में चौंकाने वाली थी. जितने लोगों से हमने बात की ज्यादातर लोगों ने अपने ही सांसद को पहचानने से इनकार कर दिया. लोगो का कहना था कि वे सांसद को नहीं बल्कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वोट करने जा रहे हैं.
बेहद रुखे अंदाज में गांव में लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य सेवाओं के साथ-साथ रोजगार की सुविधाएं जिस तरह से सरकार को देनी चाहिए वह आज तक सरकार दे नहीं पाई है. लोगों ने कहा उनके विधायक तो काम कर रहे हैं लेकिन उनके सांसद कौन हैं? ये उन्हें आज तक मालूम नहीं चला.उन्होंने कहा कि उनकी सांसद तो चुनाव प्रचार तक के लिए उनके गांव में नहीं पहुंची. गांव वालों का कहना है कि सरकार को चाहिए कि गांव में लोगों के लिए ऐसी सुविधाएं मुहैया कराये जिससे लोगों को शहर की ओर न भागना पड़े.
कुछ लोगों का कहना है कि बीते 5 सालों में उनके गांव और शहर में विकास तो हुआ है लेकिन अभी भी बहुत कुछ होना बाकी है. लोगों को उम्मीद है कि मौजूदा केंद्र सरकार अगर दोबारा आती है तो शायद ये रुके हुए काम और तेजी से हो पाएंगे. हैरानी की बात यह है कि ग्राम सभा में रहने वाले अधिकतर लोग इस बार सांसद को देखकर नहीं बल्कि उनके बड़े नेताओं के कामों को देख रहे हैं.
वहीं बात आगर महिलाओं की करें तो उनका कहना है कि सरकारें शराबबंदी की बात तो करती हैं लेकिन शराब वाकई में कब बंद होगी ये किसी को भी नहीं मालूम. महिलाओं ने कहा कि शराब की वजह से पहाड़ों में न केवल घर बर्बाद हो रहे हैं. बल्कि छोटे-छोटे बच्चे भी इस बुरी आदत का शिकार हो रहे हैं. महिलाओं ने अपनी सांसद और नेताओं से अपील की है कि सभी लोग शराबबंदी को अपनी प्राथमिकता बनाएं.
कुल मिलाकर कहा जाए तो इस बार टिहरी लोकसभा में जहां त्रिकोणीय मुकाबला होने से ये चुनाव रोचक होने वाला हैं. वहीं जनता के बीच से आई प्रतिक्रियाओं से साफ तौर पर जाहिर होता है कि जनता भी इस बार प्रत्याशियों को ठोक परख कर वोट करने वाली है. कुछ एक मामलों को छोड़ दे तो ज्यादा लोगों का कहना है कि वे मुद्दों पर बात करने वाले नेताओं को चुनेंगे. विकास करने वाली सरकार पर भरोसा जताने वाली जनता ने इस बार जांचपरख कर वोट करने का फैसला किया है. जोकि टिहरी सीट के चुनाव को और भी खास बनाने वाला है.