देहरादून: प्रदेश सरकार अब पलायन आयोग की ओर से सभी जिलों में पलायन को रोकने के लिए चलाई जा रही योजनाओं की मॉनिटरिंग करेगी. पलायन आयोग के अधिकारियों का कहना है कि पलायन आयोग की सिफारिशों पर राज्य सरकार की ओर से ग्राम पंचायत स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक विभिन्न योजनाओं का क्रियान्यवयन किया जा रहा है, जिसको लेकर अब पलायन आयोग की ओर से हर माह जिला स्तर पर मॉनिटरिंग की जाएगी.
पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ शरद सिंह नेगी ने बताया कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य है, जहां पर पलायन आयोग का गठन किया गया है. आयोग की सिफारिशों के आधार पर ही पलायन रोकथाम योजना के साथ ही मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र योजना और मुख्यमंत्री स्वरोजागर योजना का क्रियान्वयन प्रदेश में किया जा रहा है.
पलायन रोकथाम योजना के आधार पर ग्राम पंचायत स्तर से सभी जिलों में शुरू किया गया है. इसके साथ ही इसका क्रियान्वयन प्रदेश स्तर तक किया जा रहा है. इसके साथ ही पूर्व में त्रिवेंद्र सरकार के समय मुख्यमंत्री सीमांत योजना का शुभारंभ किया गया और युवाओं के पलायन को रोकने के लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना को शुरू किया गया है.
डॉ शरद सिंह नेगी ने बताया कि सबसे अधिक पलायन पौड़ी और अल्मोड़ा जनपद में है. अल्मोड़ा जनपद में भिकियासैंण, सल्ट, स्यालदा आदि और पौड़ी में नैनीढांडा, धुमाकोट आदि क्षेत्रो में पलायन है. इन जनपदों में भी पूरे जनपद में पलायन नहीं है. प्रदेश के सभी जिलों में अलग-अलग प्रकार का पलायन है. कहीं पर सड़क को लेकर पलायन है तो कई स्थानों पर अस्थाई पलायन अधिक है.
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इन सब बिन्दुओं को ध्यान में रखते हुए पलायन आयोग की सिफारिशों पर जो योजनाएं प्रदेश सरकार की ओर से चलाई जा रही है, उनकी अब जिला स्तर पर लगातार मॉनिटरिंग की जाएगी, जिससे यह पता चलेगा कि इन योजनाओं का सभी जनपदों में सही तरीके से क्रियान्यवयन हो रहा है या नहीं.