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प्रमोटी IPS अफसरों पर धामी सरकार का भरोसा ज्यादा, आगामी सूची में भी तवज्जो मिलने की संभावना

उत्तराखंड में जल्द आईपीएस अधिकारियों की तबादला सूची जारी होने की उम्मीद लगाई जा रही है. खबर है कि धामी सरकार की अब तक की पसंद रहे प्रमोटी आईपीएस अफसर एक बार फिर बड़ी जिम्मेदारियां ले सकते हैं. दरअसल, राज्य में फिलहाल सरकार प्रमोटी अफसरों पर ज्यादा भरोसा जताती हुई नजर आई है. लिहाजा, आने वाली नई स्थानांतरण सूची में भी सरकार का यही रुख दिख सकता है.

Haridwar SSP Pankaj Bhatt
प्रमोटी IPS अफसरों को धामी सरकार का आशीर्वाद
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Published : Apr 10, 2023, 1:12 PM IST

Updated : Apr 10, 2023, 5:32 PM IST

प्रमोटी IPS अफसरों पर धामी सरकार का भरोसा ज्यादा.

देहरादूनः उत्तराखंड के सभी 13 जिलों में पुलिस के लिए अलग-अलग तरह की चुनौती रहती है. मैदानी जिलों में कानून व्यवस्था से लेकर वीआईपी ड्यूटी और ट्रैफिक व्यवस्था बड़ी चुनौती है तो कुछ पहाड़ी जिलों में तीर्थाटन पुलिस की भागदौड़ को बढ़ा देता है. उधर, पहाड़ के सीमांत जिले स्मगलिंग और विशेष चौकसी के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण हैं. जाहिर है कि ऐसी विशेष परिस्थितियों वाले राज्य में पुलिसिंग काफी कठिन होती है. खासतौर तब जब हर साल बड़ी आपदाओं के दौरान आपदा प्रबंधन महकमे के साथ पुलिस का भी बड़ा रोल होता है. धामी सरकार भी राज्य में इन हालातों को समझती है और इन हालातों से निपटने के लिए सरकार ने सबसे ज्यादा भरोसा अब तक प्रमोटी आईपीएस अधिकारियों पर ही जताया है. ऐसा हम नहीं बल्कि, जिलों में कमान संभाल रहे अफसरों के रिकॉर्ड को देखकर कहा जा सकता है.

Dehradun SSP Dalip Singh Kunwar
देहरादून एसएसपी दलीप सिंह कुंवर

प्रमोटी आईपीएस अधिकारियों की जिम्मेदारीः उत्तराखंड के 5 सबसे महत्वपूर्ण और बड़े जिलों में प्रमोटी आईपीएस अफसरों का दबदबा है. देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी, नैनीताल और उधमसिंह नगर जिलों में से देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी और नैनीताल जिले प्रमोटी अफसरों के हाथों में हैं. महज उधमसिंह नगर में ही सीधे आईपीएस अफसर की तैनाती हुई है. देहरादून में दलीप सिंह कुंवर, हरिद्वार में अजय सिंह और नैनीताल में पंकज भट्ट एसएसपी हैं, जबकि पौड़ी जैसा बड़ा जिला भी महिला प्रमोटी आईपीएस श्वेता चौबे के हाथों में है.

उत्तराखंड के चार बड़े जिलों की स्थिति से ही यह बात साफ हो जाती है कि राज्य में धामी सरकार ने प्रमोटी आईपीएस अफसरों पर ज्यादा भरोसा जताया है. बड़े जिलों में केवल एक उधम सिंह नगर में मंजूनाथ टीसी ही हैं, जो सीधे आईपीएस हैं और एसएसपी के तौर पर जिले की कमान संभाल रहे हैं.

Haridwar SSP Pankaj Bhatt
हरिद्वार एसएसपी पंकज भट्ट
ये भी पढ़ेंः पुलिस महकमे में तबादलों को लेकर मिलेगी रियायत, इन चौकियों में तैनाती को किया जा रहा आसान

वैसे पूरे राज्य के लिहाज से भी देखें तो दबदबा प्रमोटी आईपीएस अफसरों का ही दिखाई देता है. बीजेपी सरकार की प्रमोटी अफसरों के लिए प्राथमिकता को इस बात से भी समझा जा सकता है कि एक पहाड़ी जिले में तो एडिशनल एसपी रैंक के अधिकारी को जिले की कमान बतौर प्रभारी सौंप दी गई है.

जिलेवार आईपीएस अफसरों की स्थितिः प्रदेश के 13 जिलों में से 7 जिलों में प्रमोटी अफसरों को जिले की कमान दी गई है. जबकि, 6 जिलों में सीधे आईपीएस अफसर चार्ज पर मौजूद हैं. देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी और नैनीताल जिलों के अलावा टिहरी, चमोली और चंपावत भी प्रमोटी अफसरों के हाथों में है. चमोली में एडिशनल एसपी रैंक के प्रमेंद्र डोभाल को कमान दी गई है तो उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर, पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा में सीधे आईपीएस अधिकारियों को कमान सौंपी गई है.

Nainital SSP pankaj Bhatt
नैनीताल एसएसपी पंकज भट्ट

उत्तराखंड में प्रमोटी अधिकारियों को मिल रहे सरकार के आशीर्वाद की एक बड़ी वजह भी है. दरअसल, अपनी विशेष खूबियों और अनुभवों के चलते प्रमोटी आईपीएस अफसर सरकार के तय लक्ष्यों को पूरा करने में ज्यादा उपयोगी माने जाते हैं. शायद यही कारण है कि सरकार भी प्रमोटी आईपीएस अफसरों को ही ज्यादा मौके दे रही है.

वैसे इसमें कोई हर्ज भी नहीं है, क्योंकि सरकार को रिजल्ट ओरिएंटेड अफसरों की दरकार होती है और उसे पूरा करने के लिए जिन्हें सरकार सक्षम समझती है. उन्हीं को कमान भी सौंपी जाती है. ऐसे में साफ है कि जिस तरह पुलिस महकमे में जिलों के लिहाज से प्रमोटी आईपीएस अफसर दबदबा बनाए हुए हैं, यानी सरकार इन्हीं अफसरों को ज्यादा काबिल मान रही है.

Pauri SSP Shweta Chaubey
पौड़ी एसएसपी श्वेता चौबे
ये भी पढ़ेंः ठगी और धोखाधड़ी के 2000 पेंडिंग मामले निपटाने में जुटी है उत्तराखंड पुलिस, 150 से ज्यादा हो चुके गिरफ्तार

प्रमोटी अफसर क्यों माने जाते हैं काबिलः दरअसल, थानों से लेकर जिलों की कमान तक पहुंचने के अनुभव का फायदा मिलता है. प्रमोटी अफसर आम जनता से सीधे संवाद को लेकर ज्यादा सहज माने जाते हैं. ऐसे अफसर सरकार के आदेशों पर समस्या बताने की जगह समाधान वाले फार्मूले पर भी कारगर माने जाते हैं. आईपीएस अफसरों की कमी के कारण भी उन्हें तवज्जो मिलती है.

धामी सरकार 2.0 को एक साल पूरे हो चुके हैं और अपना बजट सत्र संपन्न करने के बाद से ही सरकार अफसरों के स्थानांतरण को लेकर कसरत में जुटी हुई है. कुछ ऐसे पद हैं, जहां प्रमोशन के बाद स्थानांतरण की जरूरत पड़ रही है तो कुछ ऐसे भी पद हैं जो रिटायरमेंट के चलते अब नई पोस्टिंग का इंतजार कर रहे हैं.

इतना ही नहीं, सरकार राजनीतिक और सामाजिक समेत परफॉर्मेंस के आधार पर भी कुछ बदलाव करने के मूड में दिखाई दे रही है. जाहिर है कि इन सभी स्थितियों के बीच जल्द ही कुछ जिलों में कमान बदलने जा रही है और इस दौरान भी प्रमोटी आईपीएस अफसरों की काफी डिमांड संभावित है.

प्रमोटी IPS अफसरों पर धामी सरकार का भरोसा ज्यादा.

देहरादूनः उत्तराखंड के सभी 13 जिलों में पुलिस के लिए अलग-अलग तरह की चुनौती रहती है. मैदानी जिलों में कानून व्यवस्था से लेकर वीआईपी ड्यूटी और ट्रैफिक व्यवस्था बड़ी चुनौती है तो कुछ पहाड़ी जिलों में तीर्थाटन पुलिस की भागदौड़ को बढ़ा देता है. उधर, पहाड़ के सीमांत जिले स्मगलिंग और विशेष चौकसी के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण हैं. जाहिर है कि ऐसी विशेष परिस्थितियों वाले राज्य में पुलिसिंग काफी कठिन होती है. खासतौर तब जब हर साल बड़ी आपदाओं के दौरान आपदा प्रबंधन महकमे के साथ पुलिस का भी बड़ा रोल होता है. धामी सरकार भी राज्य में इन हालातों को समझती है और इन हालातों से निपटने के लिए सरकार ने सबसे ज्यादा भरोसा अब तक प्रमोटी आईपीएस अधिकारियों पर ही जताया है. ऐसा हम नहीं बल्कि, जिलों में कमान संभाल रहे अफसरों के रिकॉर्ड को देखकर कहा जा सकता है.

Dehradun SSP Dalip Singh Kunwar
देहरादून एसएसपी दलीप सिंह कुंवर

प्रमोटी आईपीएस अधिकारियों की जिम्मेदारीः उत्तराखंड के 5 सबसे महत्वपूर्ण और बड़े जिलों में प्रमोटी आईपीएस अफसरों का दबदबा है. देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी, नैनीताल और उधमसिंह नगर जिलों में से देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी और नैनीताल जिले प्रमोटी अफसरों के हाथों में हैं. महज उधमसिंह नगर में ही सीधे आईपीएस अफसर की तैनाती हुई है. देहरादून में दलीप सिंह कुंवर, हरिद्वार में अजय सिंह और नैनीताल में पंकज भट्ट एसएसपी हैं, जबकि पौड़ी जैसा बड़ा जिला भी महिला प्रमोटी आईपीएस श्वेता चौबे के हाथों में है.

उत्तराखंड के चार बड़े जिलों की स्थिति से ही यह बात साफ हो जाती है कि राज्य में धामी सरकार ने प्रमोटी आईपीएस अफसरों पर ज्यादा भरोसा जताया है. बड़े जिलों में केवल एक उधम सिंह नगर में मंजूनाथ टीसी ही हैं, जो सीधे आईपीएस हैं और एसएसपी के तौर पर जिले की कमान संभाल रहे हैं.

Haridwar SSP Pankaj Bhatt
हरिद्वार एसएसपी पंकज भट्ट
ये भी पढ़ेंः पुलिस महकमे में तबादलों को लेकर मिलेगी रियायत, इन चौकियों में तैनाती को किया जा रहा आसान

वैसे पूरे राज्य के लिहाज से भी देखें तो दबदबा प्रमोटी आईपीएस अफसरों का ही दिखाई देता है. बीजेपी सरकार की प्रमोटी अफसरों के लिए प्राथमिकता को इस बात से भी समझा जा सकता है कि एक पहाड़ी जिले में तो एडिशनल एसपी रैंक के अधिकारी को जिले की कमान बतौर प्रभारी सौंप दी गई है.

जिलेवार आईपीएस अफसरों की स्थितिः प्रदेश के 13 जिलों में से 7 जिलों में प्रमोटी अफसरों को जिले की कमान दी गई है. जबकि, 6 जिलों में सीधे आईपीएस अफसर चार्ज पर मौजूद हैं. देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी और नैनीताल जिलों के अलावा टिहरी, चमोली और चंपावत भी प्रमोटी अफसरों के हाथों में है. चमोली में एडिशनल एसपी रैंक के प्रमेंद्र डोभाल को कमान दी गई है तो उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर, पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा में सीधे आईपीएस अधिकारियों को कमान सौंपी गई है.

Nainital SSP pankaj Bhatt
नैनीताल एसएसपी पंकज भट्ट

उत्तराखंड में प्रमोटी अधिकारियों को मिल रहे सरकार के आशीर्वाद की एक बड़ी वजह भी है. दरअसल, अपनी विशेष खूबियों और अनुभवों के चलते प्रमोटी आईपीएस अफसर सरकार के तय लक्ष्यों को पूरा करने में ज्यादा उपयोगी माने जाते हैं. शायद यही कारण है कि सरकार भी प्रमोटी आईपीएस अफसरों को ही ज्यादा मौके दे रही है.

वैसे इसमें कोई हर्ज भी नहीं है, क्योंकि सरकार को रिजल्ट ओरिएंटेड अफसरों की दरकार होती है और उसे पूरा करने के लिए जिन्हें सरकार सक्षम समझती है. उन्हीं को कमान भी सौंपी जाती है. ऐसे में साफ है कि जिस तरह पुलिस महकमे में जिलों के लिहाज से प्रमोटी आईपीएस अफसर दबदबा बनाए हुए हैं, यानी सरकार इन्हीं अफसरों को ज्यादा काबिल मान रही है.

Pauri SSP Shweta Chaubey
पौड़ी एसएसपी श्वेता चौबे
ये भी पढ़ेंः ठगी और धोखाधड़ी के 2000 पेंडिंग मामले निपटाने में जुटी है उत्तराखंड पुलिस, 150 से ज्यादा हो चुके गिरफ्तार

प्रमोटी अफसर क्यों माने जाते हैं काबिलः दरअसल, थानों से लेकर जिलों की कमान तक पहुंचने के अनुभव का फायदा मिलता है. प्रमोटी अफसर आम जनता से सीधे संवाद को लेकर ज्यादा सहज माने जाते हैं. ऐसे अफसर सरकार के आदेशों पर समस्या बताने की जगह समाधान वाले फार्मूले पर भी कारगर माने जाते हैं. आईपीएस अफसरों की कमी के कारण भी उन्हें तवज्जो मिलती है.

धामी सरकार 2.0 को एक साल पूरे हो चुके हैं और अपना बजट सत्र संपन्न करने के बाद से ही सरकार अफसरों के स्थानांतरण को लेकर कसरत में जुटी हुई है. कुछ ऐसे पद हैं, जहां प्रमोशन के बाद स्थानांतरण की जरूरत पड़ रही है तो कुछ ऐसे भी पद हैं जो रिटायरमेंट के चलते अब नई पोस्टिंग का इंतजार कर रहे हैं.

इतना ही नहीं, सरकार राजनीतिक और सामाजिक समेत परफॉर्मेंस के आधार पर भी कुछ बदलाव करने के मूड में दिखाई दे रही है. जाहिर है कि इन सभी स्थितियों के बीच जल्द ही कुछ जिलों में कमान बदलने जा रही है और इस दौरान भी प्रमोटी आईपीएस अफसरों की काफी डिमांड संभावित है.

Last Updated : Apr 10, 2023, 5:32 PM IST
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