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सरकार ने साल में एक सत्र गैरसैंण में कराने का किया वादा, राजधानी बनाने की मांग पर अड़ा विपक्ष

उत्तराखंड विधानसभा सत्र के पहले दिन सदन में गैरसैंण को लेकर जमकर हंगामा हुआ. सरकार ने साल का एक सत्र गैरसैंण में कराए जाने का फैसला किया है लेकिन विपक्ष इससे संटुष्ट नहीं है.

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देहरादून
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Published : Dec 5, 2019, 8:11 AM IST

Updated : Dec 5, 2019, 9:12 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र चल रहा है. सत्र के पहले दिन की कार्रवाई के दौरान सदन के भीतर विपक्ष ने गैरसैंण का मुद्दा उठाया और इसे 310 में सुनने की मांग की. जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने नियम 58 के तहत गैरसैंण मामले को सुना. सदन के भीतर गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाये जाने और गैरसैंण में सत्र करने को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच काफी बहस हुई.

नियम 58 के तहत चल रही गैरसैंण पर चर्चा के दौरान उपनेता प्रतिपक्ष करण माहरा ने कहा कि सरकार ठंड का बहाना बना रही है. इसके साथ ही करण माहरा ने इशारों ही इशारों में नेता प्रतिपक्ष पर भी निशाना साधा. गैरसैंण के सवाल पर संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक ने जवाब दिया कि साल में एक सत्र गैरसैंण में कराए जाने को लेकर सरकार ने सहमति बनाई है.

सरकार ने गैरसैंण को लेकर कर दिया बड़ा ऐलान

इसके साथ ही करण माहरा ने बीजेपी विधायकों पर तंज कसते हुए कहा कि जो लोग प्रधान नहीं बन सकते थे, वो आज विधायक और मंत्री बन गए हैं. इस पहाड़ी क्षेत्र से पहले 22 विधायक आते थे और अब 70 विधायक हो गए हैं. लेकिन आज चुने हुए प्रतिनिधि सुविधाओं की तरफ ध्यान दे रहे हैं लेकिन आंदोलनकारियों की जन भावनाओं और उनकी इच्छाओं की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

पढ़ें- उत्तराखंड कैबिनेटः कई अहम फैसलों पर लगी मुहर, होमगार्ड्स को मिलेगा 18000 मानदेय

सदन में सरकार ने साल में एक सत्र गैरसैंण में कराने का फैसला किया है, जिससे विपक्ष संतुष्ट नहीं है. विपक्ष गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने या फिर पूर्ण कालीन राजधानी बनाने की मांग कर रहा है.

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र चल रहा है. सत्र के पहले दिन की कार्रवाई के दौरान सदन के भीतर विपक्ष ने गैरसैंण का मुद्दा उठाया और इसे 310 में सुनने की मांग की. जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने नियम 58 के तहत गैरसैंण मामले को सुना. सदन के भीतर गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाये जाने और गैरसैंण में सत्र करने को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच काफी बहस हुई.

नियम 58 के तहत चल रही गैरसैंण पर चर्चा के दौरान उपनेता प्रतिपक्ष करण माहरा ने कहा कि सरकार ठंड का बहाना बना रही है. इसके साथ ही करण माहरा ने इशारों ही इशारों में नेता प्रतिपक्ष पर भी निशाना साधा. गैरसैंण के सवाल पर संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक ने जवाब दिया कि साल में एक सत्र गैरसैंण में कराए जाने को लेकर सरकार ने सहमति बनाई है.

सरकार ने गैरसैंण को लेकर कर दिया बड़ा ऐलान

इसके साथ ही करण माहरा ने बीजेपी विधायकों पर तंज कसते हुए कहा कि जो लोग प्रधान नहीं बन सकते थे, वो आज विधायक और मंत्री बन गए हैं. इस पहाड़ी क्षेत्र से पहले 22 विधायक आते थे और अब 70 विधायक हो गए हैं. लेकिन आज चुने हुए प्रतिनिधि सुविधाओं की तरफ ध्यान दे रहे हैं लेकिन आंदोलनकारियों की जन भावनाओं और उनकी इच्छाओं की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

पढ़ें- उत्तराखंड कैबिनेटः कई अहम फैसलों पर लगी मुहर, होमगार्ड्स को मिलेगा 18000 मानदेय

सदन में सरकार ने साल में एक सत्र गैरसैंण में कराने का फैसला किया है, जिससे विपक्ष संतुष्ट नहीं है. विपक्ष गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने या फिर पूर्ण कालीन राजधानी बनाने की मांग कर रहा है.

Intro:विधानसभा के शीतकाल सत्र के पहले दिन की कार्रवाई के दौरान सदन के भीतर विपक्ष ने गैरसैण का मुद्दा उठाया। और इसे 310 में सुनने की मांग की। जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने नियम 58 के तहत गैरसैण मामले को सुना। और सदन के भीतर गैरसैण को स्थायी राजधानी बनाये जाने और गैरसैण में सत्र करने को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच काफी बहस हुई। 


Body:यही नही सदन के भीतर नियम 58 के तहत चल रही ग़ैरसैंण पर चर्चा के दौरान उपनेता प्रतिपक्ष करण मेहरा ने, सदन में सवाल उठाते हुए कहा कि गैरसैंण में सत्र ना कराने को लेकर, विधायको को ठंड लगने का विधायक ही बहाना बना रहे हैं। और करण मेहरा ने इशारो ही इशारो में नेता प्रतिपक्ष पर भी निशाना साध दिया। वही सदन के भीतर गैरसैण के सवाल पर संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक ने जवाब दिया कि साल में एक सत्र गैरसैण में कराए जाने को लेकर सरकार ने सहमति बनाई है।

वही सदन के बाहर उपनेता प्रतिपक्ष करण मेहरा ने बताया कि राज्य गठन की अवधारणा यही थी कि पर्वतीय राज्य बनेगा और उसकी राजधानी पर्वतीय क्षेत्र में होगा। लिहाजा सदन के भीतर इसी मामले को उठाया गया कि जब उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का ही अंग हुआ करता था तो उस दौरान पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की समस्या को नहीं समझा गया और जो नीतियां बनती थी वह पर्वतीय क्षेत्र के हिसाब से नहीं बनती थी। 

साथ ही भाजपा विधायकों पर तंज कसते हुए कहा कि जो लोग प्रधान नहीं बन सकते थे, वह आज विधायक और मंत्री बन गए हैं। यही नहीं इस पहाड़ी क्षेत्र से पहले 22 विधायक आते थे, और अब 70 विधायक हो गए हैं। लेकिन आज चुने हुए प्रतिनिधि सुविधाओं की तरफ ध्यान दे रहे हैं लेकिन आंदोलनकारियों की जन भावनाओ और उनकी इच्छाओं की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। साथ ही बताया कि जब गैरसैंण में कुछ नहीं था, तब टेंट के नीचे सदन चलाया गया था। लेकिन आज जब वहा, सब कुछ हो गया है तो सरकार वहां सदन चलाने से बच रही है।

साथ ही नेता प्रतिपक्ष करण मेहरा ने बताया कि सरकार ने वादा किया है कि साल में एक सत्र गैरसैंण में कराएगी। जिससे विपक्ष संतुष्ट नहीं है। और विपक्ष गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने या फिर पूर्ण कालीन राजधानी बनाने की घोषणा करने की मांग की। 

बाइट - करण मेहरा, उपनेता प्रतिपक्ष




Conclusion:
Last Updated : Dec 5, 2019, 9:12 AM IST
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