देहरादून: भारत सरकार में GI बोर्ड के महानियंत्रक डॉक्टर उन्नत पी पंडित ने देहरादून में उत्तराखंड के ऑर्गेनिक प्रोडक्ट की GI कोर्ट लगाई. पंडित भारत सरकार में उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग के महानियंत्रक हैं. ऑर्गेनिक बोर्ड में GI कोर्ट लगाने के बाद उन्होंने उत्तराखंड के कृषि मंत्री गणेश जोशी से भी मुलाकात की.
देहरादून में GI कोर्ट का आयोजन: उत्तराखंड के ऑर्गेनिक प्रोडक्ट को ग्लोबल इंडेक्स पर पहचान दिलाने के लिए GI टैग को लेकर भारत सरकार के अधिकारियों ने देहरादून ऑर्गेनिक बोर्ड में तमाम अलग अलग ऑर्गेनिक प्रोडक्ट की प्रजेन्टेशन ली. इसमें ज्यादातर मिलेट्स शामिल थे. देहरादून किसान भवन में मौजूद ऑर्गेनिक बोर्ड कार्यालय पर में भारत सरकार में महानियंत्रक उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार, डॉक्टर उन्नत पी पंडित ने GI कोर्ट का आयोजन किया.
उत्तराखंड के इन उत्पादों को मिलेगा जीआई टैग: आपको बता दें कि प्रदेश के हर एक जिले में एक कृषि उत्पाद यानी पूरे राज्य में 13 उत्पाद जिसमें- रेड राइस, बेरीनाग चाय, गहत की दाल, मंडुआ, झंगोरा, बुरांस का जूस, काला भट की दाल, चौलाई/रामदाना, लाखोरी मिर्च, पहाड़ी तोर दाल, माल्टा फ्रूट, रामनगर की लीची और रामगढ़ के आडू के अलावा 5 हैण्डीक्राफ्ट प्रोडक्ट सहित कुल 18 उत्पादों को GI टैग के जरिये ग्लोबल पहचान दिलाने के लिए इनका जियोग्राफिकल इंडिकेटर GI टैग देने की प्रक्रिया आखिरी फेज में चल रही है.
इसी प्रक्रिया के तहत प्रदेश के आवेदन पर केंद्र द्वारा GI टैग के आवेदनों पर डिटेल्ड इंस्पेक्शन, भौतिक सत्यापन किया जा रहा है. इसी के चलते भारत सरकार में पेटेंट, डिजाइन एंड ट्रेडमार्क के कंट्रोलर डॉक्टर उन्नत पंडित के साथ जीआई रजिस्ट्री कार्यालय, चेन्नई के अधिकारी के अलावा विशेषज्ञों की मौजूदगी में आवेदनों की सुनवाई की गई. आज यानी गुरुवार को भी सुनवाई जारी रहेगी.
क्या होता है जीआई टैग?: GI टैग (जियोग्राफिकल इंडिकेटर) के जरिए किसी विशेष प्रोडक्ट को भौगोलिक पहचान दी जाती है. यानी GI टैग से यह सत्यापित किया जाता है कि किसी विशेष उत्पाद के लिए कोई विशेष क्षेत्र अधिकृत है. यह इस चीज को सुनिश्चित करता है कि वह उत्पाद GI टैग में जिस भौगोलिक क्षेत्र में पैदा हुआ दर्शाया गया है, उसकी कॉपी दूसरा कोई व्यक्ति या संस्था या फिर देश नहीें कर सकता है. यह एक तरह से उत्पादों का कॉपी राइट है.
GI टैग प्राप्त करने की क्या है प्रक्रिया?: GI टैग केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय का उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग जारी करता है. किसी भौगोलिक क्षेत्र होने वाले किसी विशेष उत्पाद को GI टैग दिलवाने के लिए कोई भी कोई भी संस्था, इंडिविजुअल, सोसाइटी, डिपार्टमेंट या फिर एफपीओ आवेदन कर सकता है. जिस पर केंद्रीय GI बोर्ड पूरी जांच पड़ताल के बाद सभी मानकों को परख कर GI टैग अप्रूव करता है.
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डॉक्टर पंडित ने क्या कहा: जीआई बोर्ड के महानियंत्रक डॉक्टर पंडित ने उत्तराखंड के ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स की कोर्ट के बाद उत्तराखंड के कृषि मंत्री से भी मुलाकात की. उन्होंने इस बात की खुशी जताई कि जल्द ही उत्तराखंड अपना GI बोर्ड गठित करने वाला देश का पहला राज्य बन जायेगा. अभी यह प्रक्रिया गतिमान है. उत्तराखंड के बेरीनाग की चाय को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में उन्होंने प्रदेश के अधिकारियों को सुझाव दिया कि इसको और इसके बीज को अभी कहीं दूसरी जगह ना भेजें. जब तक इसको GI टैग ना मिल जाये. इसके अलावा उन्होंने यह भी सलाह दी कि सीमा पर मौजूद सिपाही को हाई न्यूट्रिशन उपलब्ध कराने के लिए उत्तराखंड ऑर्गेनिक बोर्ड सेना के शोध संस्थान DRDO के साथ मिलकर एक ऐसा केक बना सकता है, जो कि सैनिकों के साथ साथ गर्भवती महिला के लिए भी लाभकारी होगा.