दिल्ली/देहरादून: उत्तराखंड में दिनों वन्य जीव संघर्ष के मामले बढ़ते जा रहे हैं. राज्य सरकार से लेकर वन विभाग इस मामले में लगातार कोशिशों में लगा हुआ है. वन्य जीव संघर्ष के मामले में आज गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत ने लोकसभा में जानकारी दी. तीरथ सिंह रावत ने संसद में नियम 377 के तहत लोकसभा अध्यक्ष के माध्यम से भारत सरकार के वन मंत्री का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में बाघ और गुलदार के हमले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. अब तक उत्तराखंड में वन्य जीव संघर्ष में 50 लोगों की जान जा चुकी है. प्रदेश के कई क्षेत्रों में बाघों के हमलों से लोग प्रभावित होते हैं.
प्रदेश की पीड़ा को संसद के पटल पर रखते हुए रावत ने कहा कि आजकल उत्तराखंड प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में बाघ के हमले बढ़ गए हैं. अब तक राज्य में मानव-पशु संघर्ष में 50 लोगों की मौत की सूचना है. हर साल मानव-पशु संघर्ष में अनुमानित 70% हमले बाघ के कारण हुए हैं और जंगलों से सटे गांव में रहना असुरक्षित हो रखा है. यह स्थिति दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. जंगली जानवरों के हमलों के कारण ग्रामीण डर के साये में जीने को मजबूर हैं.
गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत ने कहा जंगली जानवरों के हमलों में बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग शामिल हैं. तीरथ सिंह रावत ने बताया पौड़ी जिले के थलीसैंण, पौड़ी, पाबौ, एकेश्वर, पोखड़ा, बीरोंखाल सहति सभी विकासखंड बाघों से हमले से ज्यादा प्रभावित हैं. तीरथ सिंह रावत ने बताया वन्य जीव संघर्ष के कारण पौड़ी जिले के मंझगांव, भरतपुर और डबरा गांव पूरी तरह से खाली हो गया है. वहीं रुद्रप्रयाग जनपद के जखोली विकासखंड एवं बस्ता ग्राम रुद्रप्रयाग वन प्रमंडल में कई घटनाएं घटित हुई हैं, इन क्षेत्रों में बाघों के हमले की आशंका से खेती भी प्रभावित हो रही है.
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तीरथ सिंह रावत ने अपनी बात करते हुए केंद्रीय वन मंत्री एवं भारत सरकार से आग्रह किया कि राज्य से बाघों और गुलदारों को पकड़कर अन्य क्षेत्रों में स्थानांतरित करने के लिए तत्काल ठोस कदम उठाए जाएं एवं बाघों के हमले को रोकने के लिए कोई ठोस कदम और नीति बनाई जाए, जिससे कि उत्तराखंड प्रदेश एवं विशेषकर गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र के लोग इस भय से मुक्त हो सकें.