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कूड़ा निस्तारण में ऋषिकेश नगर निगम फेल, पहले खुद ली जिम्मेदारी और अब पीछे खींचे हाथ! - garbage disposal became a big problem in Rishikesh

उत्तराखंड के शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का घर होने के बावजूद ऋषिकेश में कूड़ा निस्तारण एक बड़ी समस्या बन चुका है. पहले ऋषिकेश नगर निगम ने खुद के खर्चे पर कूड़ा निस्तारण करने का बीड़ा उठाया था. अब बजट का रोना रो कर निगम गेंद शासन के पाले में डाल रहा है.

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कूड़ा निस्तारण में ऋषिकेश नगर निगम फेल.
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Published : Aug 6, 2022, 4:13 PM IST

Updated : Aug 7, 2022, 3:02 PM IST

ऋषिकेश: तीर्थ नगरी में दशकों पुरानी कूड़ा निस्तारण की समस्या (garbage disposal problem) का हल ऋषिकेश नगर निगम (Rishikesh Municipal Corporation) को करना था. लेकिन जब धनराशि का बंदोबस्त नहीं हुआ, तो बजट की गेंद शासन के पाले में डाल दी गई. शासन ने भी धनराशि की दरकार पर तेजी से एक्शन लिया. बावजूद इसके हाई एंपवार्ड कमेटी की बैठक (Empowered Committee meeting) के इंतजार में यह धनराशि निगम को जारी नहीं हो पाई है.

दिलचस्प बात यह है कि पहले नगर निगम प्रशासन ने ही खुद के खर्चे पर हजारों टन कूड़े के निस्तारण का बीड़ा उठाया था. बाकायदा, इसके लिए शासन से मंजूरी भी ली गई और इसका शासनादेश भी जारी हुआ. हैरानी यह भी है कि बजट जारी करने की मांग को लेकर कई दफा हंगामा भी हुआ. निगम से लेकर राजधानी देहरादून तक बजट का मामला पहुंचा. जबकि, यह जिक्र कहीं सामने नहीं आया कि पहले निगम ही स्वयं से धनराशि खर्च कर कूड़ा निस्तारण करने वाला था.
ये भी पढ़ें: लैंडस्लाइड के बाद एंबुलेंस के लिए नहीं था रास्ता, मरीजों के लिए फरिश्ता बने चमोली पुलिस के जवान

बता दें कि, केंद्रीय वित्त की धनराशि से निगम ने कूड़ा निस्तारण करने वाली निजी एजेंसी को लगभग एक करोड़ रुपए जारी भी किए हैं. धनराशि के अभाव में कूड़ा निस्तारण की प्रगति प्रभावित है. निस्तारण में देरी से शहर के लोग दुर्गंध और कूड़े के पहाड़ से तो परेशान हैं ही, देश-दुनिया से पहुंचने वाले सैलानी भी शहर में हरिद्वार रोड से गुजरते वक्त डंपिंग ग्राउंड के पास से मुंह पर कपड़ा रखकर गुजरने को मजबूर हैं.

कूड़ा निस्तारण में ऋषिकेश नगर निगम फेल.

मंत्री जी! दशकों पुरानी है समस्या: क्षेत्रीय विधायक और शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल (Urban Development Minister Premchand Agarwal) का निजी आवास भी हरिद्वार रोड किनारे ही है. उनके आवास से कूड़ा डंपिंग ग्राउंड की दूरी कुछ ही मीटर पर है. मंत्री का काफिला हर रोज इसी सड़क से गुजरता है. वह चौथी बार विधायक हैं, तो संसदीय सचिव से लेकर पिछली सरकार में विधानसभा अध्यक्ष के पद पर भी आसीन रह चुके हैं. जबकि, इस बार उन्हें शहरी विकास विभाग (urban development department) का मंत्रालय भी मिला है. बावजूद इसके दशकों पुरानी कूड़ा निस्तारण की समस्या का हल न होना कई सवाल खड़े करता है.

क्या कहते हैं नगर आयुक्त: ऋषिकेश नगर आयुक्त राहुल कुमार गोयल के मुताबिक हरिद्वार रोड किनारे डंप कूड़े के निस्तारण के लिए पहले नगर निगम में केंद्र और राज्य वित्त व आय खर्च करने का फैसला लिया था. मंजूरी मिलने के बाद शासन से इसका आदेश भी जारी हुआ था. निस्तारण का कार्य शुरू होने पर उम्मीद के अनुरूप बजट नहीं मिला. लिहाजा, शासन से कूड़ा निस्तारण के लिए धनराशि जारी करने की मांग की गई. शासन ने भी मांग को स्वीकार करते हुए धनराशि स्वीकृत जरूर कर दी है, लेकिन यह पैसा मुख्य सचिव की अध्यक्षता में होने वाले हाई एंपवार्ड कमेटी की बैठक के बाद ही रिलीज होगा.

ऋषिकेश: तीर्थ नगरी में दशकों पुरानी कूड़ा निस्तारण की समस्या (garbage disposal problem) का हल ऋषिकेश नगर निगम (Rishikesh Municipal Corporation) को करना था. लेकिन जब धनराशि का बंदोबस्त नहीं हुआ, तो बजट की गेंद शासन के पाले में डाल दी गई. शासन ने भी धनराशि की दरकार पर तेजी से एक्शन लिया. बावजूद इसके हाई एंपवार्ड कमेटी की बैठक (Empowered Committee meeting) के इंतजार में यह धनराशि निगम को जारी नहीं हो पाई है.

दिलचस्प बात यह है कि पहले नगर निगम प्रशासन ने ही खुद के खर्चे पर हजारों टन कूड़े के निस्तारण का बीड़ा उठाया था. बाकायदा, इसके लिए शासन से मंजूरी भी ली गई और इसका शासनादेश भी जारी हुआ. हैरानी यह भी है कि बजट जारी करने की मांग को लेकर कई दफा हंगामा भी हुआ. निगम से लेकर राजधानी देहरादून तक बजट का मामला पहुंचा. जबकि, यह जिक्र कहीं सामने नहीं आया कि पहले निगम ही स्वयं से धनराशि खर्च कर कूड़ा निस्तारण करने वाला था.
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बता दें कि, केंद्रीय वित्त की धनराशि से निगम ने कूड़ा निस्तारण करने वाली निजी एजेंसी को लगभग एक करोड़ रुपए जारी भी किए हैं. धनराशि के अभाव में कूड़ा निस्तारण की प्रगति प्रभावित है. निस्तारण में देरी से शहर के लोग दुर्गंध और कूड़े के पहाड़ से तो परेशान हैं ही, देश-दुनिया से पहुंचने वाले सैलानी भी शहर में हरिद्वार रोड से गुजरते वक्त डंपिंग ग्राउंड के पास से मुंह पर कपड़ा रखकर गुजरने को मजबूर हैं.

कूड़ा निस्तारण में ऋषिकेश नगर निगम फेल.

मंत्री जी! दशकों पुरानी है समस्या: क्षेत्रीय विधायक और शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल (Urban Development Minister Premchand Agarwal) का निजी आवास भी हरिद्वार रोड किनारे ही है. उनके आवास से कूड़ा डंपिंग ग्राउंड की दूरी कुछ ही मीटर पर है. मंत्री का काफिला हर रोज इसी सड़क से गुजरता है. वह चौथी बार विधायक हैं, तो संसदीय सचिव से लेकर पिछली सरकार में विधानसभा अध्यक्ष के पद पर भी आसीन रह चुके हैं. जबकि, इस बार उन्हें शहरी विकास विभाग (urban development department) का मंत्रालय भी मिला है. बावजूद इसके दशकों पुरानी कूड़ा निस्तारण की समस्या का हल न होना कई सवाल खड़े करता है.

क्या कहते हैं नगर आयुक्त: ऋषिकेश नगर आयुक्त राहुल कुमार गोयल के मुताबिक हरिद्वार रोड किनारे डंप कूड़े के निस्तारण के लिए पहले नगर निगम में केंद्र और राज्य वित्त व आय खर्च करने का फैसला लिया था. मंजूरी मिलने के बाद शासन से इसका आदेश भी जारी हुआ था. निस्तारण का कार्य शुरू होने पर उम्मीद के अनुरूप बजट नहीं मिला. लिहाजा, शासन से कूड़ा निस्तारण के लिए धनराशि जारी करने की मांग की गई. शासन ने भी मांग को स्वीकार करते हुए धनराशि स्वीकृत जरूर कर दी है, लेकिन यह पैसा मुख्य सचिव की अध्यक्षता में होने वाले हाई एंपवार्ड कमेटी की बैठक के बाद ही रिलीज होगा.

Last Updated : Aug 7, 2022, 3:02 PM IST
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