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पहाड़ों से उतरते ही दूषित हो रही मां गंगा, नमामि गंगे योजना पर उठ रहे सवाल

गंगा में दूषित पानी गिरने से गंगा मैली होती जा रही है, यह हालत कहीं और नहीं बल्कि तीर्थनगरी ऋषिकेश की ही है. जहां कई घरों और होटलों का सीवर रम्भा नदी के जरिए गंगा में गिर रहा है. जिससे लोगों की भावनाएं तो आहत हो ही रही हैं, साथ ही गंगा स्वच्छता के दावे को भी पलीता लग रहा है.

दूषित हो रही मां गंगा
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Published : Nov 24, 2019, 7:11 PM IST

ऋषिकेश: गंगा स्वच्छता को लेकर सरकार द्वारा किये गये लाख दावे सिफर ही साबित हो रहे हैं. नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा की स्वच्छ्ता के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर दिए गये. लेकिन आज भी गंगा में सीवरेज लगातार गिर रहा है, और ये सब तीर्थनगरी ऋषिकेश में हो रहा है. वहीं, इस मामले को लेकर अधिकारी भी खोखले दावे करते हुए नजर आ रहे हैं. देखिए खास रिपोर्ट...

ऋषिकेश की पौराणिक नदी रम्भा काली की ढाल से निकलकर वीरभद्र महादेव मंदिर के किनारे से होकर गंगा में मिलती है. लेकिन रम्भा नदी को अब रम्भा नाले के रूप में जाना जाने लगा है. रम्भा का पानी अब दूषित हो चुका है. इस नदी में हजारों लोगों के घरों का सीवरेज मिल रहा है. वहीं, रम्भा नदी के किनारे बड़े-बड़े होटल भी बन गए हैं, जिनका सीवरेज भी रम्भा से होते हुए गंगा में मिल रहा है.

ऋषिकेश में दूषित हो रही मां गंगा.

लोगों का कहना है कि सरकार द्वारा गंगा की स्वच्छता और निर्मलता के लिए लाखों करोड़ों रुपए खर्च करने के दावे किये जा रहे हैं. लेकिन गंगा की हालत में सुधार नहीं देखा जा रहा है. लोगों का आरोप है कि सरकार ने गंगा के नाम पर कई करोड़ रुपयों को ठिकाने लगाया है.

स्थानीय पार्षद बताते हैं कि गंगा में गिर रहे दूषित पानी की शिकायत कई बार विभाग को की गई. लेकिन किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया गया. जिसकी वजह से गंगा ऋषिकेश में ही मैली हो रही है. बता दें कि गंगा को लेकर जिलाधिकारी द्वारा हर महीने दो बार जिला गंगा सुरक्षा समिति की बैठक आयोजित होती है. जिसमे गंगा की स्वच्छता को लेकर अधिकारियों को कई निर्देश दिए जाते हैं.

पढ़ें- हरिद्वारः बाबा रामदेव के खिलाफ दलित समाज उग्र, आंबेडकर पर दिए बयान से हैं नाराज

वहीं, जब रम्भा से होकर गंगा में मिल रही गंदगी पर जिलाधिकारी सी. रविशंकर का कहना है कि यहां पर कई नाले टैप कर दिए गए हैं, वहीं कई नालों पर कार्य जारी है. उन्होंने कहा कि जैसे ही एसटीपी बनकर तैयार हो जाएगी, सभी नालों को टैप कर उनको एसटीपी से जोड़ दिया जाएगा.

बहरहाल, 2014 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी वाराणसी से चुनाव लड़े और जीतकर प्रधानमंत्री बने. जिसके बाद लोगों को उम्मीद थी कि अब गंगा स्वच्छ और निर्मल हो जाएगी. लेकिन आज 5 वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है, बावजूद इसके गंगा की स्थिति सुधरती नहीं दिख रही है.

ऋषिकेश: गंगा स्वच्छता को लेकर सरकार द्वारा किये गये लाख दावे सिफर ही साबित हो रहे हैं. नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा की स्वच्छ्ता के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर दिए गये. लेकिन आज भी गंगा में सीवरेज लगातार गिर रहा है, और ये सब तीर्थनगरी ऋषिकेश में हो रहा है. वहीं, इस मामले को लेकर अधिकारी भी खोखले दावे करते हुए नजर आ रहे हैं. देखिए खास रिपोर्ट...

ऋषिकेश की पौराणिक नदी रम्भा काली की ढाल से निकलकर वीरभद्र महादेव मंदिर के किनारे से होकर गंगा में मिलती है. लेकिन रम्भा नदी को अब रम्भा नाले के रूप में जाना जाने लगा है. रम्भा का पानी अब दूषित हो चुका है. इस नदी में हजारों लोगों के घरों का सीवरेज मिल रहा है. वहीं, रम्भा नदी के किनारे बड़े-बड़े होटल भी बन गए हैं, जिनका सीवरेज भी रम्भा से होते हुए गंगा में मिल रहा है.

ऋषिकेश में दूषित हो रही मां गंगा.

लोगों का कहना है कि सरकार द्वारा गंगा की स्वच्छता और निर्मलता के लिए लाखों करोड़ों रुपए खर्च करने के दावे किये जा रहे हैं. लेकिन गंगा की हालत में सुधार नहीं देखा जा रहा है. लोगों का आरोप है कि सरकार ने गंगा के नाम पर कई करोड़ रुपयों को ठिकाने लगाया है.

स्थानीय पार्षद बताते हैं कि गंगा में गिर रहे दूषित पानी की शिकायत कई बार विभाग को की गई. लेकिन किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया गया. जिसकी वजह से गंगा ऋषिकेश में ही मैली हो रही है. बता दें कि गंगा को लेकर जिलाधिकारी द्वारा हर महीने दो बार जिला गंगा सुरक्षा समिति की बैठक आयोजित होती है. जिसमे गंगा की स्वच्छता को लेकर अधिकारियों को कई निर्देश दिए जाते हैं.

पढ़ें- हरिद्वारः बाबा रामदेव के खिलाफ दलित समाज उग्र, आंबेडकर पर दिए बयान से हैं नाराज

वहीं, जब रम्भा से होकर गंगा में मिल रही गंदगी पर जिलाधिकारी सी. रविशंकर का कहना है कि यहां पर कई नाले टैप कर दिए गए हैं, वहीं कई नालों पर कार्य जारी है. उन्होंने कहा कि जैसे ही एसटीपी बनकर तैयार हो जाएगी, सभी नालों को टैप कर उनको एसटीपी से जोड़ दिया जाएगा.

बहरहाल, 2014 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी वाराणसी से चुनाव लड़े और जीतकर प्रधानमंत्री बने. जिसके बाद लोगों को उम्मीद थी कि अब गंगा स्वच्छ और निर्मल हो जाएगी. लेकिन आज 5 वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है, बावजूद इसके गंगा की स्थिति सुधरती नहीं दिख रही है.

Intro:Special


ऋषिकेश--गंगा स्वच्छता को लेकर सरकार के लाख दावों के बावजूद आज भी गंगा की स्थिति जस की तस है,नमामि गंगे परियोजना के तहत सरकार ने गंगा की स्वच्छ्ता के लिए करोड़ो रुपए खर्च कर दिए लेकिन आज भी गंगा में दूषित पानी गिर रहा है,जिसके चलते अब आस्थावान लोगों की आस्था पर ठेस पंहुच रही है,वहीं इस मामले को लेकर अधिकारी भी सिर्फ खोखले दावे करते नजर आरहे हैं।


Body:वी/ओ--गौमुख से निकली गंगा 2525 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद गंगासागर में समा जाती है,इस दौरान गंगा कई शहरों से होकर गुजरती है गंगा की वजह से कई शहरों के लाखों लोगों को पेयजल मिलता है,गंगा का पानी 10 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल की उपजाऊ भूमि की संरचना करती है,इतना ही नही गंगा की वजह से कई लोगों का व्यापार भी फल फूल रहा है गंगा से निकलने वाला उपखनिज से सरकार को राजस्व तो मिल ही रहा है साथ ही खनन व्यापारियों का भी खूब फायदा होता है,गंगा के ऊपर बने छोटे छोटे डैम से प्रतिमाह सरकार को करोड़ो रूपये का राजस्व बिजली उत्पादन से मिलता है,लेकिन इनमें से कोई भी नुमाइंदा गंगा का ध्यान दने वाला नही है यही कारण है कि आज गंगा में गंदे नाले डाले जा रहे हैं।


वी/ओ--आपको बताता हूँ ऋषिकेश की पौराणिक नदी रम्भा जो कि काले की ढाल से निकलकर वीरभद्र महादेव मंदिर के किनारे होकर गंगा में मिलती है लेकिन रम्भा नदी को अब रम्भा नाले के रूप में जाना जाने लगा है रम्भा का पानी जितना ही साफ हुआ करता था वह उतना ही दूषित हो गया है इस नदी में हजारों लोगों का सीवर मिल रहा है और सारा कुछ गंगा के भीतर जा रहा है, रम्भा नदी काले की ढाल से शुरू होकर शिवाजी नगर और फिर आमबाग,वीरपुर खुर्द और फिर गंगा में समा जाती है रम्भा नदी के किनारे बसे क्षेत्रों के लोगों ने अपने अपने घरों का सारा गंदा पानी रम्भा में ही डाल देते हैं इतना ही नही इसके किनारे बड़े बड़े होटल भी बन गए जिनका सीवर भी रम्भा से होते हुए गंगा में मिल रहा है।

वी/ओ--गंगा में रम्भा नदी के माध्यम से दूषित पानी जाने की वजह से आस्थावान लोगों की धार्मिक भावनाएं भी आहत हो रही है लोगों का कहना है कि सरकार के द्वारा गंगा की स्वच्छता और निर्मलता के लिए लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर दिए लेकिन फिर भी गंगा की हालत दयनीय बनी हुई है यहां पर सीधे सीधे सीवर का गंदा पानी गंगा में जा रहा है लोगों का आरोप है कि सरकार ने गंगा के नाम पैसों को ठिकाने लगाया है,स्थानीय पार्षद ने बताया कि गंगा ने दूषित पानी गिरने की शिकायत कई बार विभाग को की गई लेकिन किसी ने भी इस ओर ध्यान नही दिया,जसिकी वजह से आज गंगा अपने मायके में ही मैली होती जा रही है।


वी/ओ--गंगा को लेकर जिलाधिकारी के द्वारा प्रत्येक माह में दो बार जिला गंगा सुरक्षा समिति के तहत बैठक आयोजित होती है जिसमे गंगा की स्वच्छता को लेकर अधिकारियों को कई निर्देश दिए जाते है,वहीं जब रम्भा से होकर गंगा में मिल रहे गंदे नाले को लेकर जिलाधिकारी सी रविशंकर से पूछा गया उनका कहना था कि यहां पर कई नाले टैप कर लिए गए है इसी के साथ कई नालों पर कार्य जारी है जैसे ही एसटीपी बनकर तैयार हो जाएगी सभी नालों को टैप कर उनको एसटीपी से जोड़ दिया जाएगा।


Conclusion:वी/ओ--किस बेटे आए दुखड़ा रोये इसी से गंगा मौन है जी हां शायद आज गंगा भी यही सोचती है,2014 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी वाराणसी से चुनाव लड़े और जीतकर प्रधानमंत्री बने जिसके बाद लोगों को उम्मीद थी कि अब गंगा स्वच्छ और निर्मल हो जाएगी क्योंकि प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने गंगा को लेकर कई दावे करते हुए था कि गंगा हमारी माँ है और अपनी को हम दूषित नही होने देंगे,लेकिन आज 5 वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है लेकिन गंगा की स्थिति बदतर होती जा रही है।
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