विकासनगर: जौनसार बावर के ईष्ट देव चालदा महासू मंदिर समाल्टा के खत पट्टी के 12 गांवों के ग्रामीणों ने बिस्सू और फूलियात पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया. यहां ग्रामीण ढोल दमाऊं की थाप और लोक गीतों पर थिरकते नजर आए. इस मौके पर श्रद्धालुओं ने चालदा महासू देवता को बुरांश के फूल अर्पित कर सुख समृद्धि की कामना की.
जौनसार बावर जनजातीय क्षेत्र अपनी अलग पौराणिक संस्कृति के लिए जाना जाता है. यहां बिस्सू पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है. चालदा महासू मंदिर समाल्टा में भी ग्रामीणों ने हाथों में खुशहाली के प्रतीक बुरांश का फूल लेकर सुख समृद्धि की कामना की. ढोल दमाऊं की थाप पर ग्रामीण लोक गीतों पर थिरकते नजर आए.
महासू चालदा देवता मंदिर समाल्टा में बिस्सू पर्व का आगाज हो गया है. खुशहाली व समृद्धि का प्रतीक माना जाने वाला यह त्यौहार फुलिया पर्व से शुरू किया गया. इस पर्व का जौनसार बावर में खास महत्व है. इस पर्व में लोग अपने ईष्ट देवता को बुरांश के फूल अर्पित करते हैं. चालदा महासू मंदिर समाल्टा में भी बिस्सू पर्व पर फूलियात पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. 12 गांवों के लोगों ने महासू देवता को फूल अर्पित किए. समाल्टा में ढोल दमाऊ के साथ हाथों में बुरांश के फूलों को लेकर खत पट्टी की गांव गांव की टोलियां (समूह) नाचते गाते मंदिर पहुंचे. पर्व को लेकर ग्रामीणों में काफी उत्साह नजर आया.
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चालदा महासू मंदिर समिति के अध्यक्ष सरदार सिंह तोमर ने कहा कि बिस्सू पर्व फूलियात के रूप में मनाया जाता है. पूरे खत पट्टी के 12 गांवों के लोग इसमें हिस्सा लेते हैं. महासू देवता के बजीर दिवान सिंह राणा ने कहा कि बिस्सू पर्व पर सबसे पहले यहां बुरांश के फूल चढ़ते हैं. 3 दिन लगातार इन फूलों को लाने के लिए भूखे पेट जंगल जाना पड़ता है. उसके बाद लाये गये बुरांश को देवता को अर्पित किया जाता है. इसे पुलिया पर्व कहा जाता है.
सूचना विभाग के उपनिदेशक कलम सिंह चौहान ने बताया खत पट्टी में 67 साल बाद यहां देवता विराजमान हुए थे. डेढ़ वर्ष तक देवता की सेवा का मौका मिला. उसके बाद आज दसऊ गांव प्रस्थान करेंगे. सभी जंगल से बुरांश के फूल लाकर मंदिर में अर्पित कर रहे हैं. ग्रामीणों ने अपने कुलदेवता चालदा महासू महाराज से देश प्रदेश और क्षेत्र की खुशहाली के लिए सुख समृद्धि की कामना की.