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यूज्ड कुकिंग ऑयल से फर्राटा भरेंगे वाहन, FSSAI बनाएगा बायो डीजल

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Published : Aug 6, 2019, 8:58 PM IST

Updated : Aug 6, 2019, 10:04 PM IST

इस प्रोजेक्ट में गाइड लाइन तैयार की गई है. इस गाइड लाइन में कहा गया है कि यूज्ड कुकिंग ऑयल को तीन बार से ज्यादा इस्तेमाल नहीं करें क्योंकि इससे ज्यादा इस्तेमाल करने से तेल में टोटल पोलर कंपाउंड की मात्रा बढ़ जाती है. यह सेहत के लिए काफी हानिकारक है.

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देहरादून: अब पूरी-पकौड़ी तलने के बाद बचे हुए तेल से गाड़िया चलेगी, जी हां अब आप सोच रहे होंगे कि यह कैसे मुमकिन हैं, लेकिन यह दावा किया है एफएसएसएआई (खाद्य नियामक भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण) ने. एफएसएसएआई अब यूज्ड कुकिंग ऑयल से बायो डीजल बनाने की तैयारी में है. इसके लिए RUCO प्रोजेक्ट को लॉन्च किया गया है.

दुकानदार अब एक ही तेल में 3 बार से अधिक खाद पदार्थ नहीं बना सकेंगे. क्योंकि बचे हुए खराब तेल को संग्रह कर इससे बायो डीजल बनाया जाएगा. जिससे गाड़ी चलेगी. इस योजना को RUCO नाम दिया गया है. इसके लिए खाद्य सुरक्षा विभाग ने देहरादून हलवाई एसोसिएशन और देहरादून बेकरी एसोसिएशन के सहयोग से एक कार्यशाला भी आयोजित की.

पढ़ें- उत्तराखंड के ये 5 बड़े सड़क हादसे, सैकड़ों लोगों ने गंवा दी अपनी जान

इसके लिए कुछ नियम बनाए गए है. नियम के मुताबिक, अब कोई भी हलवाई यूज्ड कुकिंग ऑयल को तीन बार से ज्यादा इस्तेमाल नहीं कर सकते है. क्योंकि, तेल को बार-बार गर्म करने से इसमें टोटल पोलर कंपाउंड (टीपीसी) 25 फ़ीसदी से कहीं अधिक हो जाता है, जो इसे जहरीला बनाता है, ये सहेत के लिए हानिकारण हो सकता है, जो कैंसर जैसी बीमारियों को जन्म देता है.

FSSAI बनाएगा बायो डीजल

इसके लिए हलवाई और बेकरी वालों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है. पहले वो है जो रोजाना 50 लीटर से अधिक तेल का इस्तेमाल करने वाले, दूसरे 25 से 50 लीटर के बीच में, तीसरे 25 लीटर से कम तेल का इस्तेमाल करने वाले है.

पढ़ें- पहाड़ पर आफत: चमोली में बादल फटा, पुलिया और प्राइमरी स्कूल का हिस्सा बहा

खाद्य सुरक्षा विभाग के अभिहित जीसी कंडवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि एफएसएसएआई बायो डीजल बनाने की परिकल्पना के लिए आगे बढ़ेगा. एफएसएसएआई पेट्रोलियम विभाग के साथ काम कर रहा हैं. कारोबारियों को किस तरह तेल को इकट्ठा करना है, इसकी उन्हें जानकारी दे दी गई है. सम्बंधित विभाग इस तेल को लेकर प्लांट में जाएगा, जहां इसका डीजल बनाया जाएगा.

देहरादून: अब पूरी-पकौड़ी तलने के बाद बचे हुए तेल से गाड़िया चलेगी, जी हां अब आप सोच रहे होंगे कि यह कैसे मुमकिन हैं, लेकिन यह दावा किया है एफएसएसएआई (खाद्य नियामक भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण) ने. एफएसएसएआई अब यूज्ड कुकिंग ऑयल से बायो डीजल बनाने की तैयारी में है. इसके लिए RUCO प्रोजेक्ट को लॉन्च किया गया है.

दुकानदार अब एक ही तेल में 3 बार से अधिक खाद पदार्थ नहीं बना सकेंगे. क्योंकि बचे हुए खराब तेल को संग्रह कर इससे बायो डीजल बनाया जाएगा. जिससे गाड़ी चलेगी. इस योजना को RUCO नाम दिया गया है. इसके लिए खाद्य सुरक्षा विभाग ने देहरादून हलवाई एसोसिएशन और देहरादून बेकरी एसोसिएशन के सहयोग से एक कार्यशाला भी आयोजित की.

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इसके लिए कुछ नियम बनाए गए है. नियम के मुताबिक, अब कोई भी हलवाई यूज्ड कुकिंग ऑयल को तीन बार से ज्यादा इस्तेमाल नहीं कर सकते है. क्योंकि, तेल को बार-बार गर्म करने से इसमें टोटल पोलर कंपाउंड (टीपीसी) 25 फ़ीसदी से कहीं अधिक हो जाता है, जो इसे जहरीला बनाता है, ये सहेत के लिए हानिकारण हो सकता है, जो कैंसर जैसी बीमारियों को जन्म देता है.

FSSAI बनाएगा बायो डीजल

इसके लिए हलवाई और बेकरी वालों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है. पहले वो है जो रोजाना 50 लीटर से अधिक तेल का इस्तेमाल करने वाले, दूसरे 25 से 50 लीटर के बीच में, तीसरे 25 लीटर से कम तेल का इस्तेमाल करने वाले है.

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खाद्य सुरक्षा विभाग के अभिहित जीसी कंडवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि एफएसएसएआई बायो डीजल बनाने की परिकल्पना के लिए आगे बढ़ेगा. एफएसएसएआई पेट्रोलियम विभाग के साथ काम कर रहा हैं. कारोबारियों को किस तरह तेल को इकट्ठा करना है, इसकी उन्हें जानकारी दे दी गई है. सम्बंधित विभाग इस तेल को लेकर प्लांट में जाएगा, जहां इसका डीजल बनाया जाएगा.

Intro:अब पूरी-पकौड़ी तलने के बाद बचे हुए तेल से गाड़िया चलेगी, जी हां अब आप सोच रहे होंगे कि यह कैसे मुमकिन हैं लेकिन यह दावा किया गया है।एफएसएसएआई ने इसकी कवायद शुरू कर दी है,दुकानदार अब एक ही तेल में 3 बार से अधिक खाद पदार्थ नहीं बना सकेंगे साथ ही अब दुकानों में और प्रतिष्ठानों में बचे हुए खराब तेल का संग्रह कर इससे बायो डीजल बनाया जाएगा जिससे गाड़ी चलेगी,इस योजना को रिपरपज यूज़ कुकिंग ऑयल नाम दिया गया है।खाद्य सुरक्षा विभाग ने देहरादून हलवाई एसोसिएशन और देहरादून बेकरी एसोसिएशन के सहयोग जागरूक करने के लिए कार्यशाला का भी आयोजित की जा रही है।


Body:हलवाई और प्रतिष्ठानों के यहां बार-बार तेल गर्म करने पर तेल का टोटल पोलर कंपाउंड 25 फ़ीसदी से कहीं अधिक हो जाता है जो इसे जहरीला बना देता है खासतौर से मांसाहारी भोजन बनाने के बाद बचे तेल का प्रयोग करने से कहीं अधिक खतरनाक बीमारियां पैदा हो सकते हैं,और खासकर कैंसर का मुख्य कारक माना जाता है।हलवाई और प्रतिष्ठानों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है जिसमें रोजाना 50 लीटर से अधिक तेल का इस्तेमाल करने वाले ,25 से 50 लेटर के बीच का तेल का इस्तेमाल करने वाले और 25 लीटर से कम तेल का इस्तेमाल करने वालों के लिए इस योजना के अंतर्गत लाया जाएगा।
दिल्ली एस एस एस आई में 30 जनवरी को आदेश जारी करते हुए कहा था कि तलने के लिए एक ही तेल के बार-बार इस्तेमाल से खाने के तेल के प्रकृति और गुण बदल जाते हैं ऐसे तेल में टोटल पोलर कंपाउंड पैदा हो जाते हैं इसके खाने में इस्तेमाल होने से सेहत पर गंभीर दुष्परिणाम होते हैं।और पहले ही नियम बनाकर ऐसे तेल के खाने में इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है जिससे टीपीसी 25 फ़ीसदी से ज्यादा हो जाता है और ऐसा तेल किसी भी तरह से खास संदला में वापस नहीं लाया जा सकता है।


Conclusion:खाद्य सुरक्षा विभाग के अभिहित जीसी कंडवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि एफएसएसएआई ने नया रिपरपज यूज़ कुकिंग ऑयल नाम दिया गया है।शहर के जितने भी हलवाई ओर प्रतिष्ठान के यहा इस्तेमाल होने वाले तेल को बार -बार प्रयोग करने पर कई तरह की बीमारियों का खतरा बना रहता है,उन सब चीजों को कन्ट्रोल करने के लिए यह योजना भारत सरकार के द्वारा शुरू की गई और इसके आदेश जारी हो चुके है।सबसे पहले खाद्य सुरक्षा विभाग कारोबारियों को इस योजना के बारे में जागरूकता फैलाने का काम कर रहे हैं।और उसके बाद एफएसएसएआई की बायो डीजल बंनाने की परिकल्पना के लिए आगे बढेगे।ओर एफएसएसएआई पेट्रोलियम के साथ काम कर रही हैं।साथ कारोबारियों को किस तरह तेल को इकट्टा करना है ओर सम्बंधित विभाग उसको लेकर प्लांट में ले जाकर बायो डीजल बंनाने की प्रक्रिया की जाएगी।

बाइट-जी सी कंडवाल(अभिहित,खाद्य सुरक्षा विभाग)
Last Updated : Aug 6, 2019, 10:04 PM IST
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