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Health Workers Demand: फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स ने उठाई समायोजित करने की मांग

प्रदेश में कोरोनाकाल में फ्रंटलाइन वर्कर्स ने काफी बेहतर कार्य किया. उन्होंने दिन-रात एक कर लोगों की सेवा की. लेकिन उन्हें सरकार की ओर से समायोजित नहीं किया गया. इसके लेकर उनमें खासा रोष है. स्टेट फ्रंटलाइन हेल्थ वर्क्स यूनियन के कर्मचारियों ने मांगों को लेकर आंदोलन की चेतावनी दी है.

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Published : Jan 16, 2023, 10:06 AM IST

देहरादून: स्टेट फ्रंटलाइन हेल्थ वर्क्स यूनियन ने विभाग में समायोजित किए जाने की मांग उठाई है. कोरोनाकाल में फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स द्वारा लाखों लोगों की जिंदगी बचाई गई. जिसकी सराहना राज्य सरकार ने अलग-अलग मंचों से की. लेकिन सरकार द्वारा इन हेल्थ वर्कर्स को अभी तक समायोजित नहीं किया गया है. हेल्थ वर्कर्स ने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा जारी किए गए शासनादेश में अब तक विभाग द्वारा इस मामले में उचित कार्रवाई तक नहीं की गई है. जिससे कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं.

उग्र आंदोलन की चेतावनी: हालांकि कुछ कोरोना वर्कर्स को सरकार ने जरूर समायोजित किया था. लेकिन अभी भी करीब 600 कर्मचारी बेरोजगार ही बैठे हैं. वहीं फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स के समर्थन में आए पूर्व कैबिनेट मंत्री हीरा सिंह बिष्ट का कहना है कि सरकार द्वारा कर्मचारियों को अभी तक स्वास्थ्य विभाग में समायोजित नहीं किया गया जो बेहद निंदनीय है. बिष्ट ने कहा कि अगर आगामी दिनों में सरकार ने इन्हें स्वास्थ्य विभाग में तैनाती नहीं दी तो उनके नेतृत्व में सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन किया जाएगा.
पढ़ें-Joshimath Sinking: देहरादून में निकाला जोशीमठ बचाओ पहाड़ बचाओ मार्च, राष्ट्रपति और पीएम को भेजेंगे पत्र

कर्मचारियों को सता रही भविष्य की चिंता: यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह कोरंगा का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए शासनादेश में अब तक विभाग द्वारा उचित कार्रवाई नहीं की गई है. जिससे कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं. ऐसे में अब तक कई कर्मचारियों को नियुक्ति भी नहीं दी गई है. उन्होंने कहा कि जिन कोरोना योद्धाओं को 15 सितंबर 2022 के आदेश के तहत 6 माह का सेवा विस्तार दिया गया था, सरकार द्वारा उन कर्मचारियों को 6 माह का सेवा विस्तार देने के साथ ही समायोजित किए जाने का भी आश्वासन दिया गया था.
पढ़ें-BK Samant Songs: लोकगायक बीके सामंत का गीत से संदेश, प्रकृति को मत उजाड़ो

अब तक इस मामले में भी सरकार की ओर से कोई उचित कार्रवाई नहीं की गई है. स्टेट फ्रंटलाइन हेल्थ वर्करों ने अपने वेतन का भी मामला उठाते हुए कहा कि चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग में जिन कोरोना योद्धाओं का सेवा विस्तार किया गया है, उन्हें विगत 3 माह से वेतन भी नहीं मिला है. कोरोना योद्धाओं का कहना है कि अगर सरकार द्वारा उनकी मांगों पर उचित कार्रवाई नहीं की गई तो सभी कर्मचारी आंदोलन करने के लिये बाध्य हो जायेंगे.

देहरादून: स्टेट फ्रंटलाइन हेल्थ वर्क्स यूनियन ने विभाग में समायोजित किए जाने की मांग उठाई है. कोरोनाकाल में फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स द्वारा लाखों लोगों की जिंदगी बचाई गई. जिसकी सराहना राज्य सरकार ने अलग-अलग मंचों से की. लेकिन सरकार द्वारा इन हेल्थ वर्कर्स को अभी तक समायोजित नहीं किया गया है. हेल्थ वर्कर्स ने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा जारी किए गए शासनादेश में अब तक विभाग द्वारा इस मामले में उचित कार्रवाई तक नहीं की गई है. जिससे कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं.

उग्र आंदोलन की चेतावनी: हालांकि कुछ कोरोना वर्कर्स को सरकार ने जरूर समायोजित किया था. लेकिन अभी भी करीब 600 कर्मचारी बेरोजगार ही बैठे हैं. वहीं फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स के समर्थन में आए पूर्व कैबिनेट मंत्री हीरा सिंह बिष्ट का कहना है कि सरकार द्वारा कर्मचारियों को अभी तक स्वास्थ्य विभाग में समायोजित नहीं किया गया जो बेहद निंदनीय है. बिष्ट ने कहा कि अगर आगामी दिनों में सरकार ने इन्हें स्वास्थ्य विभाग में तैनाती नहीं दी तो उनके नेतृत्व में सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन किया जाएगा.
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कर्मचारियों को सता रही भविष्य की चिंता: यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह कोरंगा का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए शासनादेश में अब तक विभाग द्वारा उचित कार्रवाई नहीं की गई है. जिससे कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं. ऐसे में अब तक कई कर्मचारियों को नियुक्ति भी नहीं दी गई है. उन्होंने कहा कि जिन कोरोना योद्धाओं को 15 सितंबर 2022 के आदेश के तहत 6 माह का सेवा विस्तार दिया गया था, सरकार द्वारा उन कर्मचारियों को 6 माह का सेवा विस्तार देने के साथ ही समायोजित किए जाने का भी आश्वासन दिया गया था.
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अब तक इस मामले में भी सरकार की ओर से कोई उचित कार्रवाई नहीं की गई है. स्टेट फ्रंटलाइन हेल्थ वर्करों ने अपने वेतन का भी मामला उठाते हुए कहा कि चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग में जिन कोरोना योद्धाओं का सेवा विस्तार किया गया है, उन्हें विगत 3 माह से वेतन भी नहीं मिला है. कोरोना योद्धाओं का कहना है कि अगर सरकार द्वारा उनकी मांगों पर उचित कार्रवाई नहीं की गई तो सभी कर्मचारी आंदोलन करने के लिये बाध्य हो जायेंगे.

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