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हरीश रावत ने कांग्रेस को मिली चुनावी हार की बताई वजह, पढ़ें पूरी खबर - reason of congress defeat in uttarakhand

रविवार को ट्वीट करते हुए हरीश रावत ने लिखा कि 'अपने मुख्यमंत्रित्व काल में अलविदा जुमे की नमाज के लिए एक घंटे के स्वैच्छिक अवकाश की सुविधा लागू करने की वजह से विधानसभा चुनाव में उनकी हार हुई.

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हरीश रावत ने कांग्रेस को मिली चुनावी हार की बताई वजह
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Published : Jan 17, 2021, 8:30 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने के बयान पर अडिग हैं. रविवार को उन्होंने कहा कि अगर पार्टी उन्हें यह जिम्मेदारी देती है तो इसे पूरी तरह निभाएंगे, लेकिन किसी दूसरे का चयन करती है तो भी वह उसका पूरा सहयोग करेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि अगर मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया गया तो भाजपा अपने संगठन और धनबल की बदौलत आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पर भारी पड़ सकती है.

रविवार को ट्वीट करते हुए हरीश रावत ने लिखा कि 'अपने मुख्यमंत्रित्व काल में अलविदा जुमे की नमाज के लिए एक घंटे के स्वैच्छिक अवकाश की सुविधा लागू करने की वजह से विधानसभा चुनाव में उनकी हार हुई. हरिद्वार में गंगा तट के किनारे आत्ममंथन करने के बाद रावत ने अपने सोशल मीडिया पेज पर अपने मन की बात लिखी. रावत ने लिखा कि गंगा जी के चारों तरफ कुछ अराध्य पुरुषों, भगवान कश्यप, भगवान बाल्मिकि, आदि के नाम से घाट बने हैं. इनमें से अधिकांश घाटों का नामकरण मेरे कार्यकाल में हुआ. हरीश रावत ने आगे लिखते हुए कहा कि खुद को सभी धर्मों का आदर करने का दिखाने के लिए मैने परशुराम जयंती के अवकाश के साथ ही एक और निर्णय किया था.

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हरिद्वार में हरीश रावत.

पढ़ें- उत्तराखंड में पहले दिन केवल 70% कोरोना टीकाकरण, लक्ष्य से चूका स्वास्थ्य विभाग!

रावत के अनुसार साल भर में एक दिन आने वाली अलविदा की नमाज़, रमजान के आखिरी जुमे की नमाज़ के लिए स्वैच्छिक रूप अर्जी देकर अवकाश लेने की सुविध दी थी. अवकाश एक घंटे का और उसका दुष्प्रचार इतना जबरदस्त कि मुझे उसी दुष्प्रचार के बल पर चुनावी हार झेलनी पड़ी. रावत ने गंगा से प्रार्थना की कि जिस प्रकार गंगाजल का भाव है कि व्यक्ति उससे आचमन और वजू कर सकता है. उसी प्रकार का आचरण मेरा भी बना रहे.

पढ़ें- देहरादून में बीजेपी कोर ग्रुप की बैठक, 17 फरवरी को सल्ट विधानसभा में होगा बड़ा कार्यक्रम

पिछले दिनों हरीश रावत ने सार्वजनिक रूप से यह टिप्पणी की थी कि पार्टी को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करना चाहिए. इसके बाद वह प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कुछ नेताओं के निशाने पर आ गए थे. इसे कांग्रेस में गुटबाजी के तौर पर भी देखा जा रहा है.

देहरादून: उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने के बयान पर अडिग हैं. रविवार को उन्होंने कहा कि अगर पार्टी उन्हें यह जिम्मेदारी देती है तो इसे पूरी तरह निभाएंगे, लेकिन किसी दूसरे का चयन करती है तो भी वह उसका पूरा सहयोग करेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि अगर मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया गया तो भाजपा अपने संगठन और धनबल की बदौलत आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पर भारी पड़ सकती है.

रविवार को ट्वीट करते हुए हरीश रावत ने लिखा कि 'अपने मुख्यमंत्रित्व काल में अलविदा जुमे की नमाज के लिए एक घंटे के स्वैच्छिक अवकाश की सुविधा लागू करने की वजह से विधानसभा चुनाव में उनकी हार हुई. हरिद्वार में गंगा तट के किनारे आत्ममंथन करने के बाद रावत ने अपने सोशल मीडिया पेज पर अपने मन की बात लिखी. रावत ने लिखा कि गंगा जी के चारों तरफ कुछ अराध्य पुरुषों, भगवान कश्यप, भगवान बाल्मिकि, आदि के नाम से घाट बने हैं. इनमें से अधिकांश घाटों का नामकरण मेरे कार्यकाल में हुआ. हरीश रावत ने आगे लिखते हुए कहा कि खुद को सभी धर्मों का आदर करने का दिखाने के लिए मैने परशुराम जयंती के अवकाश के साथ ही एक और निर्णय किया था.

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हरिद्वार में हरीश रावत.

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रावत के अनुसार साल भर में एक दिन आने वाली अलविदा की नमाज़, रमजान के आखिरी जुमे की नमाज़ के लिए स्वैच्छिक रूप अर्जी देकर अवकाश लेने की सुविध दी थी. अवकाश एक घंटे का और उसका दुष्प्रचार इतना जबरदस्त कि मुझे उसी दुष्प्रचार के बल पर चुनावी हार झेलनी पड़ी. रावत ने गंगा से प्रार्थना की कि जिस प्रकार गंगाजल का भाव है कि व्यक्ति उससे आचमन और वजू कर सकता है. उसी प्रकार का आचरण मेरा भी बना रहे.

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पिछले दिनों हरीश रावत ने सार्वजनिक रूप से यह टिप्पणी की थी कि पार्टी को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करना चाहिए. इसके बाद वह प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कुछ नेताओं के निशाने पर आ गए थे. इसे कांग्रेस में गुटबाजी के तौर पर भी देखा जा रहा है.

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