देहरादूनः उत्तराखंड में काम कर रही ईको टास्क फोर्स (eco task force) को लेकर वन महकमे में तमाम बिंदुओं पर विचार किया गया. टास्क फोर्स के अधीन राज्य वित्त पोषित कम्पनियों का (127 एवं 130 इन्फेंट्री बटालियन) राज्य सरकार पर बकाया देनदारी के संबंध में आगामी रणनीति पर बात हुई.
ईको टास्क फोर्स के रूप में काम कर रही 127 और 130 इन्फेंट्री बटालियन ने वन विभाग में विभागीय मंत्री सुबोध उनियाल के समक्ष टास्क फोर्स के किए गए कार्यों का प्रस्तुतीकरण किया. बता दें कि प्रदेश में ईको टास्क फोर्स की 4 कंपनियां कार्यरत हैं. इनमें से 2 भारत सरकार और 2 कंपनी उत्तराखंड सरकार द्वारा वित्त पोषित हैं. ईको टास्क फोर्स द्वारा अप्रैल 2008 से 31 मार्च 2022 तक सिविल सोयम, वन पंचायत एवं बंजर भूमि में लगभग 12 हजार वृक्षारोपण किया गया है.
वन मंत्री सुबोध उनियाल द्वारा निर्देश दिए गए कि उत्तराखंड सीमांत राज्य है. अतः राष्ट्रीय सुरक्षा एवं अखंडता को ध्यान में रखते हुए ईको टास्क फोर्स की गतिविधियों को जारी रखा जाना आवश्यक है. बैठक में निर्णय लिया गया कि ईको टास्क फोर्स में पूर्व सैनिक एवं प्रादेशिक सेना द्वारा चलाए जा रहे एवं पर्यावरण संरक्षण संबंधी परियोजनाओं को आगे 5 वर्षों के लिए विस्तारित किया जाए. ईको टास्क फोर्स की 2 राज्य पोषित कंपनियों के अधिष्ठान पर रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार को 30 सितंबर 2022 तक की जाने वाली प्रतिपूर्ति की देनदारी ₹135.23 करोड़ हो चुकी है.
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मंत्री द्वारा यह भी उल्लेख किया गया कि उत्तराखंड राज्य वित्तीय संसाधनों की दृष्टि से अधिक मजबूत नहीं है. इस वर्ष से भारत सरकार द्वारा वर्ष 2017 में जीएसटी लागू होने के पश्चात प्रदेश सरकार को क्षतिपूर्ति की व्यवस्था अब विद्यमान नहीं है. राज्य में उत्पादित वस्तुओं पर गंतव्य आधारित कर संग्रह (Tax collection) की व्यवस्था होने के कारण राजस्व की पर्याप्त प्राप्ति नहीं हो पा रही है.
अतः ईको टास्क फोर्स के अधिष्ठान व्यय की देनदारी की अब तक की जाने वाली प्रतिपूर्ति की देनदारी ₹135.23 करोड़ को माफ करने हेतु वन मंत्री द्वारा रक्षा मंत्री भारत सरकार से बैठक की जाएगी. ईको टास्क फोर्स के भविष्य में होने वाले अधिष्ठान व्यय हेतु उत्तराखंड के भुगतान के संबंध में उत्तराखंड के हिमालयी राज्य होने के दृष्टिगत भारत सरकार से 90% केन्द्रांश व 10% राज्यांश के फॉर्मूले पर किए जाने हेतु अनुरोध किया जाएगा.