देहरादूनः त्योहारी सीजन आते ही मिलावटखोर सक्रिय हो जाते हैं. मिलावटी मिठाई या अन्य खाद्य पदार्थों को खाने से सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है. ऐसे में मिलावटखोरों पर नकेल कसने के लिए राज्य के खाद्य सुरक्षा आयुक्त पंकज कुमार पांडेय ने संबंधित अधिकारियों को कड़े निर्देश जारी किए हैं. खाद्य सुरक्षा आयुक्त पांडेय की मानें तो जिलों को अब साप्ताहिक सैंपलिंग का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. साथ ही हफ्ते में हाई रिस्क निरीक्षण भी किया जाएगा. वहीं, दूध से बने खाद्य पदार्थों, तेल, मसाले आदि की 'कमोडिटी आधारित सैंपलिंग' कराई जा रही है.
खाद्य सुरक्षा आयुक्त पंकज कुमार पांडेय के अनुसार राज्य की सीमाओं पर पुलिस और आरटीओ जैसे विभागों के साथ मिलकर संयुक्त निरीक्षण कर रही है. सबसे अहम कदम खाद्य पदार्थों की सैंपलिंग के लिए निर्धारित समय को लेकर उठाया गया है. बीते सालों में जहां खाद्य पदार्थों की सैंपलिंग के बाद रिपोर्ट आने में लंबा समय लग जाता था, जिसे अब आसान कर दिया गया है. अब 14 दिनों के भीतर सैंपल रिपोर्ट आवश्यक रूप से आ जाती है. इसके लिए रुद्रपुर स्थित जांच प्रयोगशाला को विशेष रूप से निर्देश जारी किए गए हैं.
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47 कारोबारियों के खिलाफ वाद दायर, 98 में से 30 नमूने फेलः आयुक्त पांडेय ने बताया कि अक्टूबर महीने में खाद्य पदार्थों में मिलावटखोरी रोकने के लिए विशेष अभियान संचालित किया गया. इस अभियान अवधि में सभी 13 जिलों में कुल 523 विभिन्न खाद्य सामग्री मुख्यतयः दुग्ध उत्पाद, खाद्य तेल, बेसन, मसाले और मिठाइयों के नमूने लेकर लैब में भेजे गए. जबकि, 275 हाई रिस्क प्रतिष्ठानों मिठाई और अन्य निर्माण इकाइयों का निरीक्षण किया गया. इसके अलावा नियमों के उल्लंघन पर 47 खाद्य कारोबारियों के खिलाफ सक्षम न्यायालय में वाद दायर किए गए हैं. रुद्रपुर प्रयोगशाला में मिले 329 सैंपलों के सापेक्ष अब तक 98 की जांच पूरी की जा चुकी है. जबकि, 231 नमूनों की जांच प्रक्रिया में है. वहीं, जांच में 68 नमूनों की रिपोर्ट सही पाई गई है. जबकि, 30 नमूने मानकों पर खरे नहीं उतरे.
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हर महीने लिए जाएंगे 100 सैंपलः खाद्य सुरक्षा आयुक्त पंकज कुमार पांडेय ने खाद्य सुरक्षा के अंतर्गत भविष्य में की जाने वाली कार्रवाई के बारे में भी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि उपयोग में आने वाले खाद्य वस्तुओं को लेकर एफडीए की ओर से नवंबर 2021 से मार्च 2022 तक विशेष सर्विलांस अभियान चलाया जाएगा. खासतौर से खाद्य तेल, शहद, चाय, घी आदि के 100 सैंपल प्रति माह लिए जाएंगे. इनकी जांच रिपोर्ट के आधार पर भी आगे की कार्ययोजना बनाई जाएगी.
खाद्य कारोबारियों का होगा प्रशिक्षणः इसके अलावा खाद्य कारोबारियों में जागरूकता लाने के उद्देश्य से उन्हें प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाएगा. विभाग की ओर से 'ईट राइट मेले' भी आयोजित किए जाएंगे. यह एक इंफोटेंमेंट मॉडल होगा. जिसके जरिए आम जनमानस को सही खान-पान को लेकर इसका भागीदार बनाया जाएगा. इसी के क्रम में 'दो ईट राइट मेले' 3 दिसंबर को देहरादून और 18 दिसंबर को हरिद्वार में होगा. वहीं, खाद्य सुरक्षा व हाईजीन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राज्य में रेस्टोरेंट और होटलों के लिए खाद्य हाईजीन रेटिंग शुरू की गई है. अब तक देहरादून और हरिद्वार के कुल 11 खाद्य कारोबारियों को हाईजीन रेटिंग सर्टिफिकेट जारी किए जा चुके हैं.
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केदारनाथ धाम का प्रसाद होगा सर्टिफाइडः आयुक्त पांडेय ने बताया कि केदारनाथ धाम को भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण, नई दिल्ली की ओर से जल्द 'भोग योजना' में सर्टिफिकेशन हासिल होने जा रहा है. इसके लिए केदारनाथ धाम से प्रसाद को भोग योजना के तहत सर्टिफिकेशन प्रदान किया जाना है. इसके लिए राज्य स्तर पर प्रशिक्षण व ऑडिट के साथ ही भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण, नई दिल्ली को प्रस्ताव बनाकर भेजा जा चुका है. उत्तराखंड के चारों धामों में केदारनाथ धाम पहला मंदिर होगा, जहां भोग योजना से यहां का प्रसाद सर्टिफाइड होगा. केदारनाथ धाम के बाद राज्य के अन्य मंदिरों में भी यह प्रक्रिया अपनाई जाएगी.