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खुशखबरी! पहली बार चीला-मोतीचूर फॉरेस्ट रेंज में बाघों की चहलकदमी हुई दर्ज

राजाजी टाइगर रिजर्व की चीला-मोतीचूर वन रेंज में पहली बार बाघों की गतिविधि दर्ज की गई है. ऐसे में पार्क प्रशासन इस बात को लेकर खास उत्साहित है. इससे लगता है कि भविष्य में मोतीचूर कांसरो, बेरीवाड़ा, धौलखंड और आसपास के वन संभागों में भी बाघों की आबादी बढ़ सकती है.

First time tiger movement recorded in Chilla-Motichoor forest range of Rajiji tiger reserve
First time tiger movement recorded in Chilla-Motichoor forest range of Rajiji tiger reserve
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Published : Nov 9, 2022, 7:34 PM IST

ऋषिकेश: चीला-मोतीचूर वन रेंज (Chilla-Motichoor forest range) में पहली बार बाघों की गतिविधि दर्ज की गई है. राजाजी टाइगर रिजर्व ने इस वन रेंज में बाघों की आवाजाही दर्ज करने के लिए कैमर ट्रैप लगाए थे. ऐसे में पार्क के पश्चिमी किनारे के जंगलों में पहली बार बाघों की आवाजाही दर्ज की गई है.

राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक साकेत बडोला (RTR Director Saket Badola) ने बताया कि पार्क की चीला और मोतीचूर रेंज में कैमरा ट्रैप लगाए गए थे. ऐसे में पार्क के पश्चिमी किनारे पर पहली बार बाघों की आवाजाही रिकॉर्ड की गई है. उन्होंने बताया कि इस रेंज में अक्सर हाथियों की आवाजाही होती रहती है लेकिन पहली बार यह बाघ की मौजूदगी कैमरा ट्रैप में दर्ज की गई है.

पढ़ें- गढ़वाल केंद्रीय विवि में छात्रसंघ चुनाव की घोषणा, 17 नवंबर को मतदान

पीटीआई के हवाले से साकेत बडोला ने बताया कि यह बहुत अच्छे संकेत हैं. इससे पता चलता है कि चीला-मोतीचूर रेंज भी बाघों के प्रवास के लिए अनुकूल है. ऐसे में टाइगर रिजर्व आने वाले सैलानियों को बाघों की यह गतिविधियां और भी आकर्षित करेंगी. उन्होंने कहा कि भविष्य में मोतीचूर कांसरो, बेरीवाड़ा, धौलखंड और आसपास के वन संभागों में भी बाघों की आबादी बढ़ सकती है.

ऋषिकेश: चीला-मोतीचूर वन रेंज (Chilla-Motichoor forest range) में पहली बार बाघों की गतिविधि दर्ज की गई है. राजाजी टाइगर रिजर्व ने इस वन रेंज में बाघों की आवाजाही दर्ज करने के लिए कैमर ट्रैप लगाए थे. ऐसे में पार्क के पश्चिमी किनारे के जंगलों में पहली बार बाघों की आवाजाही दर्ज की गई है.

राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक साकेत बडोला (RTR Director Saket Badola) ने बताया कि पार्क की चीला और मोतीचूर रेंज में कैमरा ट्रैप लगाए गए थे. ऐसे में पार्क के पश्चिमी किनारे पर पहली बार बाघों की आवाजाही रिकॉर्ड की गई है. उन्होंने बताया कि इस रेंज में अक्सर हाथियों की आवाजाही होती रहती है लेकिन पहली बार यह बाघ की मौजूदगी कैमरा ट्रैप में दर्ज की गई है.

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पीटीआई के हवाले से साकेत बडोला ने बताया कि यह बहुत अच्छे संकेत हैं. इससे पता चलता है कि चीला-मोतीचूर रेंज भी बाघों के प्रवास के लिए अनुकूल है. ऐसे में टाइगर रिजर्व आने वाले सैलानियों को बाघों की यह गतिविधियां और भी आकर्षित करेंगी. उन्होंने कहा कि भविष्य में मोतीचूर कांसरो, बेरीवाड़ा, धौलखंड और आसपास के वन संभागों में भी बाघों की आबादी बढ़ सकती है.

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