देहरादून: प्रदेश में फिल्मों के लेकर बेहतर लोकेशनों की भरमार है. प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर उत्तराखंड में पर्यटन के क्षेत्र में देश-विदेश में खास पहचान रखता है. लेकिन राज्य गठन के 19 साल बीत जाने के बाद भी पर्यटन, फिल्म निर्माण और पर्यावरण के क्षेत्र में कई बाधाएं सामने आती रही हैं. जो प्रदेश के विकास में रोधक बनी हुई हैं. उत्तराखंड फिल्म विकास परिषद के पूर्व सदस्य सुदर्शन शाह ने इसके लिए सरकार को जिम्मेदार बताया है.
सरोवर नगरी नैनीताल से ताल्लुक रखने वाले फिल्म निर्माता-निर्देशक और उत्तराखंड फिल्म विकास परिषद के पूर्व सदस्य सुदर्शन शाह ने इन सब विषयों पर चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा पर्यावरण, पर्यटन और फिल्म सिटी बनाने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है. प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते हुए सुदर्शन साह ने पर्यावरण पर सरकार का ध्यान खींचते हुए कहा कि प्रदेश में विनाशकारी ढंग से विकास के नाम पर निर्माण किया जा रहा है.
विकास के नाम पर हरे पेड़ों पर आरी चलाई जा रही है. जिससे उत्तराखंड के पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. समूचे उत्तराखंड को 5 जोन में बांटा गया है . इसके बावजूद किसी भी शहर को सुनियोजित ढंग से विकसित नहीं किया जा रहा है, जिससे शहरों की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है. पर्यटक स्थलों में पार्किंग ना होने से सैलानियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि पर्यावरण के बिना पर्यटन संभव नहीं है.
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार पर्यटन को लेकर सकारात्मक कार्य नहीं कर पा रही है. क्योंकि अवैध निर्माण, पार्किंग की समस्या और जनसंख्या वृद्धि की समस्या के कारण किसी भी शहर को पर्यटन की दृष्टि से सुरक्षा प्रदान नहीं हो पा रही है. इसका कारण है कि जिला विकास प्राधिकरणों के बन जाने के बाद अनियंत्रित अवैध निर्माणों में अत्यधिक बढ़ोत्तरी हुई है. जिसका दुष्प्रभाव पर्यटन पर भी पड़ रहा है. पर्यटन नगरी में सैलानियों को पार्किंग की सुविधा नहीं मिल पा रही है.
जिस कारण पर्यटन व्यवसाय भी प्रभावित हो रहा है. सरकार को तत्काल प्रभाव से सख्त कदम उठा कर पर्यटन से जुड़े शहरों को सुनियोजित तरीके से विकसित करना चाहिए. साथ ही अवैध निर्माणों पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाना चाहिए. सुदर्शन साह ने फिल्म नीति पर भी पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि उत्तराखंड में अपार प्राकृतिक सौंदर्य होने के बावजूद सरकार फिल्म व्यवसाय को बढ़ाने के लिए सुनियोजित ढंग से काम नहीं कर रही है.
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि नैनीताल स्थित पटवा डांगर क्षेत्र को वर्ष 2006 में पूर्व सीएम नारायण दत्त तिवारी ने जीबी पंत विश्वविद्यालय को वैक्सीन बनाने के लिए दी थी. लेकिन वहां करीब 12 करोड़ रुपए खर्च होने के बावजूद आज तक एक भी वैक्सीन नहीं बन पाई है और आगे भी इसकी कोई संभावना नहीं दिखाई दे रही है. ये स्थल पूरी तरह से विरान पड़ा हुआ है और कई भवन जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं. ऐसे में सरकार को गंभीरता से फैसला लेते हुए इस स्थान को फिल्म उद्योग के लिए उत्तरांचल फिल्म सिटी के लिए हस्तांतरित कर देना चाहिए.
जिसके बारे में वे कई बार शासन को पत्र के माध्यम से अवगत करा चुके हैं. जिसमें से तीन पत्र पीएमओ ऑफिस दिल्ली से फिल्म सिटी योजना के कार्यान्वयन के लिए उत्तराखंड सरकार को दिए जा चुके हैं. लेकिन उत्तराखंड सरकार की फिल्म सिटी के प्रति बेरुखी की वजह से हजारों फिल्म प्रेमी और कलाकारों में रोष है.