देहरादून/अल्मोड़ा/चमोली/रुद्रप्रयाग: किसानों द्वारा भारत बंद के समर्थन में उत्तराखंड किसान सभा द्वारा अल्मोड़ा के गांधी पार्क में सभा का आयोजन किया, जिसमें ट्रेड यूनियनों समेत विभिन्न जनसंगठनों के लोगों ने हिस्सा लिया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि जब तक तीन बिलों को सरकार वापस नहीं लेती किसानों का आंदोलन जारी रहेगा. तो वहीं, रुद्रप्रयाग और राजधानी देहरादून में भी किसानों के तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और पुतला फूंका.
उत्तराखंड किसान सभा के जिला संयोजक दिनेश पांडे ने कहा कि किसानों के आंदोलन को महीनों बीत गए है. आज 73 दिनों दिनों से किसान दिल्ली के बॉर्डर में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं. डेढ़ सौ से अधिक किसानों की आंदोलन के दौरान शहादत हो चुकी है. सरकार की किसानों की अनदेखी सरकार की असंवेदनशील व तानाशाहीपूर्ण रवैये को दर्शाता है, जिसकी जितनी भर्त्सना की जाए कम है. उन्होने कहा कि सरकार तत्काल प्रभाव से तीनों कानूनों को वापस ले. एमसपी पर कानून बनाकर उसे अनिवार्य करे, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करे, सभी गिरफ्तार किसानों को तुरंत रिहा करे, आंदोलन के दौरान शहीद किसानों के परिवारों को 20 लाख रुपये का मुआवजा प्रदान करे.
देहरादून में भी किसानों का प्रदर्शन
राजधानी देहरादून में भी भारत किसान यूनियन (तोमर) गुट ने इन कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया. सबसे पहले भारतीय किसान यूनियन तोमर से जुड़े किसान गांधी पार्क में एकत्रित हुए, उसके बात घंटाघर तक पैदल मार्च निकालते हुए केंद्र सरकार द्वारा केंद्र सरकार द्वारा पारित कानूनों का प्रतीकात्मक पुतला दहन किया गया.
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किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष सोमदत्त शर्मा ने कहा कि जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को एक ज्ञापन प्रेषित किया गया है. उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग को लेकर देश भर के किसान आंदोलनरत हैं, लेकिन सरकार कृषि कानूनों को वापस लेने को तैयार नहीं है. किसानों ने प्रदर्शन के माध्यम से केंद्र सरकार को यह संदेश देने की कोशिश की है कि केंद्र सरकार अभिलंब तीनों कृषि कानून वापस ले और एमएसपी की गारंटी पर कानून बनाया जाए.
रुद्रप्रयाग में अखिल भारतीय किसान सभा का धरना
जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग में अखिल भारतीय किसान सभा ने धरना दिया, जबकि ऊखीमठ तहसील में अखिल भारतीय किसान संगठन समन्वय समिति ने धरना देने के बाद एसडीएम के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा, जिसमें किसान विरोधी कानूनों को तत्काल निरस्त करने की मांग की गई. साथ ही किसान समन्वय समिति के सदस्यों ने ज्ञापन में कहा कि किसान विरोधी तीन कानूनों को तत्काल निरस्त करते हुए शहीद हुए किसानों के आश्रितों को ₹10 लाख मुआवजा दिया जाए.
चमोली में भाकपा माने के कृषि कानूनों को प्रतियां जलाईं
किसान आंदोलन को समर्थन देते हुए चमोली में भाकपा माले के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी ने कृषि कानूनों की प्रतियां जलाई. इस मौके पर मौखुरी ने कहा कि 70 दिनों से अधिक के समय से किसानों का आन्दोलन चल रहा है. 100 से अधिक किसानों की शहादत हो चुकी है, लेकिन केंद्र सरकार संवेदनहीन बनी हुई है.
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की कृषि पूरी तरह से उपेक्षा का शिकार है. काश्तकारों की मेहनत जंगली जानवर साफ कर देते हैं. सरकार के पास ना तो स्थानीय उत्पाद व विपणन की नीति है और ना ही स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहित करने की कोई दृष्टि. सरकार का ध्यान जमीने बेचने और शराब व खनन को बढ़ावा देने के लिए है.