ETV Bharat / state

रस्किन बॉन्ड की साहित्य यात्रा, 'सॉन्ग ऑफ इंडिया' में प्रदर्शित

लोकप्रिय अंग्रेजी लेखक रस्किन बॉन्ड अपनी नई किताब 'सॉन्ग ऑफ इंडिया' में अपनी किशोरावस्था और लेखनी के संघर्षों को बताया है.

author img

By

Published : Jul 28, 2020, 11:04 PM IST

Mussoorie
मशहूर लेखक रस्किन बॉण्ड की नई किताब "द सॉंग ऑफ इंडिया" में साहित्य के 70 सालों को किया प्रर्दषित

मसूरी: लोकप्रिय अंग्रेजी लेखक रस्किन बॉन्ड ने अपनी नई किताब 'सॉन्ग ऑफ इंडिया' में किशोरावस्था और अपनी लेखन यात्रा के संघर्षों को बताया है. 'सॉन्ग ऑफ इंडिया' उनके संस्मरण की चौथी किश्त है. इससे पहले उनके संस्मरण से जुड़ी लुकिंग फाॅर रेनबो (2017), टेल द क्लाउड्स बाई (2017), कमिंग राउंड द माउंटेन (2019) आ चुकी है. 'सॉन्ग ऑफ इंडिया' किताब का विमोचन 20 जुलाई को दिल्ली में हुआ. यह पुस्तक 1951 की पृष्ठभूमि पर लिखी गई है, जब वह देहरादून से इंग्लैंड चले गए थे.

'सॉन्ग ऑफ इंडिया में रस्किन बॉन्ड अपनी किशोरावस्था की कहानी बताते हैं, जब स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उनकी मां ने उन्हें 1951 में बेहतर भविष्य के लिए इंग्लैंड भेज दिया. वहीं, जाकर उन्होंने किराने की दुकान और फोटो स्टूडियो में काम करते हुए अपनी पहली पुस्तक 'द रूम ऑन द रूफ' लिखी.

पढ़ें- सिडकुल फैक्ट्री में कोरोना 'विस्फोट', रविवार को मिले 218 पॉजिटिव मरीज

वहीं, पहली पुस्तक के लिए उन्हें 50 पाउंड की राशि मिलने के बाद वह 1957 में वापस देहरादून चले आए, जहां पर उन्होंने अपनी आजीविका चलाने के लिए छोटी-छोटी कहानियां लिखी. 1963 में रस्किन पहाड़ों की रानी मसूरी आ गए और छावनी परिषद में उन्होंने घर खरीद लिया. उन्होंने अपनी किताब में पहली सैलरी, नए दोस्तों संग मुलाकात और किशोरावस्था की छोटी-बड़ी खुशियों का भी जिक्र किया हैं. उन्होंने कहा कि 'सॉन्ग ऑफ इंडिया मेरे साहित्य जीवन का प्रतीक है.

मसूरी: लोकप्रिय अंग्रेजी लेखक रस्किन बॉन्ड ने अपनी नई किताब 'सॉन्ग ऑफ इंडिया' में किशोरावस्था और अपनी लेखन यात्रा के संघर्षों को बताया है. 'सॉन्ग ऑफ इंडिया' उनके संस्मरण की चौथी किश्त है. इससे पहले उनके संस्मरण से जुड़ी लुकिंग फाॅर रेनबो (2017), टेल द क्लाउड्स बाई (2017), कमिंग राउंड द माउंटेन (2019) आ चुकी है. 'सॉन्ग ऑफ इंडिया' किताब का विमोचन 20 जुलाई को दिल्ली में हुआ. यह पुस्तक 1951 की पृष्ठभूमि पर लिखी गई है, जब वह देहरादून से इंग्लैंड चले गए थे.

'सॉन्ग ऑफ इंडिया में रस्किन बॉन्ड अपनी किशोरावस्था की कहानी बताते हैं, जब स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उनकी मां ने उन्हें 1951 में बेहतर भविष्य के लिए इंग्लैंड भेज दिया. वहीं, जाकर उन्होंने किराने की दुकान और फोटो स्टूडियो में काम करते हुए अपनी पहली पुस्तक 'द रूम ऑन द रूफ' लिखी.

पढ़ें- सिडकुल फैक्ट्री में कोरोना 'विस्फोट', रविवार को मिले 218 पॉजिटिव मरीज

वहीं, पहली पुस्तक के लिए उन्हें 50 पाउंड की राशि मिलने के बाद वह 1957 में वापस देहरादून चले आए, जहां पर उन्होंने अपनी आजीविका चलाने के लिए छोटी-छोटी कहानियां लिखी. 1963 में रस्किन पहाड़ों की रानी मसूरी आ गए और छावनी परिषद में उन्होंने घर खरीद लिया. उन्होंने अपनी किताब में पहली सैलरी, नए दोस्तों संग मुलाकात और किशोरावस्था की छोटी-बड़ी खुशियों का भी जिक्र किया हैं. उन्होंने कहा कि 'सॉन्ग ऑफ इंडिया मेरे साहित्य जीवन का प्रतीक है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.