देहरादून: 23 मार्च को हर साल की तरह इस बार भी विश्वभर में विश्व मौसम विज्ञान दिवस मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य मौसम विज्ञान और प्रकृति में हो रहे बदलाव की वजह से मौसम पर पड़ रहे असर के प्रति लोगों को जागरूक करना है. इसके अलावा आज ही के दिन साल 1950 को विश्व मौसम संगठन की स्थापना भी हुई थी. विश्व भर के विभिन्न देश इसके सदस्य हैं. इसमें भारत का नाम भी शामिल है.
विश्व मौसम विज्ञान दिवस के अवसर पर राजधानी के मौसम विज्ञान केंद्र पर एक विशेष प्रदर्शनी लगाई गई. इस प्रदर्शनी में उन सभी उपकरणों की प्रदर्शनी लगाई गई, जिसके माध्यम से मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक मौसम की सटीक जानकारी दे पाते हैं. वहीं, देहरादून मौसम विज्ञान केंद्र के मौसम वैज्ञानिक रोहित थपलियाल ने बताया इस प्रदर्शनी को लगाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि लोग यहा जान सकें कि किस तरह और किन उपकरणों की मदद से वर्तमान में मौसम की सटीक जानकारी दिया जाना संभव हो पाया है.
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वहीं, मौसम वैज्ञानिक रोहित थपलियाल ने बताया कि उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए प्रदेश में तीन अलग-अलग स्थानों में डॉप्लर रडार लगाए जाने हैं. इसमें से मुक्तेश्वर में डॉप्लर रडार स्थापित भी किया जा चुका है. वहीं, टिहरी के सरकुंडा और पौड़ी के लैंसडाउन क्षेत्र में भी जल्द ही डॉप्लर रडार स्थापित किए जाने की तैयारी है.
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क्या है डॉप्लर रडार
दरअसल, डॉप्लर रडार एक ऐसा उपकरण है, जो मौसम की तमाम गतिविधियों को रिकॉर्ड करता है. उत्तराखंड एक पहाड़ी राज्य है. ऐसे में यहां लगातार प्राकृतिक आपदाएं आती रहती हैं और मौसम में बदलाव का होना बना रहता है. ऐसे में यह डॉप्लर रडार सूक्ष्म तरंगों को भास्कर मौसमी बदलाव की सटीक भविष्यवाणी कर पाने में सक्षम है. इसके माध्यम से आसपास के लगभग 100 किलोमीटर तक की क्षेत्रों के मौसम में होने वाले बदलाव की जानकारी प्राप्त की जा सकती है. इसके साथ ही करीब 4 घंटे पहले ही यह मौसम की सटीक जानकारी दे पाने में सक्षम है.