देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने नई आबकारी नीति में वित्तीय वर्ष 2019-20 में राजस्व का लक्ष्य गत वर्ष से 20 प्रतिशत बढ़ाकर 3,180 करोड़ रखा था, जबकि पिछले वर्ष आबकारी विभाग का राजस्व लक्ष्य 2,640 करोड़ रुपये था. आबकारी विभाग इस वित्तीय वर्ष में अभी तक 2,400 करोड़ का राजस्व ही प्राप्त कर पायी है. जो पिछले वित्तीय वर्ष 2018-19 के राजस्व लक्ष्य से भी 240 करोड़ कम है. जिसके सीधा असर आबकारी विभाग के राजस्व पर पड़ रहा है. हालांकि, महकमे की कोशिश है कि बचे समय में राजस्व के निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त किया जाए.
131 दुकानों का नहीं हो पाया आवंटन
वित्तीय वर्ष समाप्त होने को है. लेकिन विभाग अभी तक मात्र 2,400 करोड़ का राजस्व जुटा पाया है. जिसके पीछे एक बड़ा कारण मौजूदा वित्तीय वर्ष में शराब की 624 दुकानों में से 131 दुकानों का आवंटन ना होना है. जिसकी एक मुख्य वजह ई-टेंडरिंग प्रक्रिया भी रही है. क्योंकि इसी वित्तीय वर्ष में शराब की दुकानों का लगभग पूरा आवंटन ई-टेंडरिंग प्रक्रिया के तहत किया गया है. वहीं, विभागीय प्रमुख सचिव का मानना है कि शराब के दुकानों का रेट अधिक होने के चलते दुकानों का आवंटन नहीं हो पाया है.
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पिछले 3 सालों का हासिल राजस्व का आंकड़ा
2017-18 में 2310 करोड़ का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन इस वित्तीय वर्ष लगभग 2100 करोड़ का ही राजस्व प्राप्त हुआ.
2018-19 में 2640 करोड़ का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन इस वित्तीय वर्ष लगभग 2350 करोड़ का ही राजस्व प्राप्त हुआ.
2019-20 में 3180 करोड़ का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन अभी तक 2400 करोड़ का ही राजस्व प्राप्त हुआ.
आगामी वित्तीय वर्ष की कवायद में जुटा आबकारी महकमा
आगामी वित्तीय वर्ष 2020-21 में आबकारी महकमा राजस्व को लेकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहता है. लिहाजा, आगामी वित्तीय वर्ष में विभाग की मंशा सभी दुकानों को नीलाम करने की है. ताकि, आगामी वित्तीय वर्ष तय किये जाने वाले राजस्व के लक्ष्य को पूरा कर सके. इसके लिए आबकारी नीति में संशोधन को लेकर आबकारी मंथन में जुटे हुए हैं. नए वित्तीय वर्ष के लिए बनायी जा रही आबकारी नीति के लिए विभाग पुरानी खामियों को दुरुस्त करने में जुट गया है. इसके लिए लगातार विभागीय अधिकारियों संग बैठक कर सुझाव लिए जा रहे हैं. ताकि, इस वित्तीय वर्ष जिन दुकानों का आवंटन नहीं हो पाया है. उन दुकानों के आवंटन पर जोर दिया जा सके.