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टिहरी सांसद के आवास पर गरजे पूर्व सैनिक, उत्तराखंड में 12% वोटरों से जुड़ा है OROP का मुद्दा - वोट बैंक पर असर

उत्तराखंड में 12 फीसदी वोट सैनिक और उनके परिवारों से जुड़ा हैं. ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले पूर्व सैनिकों की नाराजगी बड़ा असर डाल सकती है. दरअसल, लोकसभा चुनाव के नजदीक आते ही सैनिक संगठन वन रैंक वन पेंशन की विसंगतियों को दूर करने की मांग को लेकर मुखर हो गए हैं. सबसे पहले सैनिक संगठन से जुड़े पूर्व सनिकों ने टिहरी सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह के आवास पर जमकर नारेबाजी की. ऐसे में माना जा रहा है कि उनकी नाराजगी वोट बैंक पर असर डाल सकती है.

Ex servicemen Protest for OROP Anomalies
टिहरी सांसद के आवास पर गरजे पूर्व सैनिक
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Published : May 3, 2023, 3:32 PM IST

Updated : May 3, 2023, 4:57 PM IST

टिहरी सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह के आवास पर गरजे पूर्व सैनिक.

देहरादूनः उत्तराखंड एक सैन्य बाहुल्य राज्य है. लंबे समय से पूर्व सैनिक वन रैंक वन पेंशन की मांग कर रहे हैं. अब लोकसभा चुनाव के नजदीक आते ही सैनिक संगठनों की मांग उग्र हो चुकी है. जिसके तहत सैनिक संगठन सांसदों के दरवाजे तक पहुंच रहे हैं. इसी कड़ी में सैनिक संगठन टिहरी सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह के आवास पर गरजे. इस दौरान उन्होंने सांसद के खिलाफ तीखी नारेबाजी की.

उत्तराखंड में यह माना जाता है कि हर तीसरे परिवार से औसतन एक व्यक्ति देश की सुरक्षा में अपनी सेवाएं दे रहा है. लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उत्तराखंड का यही सैनिक वोटर केंद्र सरकार से बेहद नाराज नजर आ रहा है. उत्तराखंड में 1 लाख 84 हजार पूर्व सैनिक और वीरांगना सैनिक कल्याण बोर्ड में पंजीकृत हैं. ऐसे में उत्तराखंड में पूरे वोटरों का 12 फीसदी वोट तकरीबन सैनिक परिवारों और सैनिकों से जुड़े मुद्दे से प्रभावित होता है.

ऐसे में उत्तराखंड का यह 12 फीसदी वोट लगातार केंद्र सरकार से नाराज चल रहा है. इसकी एक ही वजह वन रैंक वन पेंशन की विसंगतियां हैं. पूर्व सैनिक वेलफेयर एसोसिएशन अध्यक्ष शमशेर सिंह बिष्ट का कहना है कि साल 2014 के बाद जिस तरह से देश में सेना और सैनिक के प्रति लोगों की सकारात्मकता को लेकर के मोदी सरकार ने काम किया है, उसके लिए सैनिकों का पूरा समर्थन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ रहा है.

सैनिक परिवार भी लगातार बीजेपी सरकार और नरेंद्र मोदी के साथ रहे हैं, लेकिन जिस तरह से वन रैंक वन पेंशन से सैनिकों को राहत देने का प्रयास केंद्र सरकार की ओर से किया गया है, उसमें कई विसंगतियां है. जिनकी वजह से सरहद पर सबसे आगे खड़े रहने वाले छोटे सिपाही को वन रैंक वन पेंशन का बेहद कम लाभ मिल पा रहा है.
ये भी पढ़ेंः पूर्व सैनिकों ने लोकसभा चुनाव के बहिष्कार की दी चेतावनी, वेतन विसंगतियों को लेकर हैं आंदोलनरत

उनका कहना है कि पीबीओआर यानी अधिकारी रैंक से नीचे के कार्मिकों को कम लाभ इसमें मिल रहा है. जबकि, लंबे समय तक सेना में सेवा करने वाले बड़े अधिकारियों को इस पेंशन स्कीम का ज्यादा लाभ मिल रहा है. सैनिक संगठनों का यह मानना है कि इन विसंगतियों को दूर करना चाहिए और हर तबके के सैनिक के साथ एक तरह का न्याय होना चाहिए. ताकि सरहद पर सबसे आगे खड़े रहने वाले सिपाही और कम उम्र में रिटायर होने वाले सैनिकों को भी इस पेंशन स्कीम का लाभ मिल सके.

अपनी तमाम मांगों को लेकर के उत्तराखंड में सैनिक संगठन चरणबद्ध तरीके से आंदोलन कर रहे हैं. इससे पहले सभी सैनिक संगठनों ने प्रत्येक जिले के जिलाधिकारियों को अपनी मांग पत्र सौंपा तो वहीं अब देश की संसद में क्षेत्र के मुद्दों का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसदों को भी लगातार सैनिक संगठन अपना ज्ञापन सौंप रहे हैं. साथ ही उनके सामने अपनी मांग को रख रहे हैं.

वहीं, टिहरी लोकसभा सीट से सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह से भी पूर्व सैनिक संगठनों ने मिलने का कार्यक्रम तय किया था, लेकिन सांसद के समय देने के बावजूद न मिलने पर उनका पारा चढ़ गया. उन्होंने टिहरी सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह के आवास पर जाकर जमकर विरोध प्रदर्शन किया और सांसद से बेहद नाराजगी जताई.

टिहरी सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह के आवास पर गरजे पूर्व सैनिक.

देहरादूनः उत्तराखंड एक सैन्य बाहुल्य राज्य है. लंबे समय से पूर्व सैनिक वन रैंक वन पेंशन की मांग कर रहे हैं. अब लोकसभा चुनाव के नजदीक आते ही सैनिक संगठनों की मांग उग्र हो चुकी है. जिसके तहत सैनिक संगठन सांसदों के दरवाजे तक पहुंच रहे हैं. इसी कड़ी में सैनिक संगठन टिहरी सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह के आवास पर गरजे. इस दौरान उन्होंने सांसद के खिलाफ तीखी नारेबाजी की.

उत्तराखंड में यह माना जाता है कि हर तीसरे परिवार से औसतन एक व्यक्ति देश की सुरक्षा में अपनी सेवाएं दे रहा है. लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उत्तराखंड का यही सैनिक वोटर केंद्र सरकार से बेहद नाराज नजर आ रहा है. उत्तराखंड में 1 लाख 84 हजार पूर्व सैनिक और वीरांगना सैनिक कल्याण बोर्ड में पंजीकृत हैं. ऐसे में उत्तराखंड में पूरे वोटरों का 12 फीसदी वोट तकरीबन सैनिक परिवारों और सैनिकों से जुड़े मुद्दे से प्रभावित होता है.

ऐसे में उत्तराखंड का यह 12 फीसदी वोट लगातार केंद्र सरकार से नाराज चल रहा है. इसकी एक ही वजह वन रैंक वन पेंशन की विसंगतियां हैं. पूर्व सैनिक वेलफेयर एसोसिएशन अध्यक्ष शमशेर सिंह बिष्ट का कहना है कि साल 2014 के बाद जिस तरह से देश में सेना और सैनिक के प्रति लोगों की सकारात्मकता को लेकर के मोदी सरकार ने काम किया है, उसके लिए सैनिकों का पूरा समर्थन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ रहा है.

सैनिक परिवार भी लगातार बीजेपी सरकार और नरेंद्र मोदी के साथ रहे हैं, लेकिन जिस तरह से वन रैंक वन पेंशन से सैनिकों को राहत देने का प्रयास केंद्र सरकार की ओर से किया गया है, उसमें कई विसंगतियां है. जिनकी वजह से सरहद पर सबसे आगे खड़े रहने वाले छोटे सिपाही को वन रैंक वन पेंशन का बेहद कम लाभ मिल पा रहा है.
ये भी पढ़ेंः पूर्व सैनिकों ने लोकसभा चुनाव के बहिष्कार की दी चेतावनी, वेतन विसंगतियों को लेकर हैं आंदोलनरत

उनका कहना है कि पीबीओआर यानी अधिकारी रैंक से नीचे के कार्मिकों को कम लाभ इसमें मिल रहा है. जबकि, लंबे समय तक सेना में सेवा करने वाले बड़े अधिकारियों को इस पेंशन स्कीम का ज्यादा लाभ मिल रहा है. सैनिक संगठनों का यह मानना है कि इन विसंगतियों को दूर करना चाहिए और हर तबके के सैनिक के साथ एक तरह का न्याय होना चाहिए. ताकि सरहद पर सबसे आगे खड़े रहने वाले सिपाही और कम उम्र में रिटायर होने वाले सैनिकों को भी इस पेंशन स्कीम का लाभ मिल सके.

अपनी तमाम मांगों को लेकर के उत्तराखंड में सैनिक संगठन चरणबद्ध तरीके से आंदोलन कर रहे हैं. इससे पहले सभी सैनिक संगठनों ने प्रत्येक जिले के जिलाधिकारियों को अपनी मांग पत्र सौंपा तो वहीं अब देश की संसद में क्षेत्र के मुद्दों का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसदों को भी लगातार सैनिक संगठन अपना ज्ञापन सौंप रहे हैं. साथ ही उनके सामने अपनी मांग को रख रहे हैं.

वहीं, टिहरी लोकसभा सीट से सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह से भी पूर्व सैनिक संगठनों ने मिलने का कार्यक्रम तय किया था, लेकिन सांसद के समय देने के बावजूद न मिलने पर उनका पारा चढ़ गया. उन्होंने टिहरी सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह के आवास पर जाकर जमकर विरोध प्रदर्शन किया और सांसद से बेहद नाराजगी जताई.

Last Updated : May 3, 2023, 4:57 PM IST
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