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मझदार में फंसा DIG गढ़वाल का आदेश!, ट्रांसफर के बावजूद पुलिसकर्मियों की नहीं हो रही रवानगी - पुलिस कर्मचारियों को राहत

उत्तराखंड पुलिस विभाग (Uttarakhand Police) ट्रांसफर को लेकर सिर्फ पारदर्शिता का दावे करते हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही निकलती है. ये हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि ट्रांसफर आदेश के बाद भी विभाग में पुलिसकर्मियों ने जो रैवाया अपनाया हुआ है, उसे देख कर ऐसा ही लग रहा है.

DIG Garhwal Karan Singh Nagnyal
DIG Garhwal Karan Singh Nagnyal
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Published : Jun 3, 2022, 4:51 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड पुलिस विभाग (Uttarakhand Police) में एक बार फिर पारदर्शी ट्रांसफर पॉलिसी का दावा हवा हवाई साबित नजर आ रहा हैं. पिछले दिनों लंबी जद्दोजहद के बाद बमुश्किल गढ़वाल रेंज के अंतर्गत आने वाले 7 जनपदों में सिपाही से लेकर दरोगा तक 1,500 ट्रांसफर आदेश किये गए थे, जो अब सिर्फ कागजी कार्रवाई तक ही सीमित नजर आ रहे हैं.

ट्रांसफर नियमावली के अनुसार मैदान से पहाड़ और पहाड़ से मैदान तैनाती की समय सीमा पूरी होने के उपरांत कांस्टेबल से लेकर सब-इंस्पेक्टर तक के तबादले किए गए थे, लेकिन आदेशानुसार तबादले की सूची में आने वाले पुलिसकर्मी न तो पहाड़ से मैदान आने को राजी और न ही मैदान में तैनात पुलिसकर्मी पहाड़ चढ़ने को हामी भर रहे हैं.
पढ़ें- फ्री का नहीं मिला खाना तो डोईवाला चौकी इंचार्ज ने किया हंगामा, DGP ने दिए जांच के आदेश

जानकारी के मुताबिक, लगभग 500 से अधिक ऐसे पुलिस जवान है, जो पहाड़ से नीचे उतरने के इच्छुक नहीं हैं. उधर, दूसरी तरफ मैदान से पहाड़ ट्रांसफर हुए पुलिसकर्मी भी परिवार में बीमारी समेत अन्य मेडिकल और व्यक्तिगत कारण अपना ट्रांसफर रुकवाने की अर्जी दे रहे हैं. ऐसे में पुलिस विभाग के सामने सबसे बड़ी चुनौती ट्रांसफर पॉलिसी के तहत पहाड़ और मैदान में कानून व्यवस्था का संतुलन बनाना है.

उधर, पुलिस कर्मियों के ट्रांसफर आदेश को लेकर गढ़वाल डीआईजी का मानना है कि नियमानुसार पुलिस कर्मचारियों को राहत दी जा रही है, जहां तक कानून व्यवस्था में संतुलन बनाने की बात है तो उसमें कोई कोताही नहीं बरती जाएगी. उन्होंने कहा कि आदेश जारी होने के उपरांत तबादला रुकवाने के लिए जो प्रार्थना पत्र आ रहे हैं, उनकी जांच की जा रही है. गंभीर बीमारी, परिवार में कोई मेडिकल इमरजेंसी और व्यक्ति कारणों को देखा जा रहा है, उसी के हिसाब से छमाही तक मूल तैनाती को रोकने पर विचार किया जा रहा है.
पढ़ें- हरिद्वार पुलिस की अपील का नहीं हो रहा असर, गंगा में युवक लगा रहे 'मौत की छलांग'

ट्रांसफर आदेश फंसता देख रिलीव की तारीख आगे बढ़ाने की कवायद: बता दें कि बीते दिनों डीआईजी गढ़वाल करण सिंह नगन्याल ने देहरादून, हरिद्वार, उत्तरकाशी, टिहरी, पौड़ी, चमोली और रुद्रप्रयाग जैसे जनपदों में अपनी ड्यूटी का समय पूरा कर चुके करीब 1,500 पुलिसकर्मियों को ट्रांसफर पॉलिसी के तहत किया था, जिसमें 1,100 से ज्यादा हेड कांस्टेबल और दरोगा शामिल थे.

डीआईजी द्वारा ट्रांसफर आदेश में मैदानी जिलों से ट्रांसफर होने वाले कर्मियों को 7 दिनों के अंदर रिलीव करने के आदेश थे, जबकि बाकी कर्मचारियों को पहाड़ से रिलीवर आने के पश्चात मूल तैनाती में जाने के आदेश दिए गए. डीआईजी के ट्रांसफर आदेश कुछ दिनों उपरांत देहरादून और हरिद्वार जिलों से ट्रांसफर होने वाले कर्मचारियों की तिथि तो निर्धारित कर दी गई, लेकिन पहाड़ से उनके बदले रिलीवर आने को तैयार नहीं है.

ऐसे में जब तक पर्वतीय जनपदों से अपनी तय समय सीमा पूरी होने वाले पुलिसकर्मी मैदानी जनपदों के नहीं उतरते तब तक उनके बदले मैदानों से पहाड़ चढ़ने वाले कैसे मूल तैनाती जाएंगे यह बड़ा सवाल है. इसी बीच अब मैदानी जनपदों से भी तरह-तरह के बहानेबाजी और सिफारिश लगाकर मैदानी जनपदों के कर्मचारी पहाड़ चढ़ने को लेकर अपनी प्रार्थना पत्र लगा रहे हैं. ऐसे में ट्रांसफर आदेश का यह विषय मझदार में फंसता जा रहा है. बताया जा रहा है कि यही वजह है कि ट्रांसफर होने वाले कर्मचारियों की रिलीव की तारीख आगे बढ़ाई जा रही है.

देहरादून: उत्तराखंड पुलिस विभाग (Uttarakhand Police) में एक बार फिर पारदर्शी ट्रांसफर पॉलिसी का दावा हवा हवाई साबित नजर आ रहा हैं. पिछले दिनों लंबी जद्दोजहद के बाद बमुश्किल गढ़वाल रेंज के अंतर्गत आने वाले 7 जनपदों में सिपाही से लेकर दरोगा तक 1,500 ट्रांसफर आदेश किये गए थे, जो अब सिर्फ कागजी कार्रवाई तक ही सीमित नजर आ रहे हैं.

ट्रांसफर नियमावली के अनुसार मैदान से पहाड़ और पहाड़ से मैदान तैनाती की समय सीमा पूरी होने के उपरांत कांस्टेबल से लेकर सब-इंस्पेक्टर तक के तबादले किए गए थे, लेकिन आदेशानुसार तबादले की सूची में आने वाले पुलिसकर्मी न तो पहाड़ से मैदान आने को राजी और न ही मैदान में तैनात पुलिसकर्मी पहाड़ चढ़ने को हामी भर रहे हैं.
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जानकारी के मुताबिक, लगभग 500 से अधिक ऐसे पुलिस जवान है, जो पहाड़ से नीचे उतरने के इच्छुक नहीं हैं. उधर, दूसरी तरफ मैदान से पहाड़ ट्रांसफर हुए पुलिसकर्मी भी परिवार में बीमारी समेत अन्य मेडिकल और व्यक्तिगत कारण अपना ट्रांसफर रुकवाने की अर्जी दे रहे हैं. ऐसे में पुलिस विभाग के सामने सबसे बड़ी चुनौती ट्रांसफर पॉलिसी के तहत पहाड़ और मैदान में कानून व्यवस्था का संतुलन बनाना है.

उधर, पुलिस कर्मियों के ट्रांसफर आदेश को लेकर गढ़वाल डीआईजी का मानना है कि नियमानुसार पुलिस कर्मचारियों को राहत दी जा रही है, जहां तक कानून व्यवस्था में संतुलन बनाने की बात है तो उसमें कोई कोताही नहीं बरती जाएगी. उन्होंने कहा कि आदेश जारी होने के उपरांत तबादला रुकवाने के लिए जो प्रार्थना पत्र आ रहे हैं, उनकी जांच की जा रही है. गंभीर बीमारी, परिवार में कोई मेडिकल इमरजेंसी और व्यक्ति कारणों को देखा जा रहा है, उसी के हिसाब से छमाही तक मूल तैनाती को रोकने पर विचार किया जा रहा है.
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ट्रांसफर आदेश फंसता देख रिलीव की तारीख आगे बढ़ाने की कवायद: बता दें कि बीते दिनों डीआईजी गढ़वाल करण सिंह नगन्याल ने देहरादून, हरिद्वार, उत्तरकाशी, टिहरी, पौड़ी, चमोली और रुद्रप्रयाग जैसे जनपदों में अपनी ड्यूटी का समय पूरा कर चुके करीब 1,500 पुलिसकर्मियों को ट्रांसफर पॉलिसी के तहत किया था, जिसमें 1,100 से ज्यादा हेड कांस्टेबल और दरोगा शामिल थे.

डीआईजी द्वारा ट्रांसफर आदेश में मैदानी जिलों से ट्रांसफर होने वाले कर्मियों को 7 दिनों के अंदर रिलीव करने के आदेश थे, जबकि बाकी कर्मचारियों को पहाड़ से रिलीवर आने के पश्चात मूल तैनाती में जाने के आदेश दिए गए. डीआईजी के ट्रांसफर आदेश कुछ दिनों उपरांत देहरादून और हरिद्वार जिलों से ट्रांसफर होने वाले कर्मचारियों की तिथि तो निर्धारित कर दी गई, लेकिन पहाड़ से उनके बदले रिलीवर आने को तैयार नहीं है.

ऐसे में जब तक पर्वतीय जनपदों से अपनी तय समय सीमा पूरी होने वाले पुलिसकर्मी मैदानी जनपदों के नहीं उतरते तब तक उनके बदले मैदानों से पहाड़ चढ़ने वाले कैसे मूल तैनाती जाएंगे यह बड़ा सवाल है. इसी बीच अब मैदानी जनपदों से भी तरह-तरह के बहानेबाजी और सिफारिश लगाकर मैदानी जनपदों के कर्मचारी पहाड़ चढ़ने को लेकर अपनी प्रार्थना पत्र लगा रहे हैं. ऐसे में ट्रांसफर आदेश का यह विषय मझदार में फंसता जा रहा है. बताया जा रहा है कि यही वजह है कि ट्रांसफर होने वाले कर्मचारियों की रिलीव की तारीख आगे बढ़ाई जा रही है.

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