देहरादून: उत्तराखंड में ऊर्जा निगमों के कर्मचारियों पर एस्मा लागू कर दिया गया है. खास बात यह है कि फिलहाल ऊर्जा निगम के किसी भी संगठन ने हड़ताल को लेकर कोई अल्टीमेटम या नोटिस नहीं दिया था. इसके बावजूद एस्मा लगाने की कार्रवाई को कर्मचारी उकसाने के रूप में देख रहे हैं.
ऊर्जा निगमों के कर्मचारियों पर एस्मा लागू: शासन ने ऊर्जा निगमों में कर्मचारियों की हड़ताल पर अगले 6 महीने तक रोक लगा दी है. इस संदर्भ में शासन की तरफ से बकायदा आदेश भी जारी कर दिए गए हैं. जारी हुए आदेशों के क्रम में उत्तर प्रदेश अत्यावश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम 1966 की धारा 3 की उप धारा 1 के अधीन शक्ति का प्रयोग करते हुए राज्यपाल इस आदेश के निर्गत होने के 6 महीने की अवधि के लिए यूजेवीएनएल, यूपीसीएल और पिटकुल में सभी श्रेणी की सेवाओं में तत्कालीन प्रभाव से हड़ताल पर रोक लगाते हैं.
6 महीने तक हड़ताल नहीं कर पाएंगे ऊर्जा निगमों के कर्मी: इस आदेश के बाद अब कर्मचारी अगले 6 महीने तक कोई हड़ताल नहीं कर पाएंगे. हालांकि कर्मचारी इससे पहले भी इसी तरह के आदेशों को झेलते रहे हैं. लेकिन उनमें इस बात को लेकर आक्रोश भी है कि जब किसी संगठन की तरफ से हड़ताल को लेकर कोई नोटिस नहीं दिया गया है, तो ऐसे में शासन की तरफ से इस तरह का आदेश जारी करना कर्मचारियों को उकसाने जैसा है.
आपको बता दें कि काफी लंबे समय से ऊर्जा निगम के कर्मचारियों ने हड़ताल का रुख नहीं किया है. हालांकि पिछले सालों में हड़ताल के लिए कर्मचारी लामबंद हुए थे और सरकार के सामने समस्याएं खड़ी हो गई थी. ऐसे में हर साल शासन इस तरह के आदेश जारी करते हुए कर्मचारियों की हड़ताल पर रोक लगाने की कोशिश करता है.
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ऊर्जा निगम कर्मचारी संगठन ने एस्मा का किया विरोध: उत्तराखंड विद्युत संविदा कर्मचारी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष विनोद कवि ने कहा कि शासन की तरफ से आदेश उकसाने के रूप में देखा जा सकता है. जब संगठन ने विरोध स्वरूप हड़ताल की कोई चेतावनी नहीं दी है, तो ऐसे में एस्मा लगाने का कोई औचित्य नहीं है.
एस्मा क्या है: आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) हड़ताल को रोकने हेतु एस्मा लगाया जाता है. एस्मा लागू करने से पूर्व इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को किसी समाचार पत्र या अन्य माध्यम से सूचित किया जाता है. एस्मा का नियम अधिकतम 6 माह के लिए लगाया जा सकता है. एस्मा लागू होने के उपरान्त यदि कर्मचारी हड़ताल पर जाता है तो वह अवैध एवं दंडनीय है. क्रिमिनल प्रोसीजर के अन्तर्गत एस्मा लागू होने के उपरान्त इस आदेश से सम्बन्धित किसी भी कर्मचारी को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है.