देहरादून: उत्तराखंड में प्लास्टिक पैकेजिंग इंडस्ट्री की मुश्किलों को आसान करने के लिए उत्तराखंड पर्यावरण विभाग जुटा हुआ है. इसके लिए ऐसी इंडस्ट्री के साथ बेहतर समन्वय स्थापित करने से लेकर तमाम जरूरी जानकारियों को साझा करने तक के भी प्रयास किए जा रहे हैं. शायद यही कारण है कि उत्तराखंड केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ईपीआर वेबसाइट में रजिस्ट्रेशन को लेकर उत्तर भारत में नंबर वन हो पाया है.
उत्तराखंड में दिसंबर महीने में 1724 फैक्ट्रियों पर उस समय संकट गहरा गया था, जब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से इन फैक्ट्रियों की एनओसी रद्द कर दी गई थी. दरअसल इन फैक्ट्रियों द्वारा एपीआर रजिस्ट्रेशन नहीं करने को लेकर यह कार्रवाई की गई थी. दरअसल प्लास्टिक निर्माण या अपने उत्पादों में पैकेजिंग में प्लास्टिक का उपयोग करने वाली फैक्ट्रियों पर यह कार्रवाई की गई थी. पीसीबी की तरफ से की गई कार्रवाई हाईकोर्ट के आदेश के बाद हुई थी. हालांकि बाद में इस आदेश को वापस ले लिया गया और सभी फैक्ट्रियों को राहत भी दे दी गई है.
लेकिन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ईपीआर वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन तमाम उद्योगों के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है. इसके लिए एक बड़ी वजह ईपीआर रजिस्ट्रेशन वाली वेबसाइट का कई बार खराब होना भी माना गया है. इन तमाम समस्याओं को देखते हुए उत्तराखंड पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से तमाम उद्योगों से जुड़े लोगों को इसके लिए जागरूक करने और तमाम समस्याओं के समाधान के प्रयास किए गए हैं. एक तरफ जहां इसके लिए कार्यशाला का आयोजन होता रहा, वही ऐसे उद्योगों से जुड़े लोगों के साथ बेहतर समन्वय करने की कोशिश भी की गई है. ताकि यह उद्योग ईपीआर में रजिस्ट्रेशन कर सकें.
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सबसे बड़ी बात यह है कि उत्तराखंड केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ईपीआर वेबसाइट में रजिस्ट्रेशन करवाने वाले उत्तर भारत वाले राज्यों में सबसे बेहतर हालत में है. यानी यहां सबसे ज्यादा फैक्ट्रियों और उद्योगों ने अपना रजिस्ट्रेशन करवाया है. प्लास्टिक पर पूरी तरह से नियंत्रण करने के लिए तमाम नियम आते रहे हैं और उद्योगों में खासतौर पर ईपीआर रजिस्ट्रेशन के जरिए प्लास्टिक के रीसाइक्लिंग से लेकर उसके कम से कम उपयोग और नुकसान के लिए प्रयास किया गया है.
इस रजिस्ट्रेशन के जरिए उद्योगों को प्लास्टिक के उपयोग के दौरान उसके रीसाइक्लिंग उसके कलेक्शन पर अपना प्लान देना होता है, जिससे प्लास्टिक के खुले स्थानों पर फैलने या गंदगी करने की स्थिति ना बने. इस मामले को लेकर उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सुशांत पटनायक कहते हैं कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लगातार उद्योगों के साथ समन्वय बनाए हुए हैं और ज्यादा से ज्यादा उद्योगों का ईपीआर में रजिस्ट्रेशन हो सके, इसके लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं.