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विधानसभा चुनाव 2022 से पहले भाजपा के लिए मुसीबत बन सकते हैं कर्मचारी संगठन - चुनाव में भाजपा के लिए मुसीबत बन सकते हैं कर्मचारी संगठन

उत्तराखंड में 2022 में विधानसभा चुनाव हैं. ऐसे में बीजेपी चुनाव से पहले सभी कर्मचारी संगठन की मांगों को पूरा करने में जुटी है, क्योंकि उत्तराखंड में करीब सवा तीन लाख कर्मचारी और पेंशनरों जो चुनाव के दौरान एक वोटर के रूप में अहम भूमिका निभाते हैं.

Uttarakhand Political Party
कर्मचारी संगठन बन सकते हैं मुसीबत
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Published : Sep 27, 2021, 7:30 AM IST

Updated : Sep 27, 2021, 8:39 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनाव-2022 में अब कुछ ही महीने बाकी हैं, ऐसे में प्रदेश के हालातों को समझना सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए बेहद जरूरी है. तो वहीं, उत्तराखंड में कर्मचारियों के बढ़ते आक्रोश से भाजपा सरकार चिंता में है, चिंता इसलिए है क्योंकि प्रदेश में चुनाव नजदीक हैं और ऐसी स्थिति में राज्य के कर्मचारी भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं. लिहाजा, एक तरफ कर्मचारियों को खुश करने की कोशिश की जा रही है तो दूसरी तरफ प्रदेश की वित्तीय व्यवस्था सरकार के हाथ भी रोक रही है.

विधानसभा चुनाव 2022 से पहले भाजपा के लिए मुसीबत बन सकते हैं कर्मचारी संगठन.

उत्तराखंड में करीब सवा तीन लाख कर्मचारी और पेंशनरों जो चुनाव के दौरान एक वोटर के रूप में अहम भूमिका निभाते हैं. कर्मचारियों के परिवारों को जोड़ दिया जाए तो तकरीबन नो लाख से ज्यादा वोटर्स सीधे कर्मचारियों से जुड़े हुए हैं और इन्हीं बातों को समझते हुए सरकार कर्मचारियों की मांगों को चुनाव से पहले पूरा करने की कोशिश भी करती है. इस बार फिर कर्मचारी चुनाव से पहले सरकार पर मांगों को पूरा करने का दबाव बना रहे हैं. लेकिन वित्तीय व्यवस्थाओं के चलते सरकार सभी मांगों पर पूरी रूप से विचार नहीं कर पा रही है.

ऐसे कई कर्मचारी संगठन और विभाग है जहां पर लगातार विरोध का बिगुल कर्मचारी फूंक रहे हैं और चुनाव से पहले ही आंदोलन और भी तेज हो सकते हैं. इसमें फिलहाल राज्य कर्मचारी शिक्षक महासंघ ने तो सरकार के खिलाफ सीधे तौर पर मोर्चा खोल दिया है और आने वाले दिनों में हड़ताल तक की चेतावनी दे दी है.

पढ़ें: प्रदेश में जल्द लॉन्च होगी 'मुख्यमंत्री नारी सशक्तिकरण योजना', महिलाएं बनेंगी आत्मनिर्भर

उत्तराखंड में ऐसे कई कर्मचारी हैं जो सरकार की कार्यप्रणाली से नाराज हैं. इसमें ग्रेड पे को लेकर प्रदेश के पुलिसकर्मी जिनकी संख्या करीब 22,000 है. इसी तरह आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों भी हड़ताल की चेतावनी दे चुकी है. उपनल कर्मियों का आंदोलन जगजाहिर है और इनकी भी प्रदेश में अच्छी खासी संख्या है. उधर, सचिवालय संघ से लेकर प्रदेश के विभिन्न विभागों के कर्मचारी भी आंदोलनरत हैं, यानी राज्य में लाखों कर्मचारियों को सरकार से विभिन्न मांगों को लेकर उम्मीदें हैं. आगामी चुनाव को देखते हुए सरकार पर दबाव भी बनाया जा रहा है. ऐसे में अगर मांगें पूरी नहीं होती है तो भाजपा के लिए चुनाव में दिक्कतें पैदा हो सकती है.

देहरादून: उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनाव-2022 में अब कुछ ही महीने बाकी हैं, ऐसे में प्रदेश के हालातों को समझना सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए बेहद जरूरी है. तो वहीं, उत्तराखंड में कर्मचारियों के बढ़ते आक्रोश से भाजपा सरकार चिंता में है, चिंता इसलिए है क्योंकि प्रदेश में चुनाव नजदीक हैं और ऐसी स्थिति में राज्य के कर्मचारी भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं. लिहाजा, एक तरफ कर्मचारियों को खुश करने की कोशिश की जा रही है तो दूसरी तरफ प्रदेश की वित्तीय व्यवस्था सरकार के हाथ भी रोक रही है.

विधानसभा चुनाव 2022 से पहले भाजपा के लिए मुसीबत बन सकते हैं कर्मचारी संगठन.

उत्तराखंड में करीब सवा तीन लाख कर्मचारी और पेंशनरों जो चुनाव के दौरान एक वोटर के रूप में अहम भूमिका निभाते हैं. कर्मचारियों के परिवारों को जोड़ दिया जाए तो तकरीबन नो लाख से ज्यादा वोटर्स सीधे कर्मचारियों से जुड़े हुए हैं और इन्हीं बातों को समझते हुए सरकार कर्मचारियों की मांगों को चुनाव से पहले पूरा करने की कोशिश भी करती है. इस बार फिर कर्मचारी चुनाव से पहले सरकार पर मांगों को पूरा करने का दबाव बना रहे हैं. लेकिन वित्तीय व्यवस्थाओं के चलते सरकार सभी मांगों पर पूरी रूप से विचार नहीं कर पा रही है.

ऐसे कई कर्मचारी संगठन और विभाग है जहां पर लगातार विरोध का बिगुल कर्मचारी फूंक रहे हैं और चुनाव से पहले ही आंदोलन और भी तेज हो सकते हैं. इसमें फिलहाल राज्य कर्मचारी शिक्षक महासंघ ने तो सरकार के खिलाफ सीधे तौर पर मोर्चा खोल दिया है और आने वाले दिनों में हड़ताल तक की चेतावनी दे दी है.

पढ़ें: प्रदेश में जल्द लॉन्च होगी 'मुख्यमंत्री नारी सशक्तिकरण योजना', महिलाएं बनेंगी आत्मनिर्भर

उत्तराखंड में ऐसे कई कर्मचारी हैं जो सरकार की कार्यप्रणाली से नाराज हैं. इसमें ग्रेड पे को लेकर प्रदेश के पुलिसकर्मी जिनकी संख्या करीब 22,000 है. इसी तरह आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों भी हड़ताल की चेतावनी दे चुकी है. उपनल कर्मियों का आंदोलन जगजाहिर है और इनकी भी प्रदेश में अच्छी खासी संख्या है. उधर, सचिवालय संघ से लेकर प्रदेश के विभिन्न विभागों के कर्मचारी भी आंदोलनरत हैं, यानी राज्य में लाखों कर्मचारियों को सरकार से विभिन्न मांगों को लेकर उम्मीदें हैं. आगामी चुनाव को देखते हुए सरकार पर दबाव भी बनाया जा रहा है. ऐसे में अगर मांगें पूरी नहीं होती है तो भाजपा के लिए चुनाव में दिक्कतें पैदा हो सकती है.

Last Updated : Sep 27, 2021, 8:39 AM IST
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