देहरादून: उत्तराखंड में सीबीएसई की मान्यता वाले सरकारी विद्यालयों की परफॉर्मेंस सुधारना अब शिक्षा विभाग के लिए बड़ी चुनौती बन गया है. इसके लिए विभाग की तरफ से नए प्रयोग भी किए जा रहे हैं और पूर्व में की गई गलतियों को भी सुधारने का काम किया जा रहा है. उधर सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई जाने वाली किताबों में भी नया प्रयोग करने की तैयारी है.
उत्तराखंड में सरकारी विद्यालयों की परफॉर्मेंस सुधारना और गुणवत्ता युक्त शिक्षा देना हमेशा एक बड़ी चुनौती रहा है. इस दिशा में उत्तराखंड शिक्षा विभाग ने पिछले सालों में प्रदेश के 186 विद्यालयों को अटल उत्कृष्ट विद्यालय के रूप में विकसित करते हुए इन्हें सीबीएसई की मान्यता के साथ बेहतर शिक्षा के लिए प्रमोट किया था, लेकिन पहली ही बोर्ड परीक्षा में परीक्षार्थियों के परिणामों ने इस पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए थे. इस बार पहली दफा बोर्ड परीक्षा के परिणामों में 50% छात्र फेल हो गए थे, जिससे शिक्षा विभाग की प्लानिंग पर सवाल भी खड़े हुए.
छुट्टियों में अतिरिक्त क्लास: शिक्षा विभाग मौजूदा परिस्थितियों में आगामी परीक्षाओं के लिए बेहतर परिणाम की कोशिशों में जुटा हुआ है. इसके लिए जहां गर्मियों की छुट्टियों में भी छात्रों को अतिरिक्त क्लास देकर आगामी परिणामों को बेहतर करने की कोशिश की जा रही है तो वहीं विद्यालयों में किताबों से लेकर अंग्रेजी माध्यम को बच्चों के लिए सुविधाजनक बनाया जा रहा है.
हिंदी-इंग्लिश में छपेंगी किताबें: उत्तराखंड शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली किताबों को हिंदी के साथ अंग्रेजी में भी छपवाने का फैसला लिया है. यानी अब इन विद्यालयों में छात्र अपनी एक ही किताब का दोनों भाषाओं में अध्ययन कर सकेंगे. इससे न केवल अपने हिसाब से छात्र किसी भी भाषा में पढ़ाई कर पाएंगे बल्कि एक ही पुस्तक में अनुवाद के जरिए अंग्रेजी का भी ज्ञान उन्हें हो सकेगा.
अटल उत्कृष्ट विद्यालयों की खराब परफॉर्मेंस पर भी महानिदेशक शिक्षा ने बताया कि विभाग बोर्ड परीक्षाओं में खराब परफॉर्मेंस को लेकर चिंतित है. इसके लिए कुछ नए कदम उठाए जा रहे हैं जो गलतियां पिछली बोर्ड परीक्षाओं के दौरान की गई थी उनको सुधारा जाएगा.