देहरादून: देशभर में कोरोना महामारी काफी तेजी से फैल रही है. इसका असर अब उन युवाओं पर भी पड़ रहा है, जो पिछले काफी समय से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों में जी-जान से जुटे हुए है. युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं के होने का इंतजार बेसब्री से था, जिसकी तैयारी युवा पिछले एक साल से कर रहे थे. लेकिन वर्तमान समय को देखते हुए विभागीय बोर्ड, प्रतियोगी परीक्षाओं को कराने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं है. महामारी को देखते हुए सभी प्रतियोगी परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं. इसे लेकर छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है और वो मानसिक रोगों का शिकार होते जा रहे हैं. देखिए ETV-भारत की खास रिपोर्ट...
अधर में लटका छात्रों का भविष्य...
देश सहित प्रदेशभर में कोरोना महामारी काफी तेजी से फैल रही है, इसके कारण इस साल की शिक्षा व्यवस्था पटरी से उतर चुकी है. वहीं, सभी प्रतियोगी परीक्षाएं टाल दी गई हैं. इसका असर पिछले सालभर से कड़ी मेहनत कर रहे प्रतियोगी छात्रों पर पड़ा है. छात्र भविष्य को लेकर खासा चिंतित हैं. ऐसे में वो डिप्रेशन सहित अन्य मानसिक रोगों का शिकार हो रहे हैं. अगर कहा जाए कि छात्रों भविष्य इस साल बुरी तरह से प्रभावित हुआ है तो ये कदापि गलत न होगा.
छात्रों ने बयां किए दर्द...
ईटीवी भारत के साथ बात करते हुए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र सुरेश सिंह बताते हैं, उनकों उम्मीद थी, कि इस साल सहायक अध्यापक और फॉरेस्ट दरोगा के पदों के लिए भर्ती निकलेंगी. इसलिए इसकी तैयारी वो फिछले एक साल से कर रहे थे. लेकिन विश्व व्यापी महामारी कोरोना की वजह से सभी प्रतियोगी परीक्षाएं टाल दी गई हैं. ऐसे में उनकी साल भर की मेहनत पर पानी फिर गया है. वहीं, छात्र रोहित कमल के मुताबिक प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी सभी छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है. छात्रों की लगन और मेहनत पर इस महामारी ने पानी फेर दिया है. ऐसे में छात्र तनाव ग्रस्त हो रहे हैं.
ये भी पढ़ें: शनिवार और रविवार को उत्तराखंड में रहेगा पूर्ण लॉकडाउन
क्या कहतें हैं जानकार...
वरिष्ठ स्तंभकार डॉ. सुशील कुमार सिंह का कहना है, कि इस साल की शिक्षा व्यवस्था कोरोना महामारी की भेंट चढ़ गई है. प्रदेश के किसी भी स्कूल में पढ़ाई अभी तक नहीं शुरू हो पाई है. शिक्षा विभाग में इस साल की पढ़ाई शुरू कराने को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. वहीं, कोरोना की वजह से सभी प्रतियोगी परीक्षाओं पर पूर्ण विराम लग गया है. प्रतियोगी छात्र भविष्य को लेकर मानसिक रोगों से जूझ रहे हैं. ऐसे छात्रों के लिए वरिष्ठ स्तंभकार ने कहा, कि छात्रों को इस महामारी के खतरे के बारे में सोचना होगा. अपने उज्ज्वल भविष्य की उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए.
ये भी पढ़ें: REALITY CHECK: कोरोना को लेकर कितने जागरूक दूनवासी, क्या सरकार के इंतजाम हैं काफी?
मनोवैज्ञानिक ने दिए छात्रों को सुझाव...
राजधानी के जाने-माने मनोवैज्ञानिक डॉ. मुकुल शर्मा ने छात्रों की मानसिकता को लेकर चिंता जाहिर की है. डॉ. शर्मा का कहना है, कि प्रतियोगी परीक्षाएं स्थगित होने से छात्रों की मेहनत पर पानी फिर गया है. ऐसे में उनका मानसिक रोगों से ग्रस्त होना लाजमी है. लेकिन छात्रों को ये नहीं सोचना चाहिए कि इस साल परीक्षाएं न होने से उनका भविष्य चौपट हो गया है. उन्हें ये सोचना चाहिए, कि महामारी एक काली रात की तरह है. इसके बाद एक उजला सवेरा उनका इंतजार कर रहा है. इसलिए छात्रों को अपनी तैयारी बदस्तूर जारी रखना चाहिए. इस स्थिति छात्रों को धैर्य रखने की जरूरत है. ऐसे में छात्रों को अपने अंदर योगा और मेडिटेशन की मदद से सकारात्मक ऊर्जा का संचसर करना चाहिए.