ETV Bharat / state

विडंबनाः केदारनाथ आपदा के 7 साल बाद भी स्थापित नहीं हो पाया डॉप्लर रडार - Doppler Weather Radar will accurately predict weather in Uttarakhand

केदारनाथ आपदा के 7 साल बाद भी प्रदेश में डॉप्लर रडार पूरी तरह से स्थापित नहीं किया जा सका है. मुक्तेश्वर के अलावा टिहरी जनपद के सरकुंडा और पौड़ी जनपद के लैंसडाउन क्षेत्र में डॉप्लर रडार स्थापित किया जाना है. अभी तक सरकुंडा और लैंसडाउन में डॉप्लर रडार स्थापित करने का कार्य शुरू भी नहीं हो पाया है.

doppler-radar-not-installed-even-after-7-years-of-kedarnath-disaster
7 साल बाद भी स्थापित नहीं हो पाया डॉप्लर रडार
author img

By

Published : Jul 8, 2020, 3:58 PM IST

देहरादून: साल 2013 में केदार घाटी में आई भयानक आपदा के बाद से ही मौसम की सटीक भविष्यवाणी के लिए प्रदेश के अलग अलग स्थानों पर डॉप्लर रडार लगाए जाने की बात की जा रही है. मगर आपको यह जानकर हैरानी होगी कि आपदा के 7 साल बीत जाने के बाद भी अब तक प्रदेश में एक भी जगह डॉप्लर रडार पूरी तरह स्थापित नहीं हो सका है.


गौरतलब है कि डॉप्लर वेदर रडार मौसम की गतिविधियों को रिकॉर्ड करता है. उत्तराखंड एक पहाड़ी प्रदेश है, यहां लगातार प्राकृतिक आपदाओं और मौसमी बदलाव का खतरा बना रहता है. ऐसे में यह रडार सूक्ष्म तरंगों को भापकर मौसमी बदलाव की सटीक भविष्यवाणी कर पाने में सक्षम होता है.

7 साल बाद भी स्थापित नहीं हो पाया डॉप्लर रडार

पढ़ें- संकरे रास्ते पर जोखिम में जान, वीडियो हुआ वायरल

बता दें कि डॉप्लर रडार के जरिए 400 किलोमीटर तक की मौसमी गतिविधियों को जाना जा सकता है. वहीं ये रडार करीब 4 घंटे पहले ही मौसम की सटीक जानकारी देने में सक्षम है. ऐसे में डॉप्लर रडार के लग जाने से उत्तराखंड में मौसम की सही जानकारी के लिए दिल्ली या पटियाला पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा.

पढ़ें- जानिए देश और प्रदेश में आज क्या कुछ रहेगा खास

प्रदेश में स्थापित होने जा रहे डॉप्लर रडार के संबंध में मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के निदेशक विक्रम सिंह ने बताया कि प्रदेश के तीन स्थानों पर डॉप्लर रडार स्थापित किए जाने हैं. जिसमें से मुक्तेश्वर में फिलहाल डॉप्लर रडार स्थापित किया जा चुका है. मगर लॉकडाउन के चलते इस टेस्टिंग का काम रुका हुआ है. उन्होंने कहा उम्मीद है कि अगले दो से 3 सप्ताह में टेस्टिंग का कार्य पूरा करने के बाद डॉप्लर रडार काम करने लगेगा.

पढ़ें- युवती की मौत मामले में विधायक के धरने के बाद स्वास्थ्य सचिव ने दिए जांच के आदेश

गौरतलब है कि मुक्तेश्वर के अलावा टिहरी जनपद के सरकुंडा और पौड़ी जनपद के लैंसडाउन क्षेत्र में डॉप्लर रडार स्थापित किया जाना है. अभी तक सरकुंडा और लैंसडाउन में डॉप्लर रडार स्थापित करने का कार्य शुरू भी नहीं हो पाया है.

पढ़ें- 'डिजिटल' जिंदगीः लॉकडाउन ने लोगों को दिया जीने का नया मंत्र, देखिए ये खास रिपोर्ट


बहरहाल, हर साल प्राकृतिक आपदाओं के कारण प्रदेश में कई लोग बेमौत मारे जाते हैं. ऐसे में यदि प्रदेश में डॉप्लर रडार समय रहते स्थापित कर दिए जाएं तो शायद इस तरह की प्राकृतिक आपदाओं से निपटा जा सकता है. मगर दुर्भाग्य तो देखिए की केदरनाथ आपदा के सात साल बीत जाने के बाद भी डॉप्लर रडार के संबंध में आश्वासन के अलावा कुछ और नहीं हो पाया है.

देहरादून: साल 2013 में केदार घाटी में आई भयानक आपदा के बाद से ही मौसम की सटीक भविष्यवाणी के लिए प्रदेश के अलग अलग स्थानों पर डॉप्लर रडार लगाए जाने की बात की जा रही है. मगर आपको यह जानकर हैरानी होगी कि आपदा के 7 साल बीत जाने के बाद भी अब तक प्रदेश में एक भी जगह डॉप्लर रडार पूरी तरह स्थापित नहीं हो सका है.


गौरतलब है कि डॉप्लर वेदर रडार मौसम की गतिविधियों को रिकॉर्ड करता है. उत्तराखंड एक पहाड़ी प्रदेश है, यहां लगातार प्राकृतिक आपदाओं और मौसमी बदलाव का खतरा बना रहता है. ऐसे में यह रडार सूक्ष्म तरंगों को भापकर मौसमी बदलाव की सटीक भविष्यवाणी कर पाने में सक्षम होता है.

7 साल बाद भी स्थापित नहीं हो पाया डॉप्लर रडार

पढ़ें- संकरे रास्ते पर जोखिम में जान, वीडियो हुआ वायरल

बता दें कि डॉप्लर रडार के जरिए 400 किलोमीटर तक की मौसमी गतिविधियों को जाना जा सकता है. वहीं ये रडार करीब 4 घंटे पहले ही मौसम की सटीक जानकारी देने में सक्षम है. ऐसे में डॉप्लर रडार के लग जाने से उत्तराखंड में मौसम की सही जानकारी के लिए दिल्ली या पटियाला पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा.

पढ़ें- जानिए देश और प्रदेश में आज क्या कुछ रहेगा खास

प्रदेश में स्थापित होने जा रहे डॉप्लर रडार के संबंध में मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के निदेशक विक्रम सिंह ने बताया कि प्रदेश के तीन स्थानों पर डॉप्लर रडार स्थापित किए जाने हैं. जिसमें से मुक्तेश्वर में फिलहाल डॉप्लर रडार स्थापित किया जा चुका है. मगर लॉकडाउन के चलते इस टेस्टिंग का काम रुका हुआ है. उन्होंने कहा उम्मीद है कि अगले दो से 3 सप्ताह में टेस्टिंग का कार्य पूरा करने के बाद डॉप्लर रडार काम करने लगेगा.

पढ़ें- युवती की मौत मामले में विधायक के धरने के बाद स्वास्थ्य सचिव ने दिए जांच के आदेश

गौरतलब है कि मुक्तेश्वर के अलावा टिहरी जनपद के सरकुंडा और पौड़ी जनपद के लैंसडाउन क्षेत्र में डॉप्लर रडार स्थापित किया जाना है. अभी तक सरकुंडा और लैंसडाउन में डॉप्लर रडार स्थापित करने का कार्य शुरू भी नहीं हो पाया है.

पढ़ें- 'डिजिटल' जिंदगीः लॉकडाउन ने लोगों को दिया जीने का नया मंत्र, देखिए ये खास रिपोर्ट


बहरहाल, हर साल प्राकृतिक आपदाओं के कारण प्रदेश में कई लोग बेमौत मारे जाते हैं. ऐसे में यदि प्रदेश में डॉप्लर रडार समय रहते स्थापित कर दिए जाएं तो शायद इस तरह की प्राकृतिक आपदाओं से निपटा जा सकता है. मगर दुर्भाग्य तो देखिए की केदरनाथ आपदा के सात साल बीत जाने के बाद भी डॉप्लर रडार के संबंध में आश्वासन के अलावा कुछ और नहीं हो पाया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.