देहरादून: भविष्य में सूबे के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल दून मेडिकर कॉलेज में गरीबों मरीजों के तीमारदारों के रुकने की व्यवस्था की जाएगी. इसके लिए एक भवन का निर्माण कराया जाएगा. इसके लिए बाकायदा अस्पताल प्रबंधन ने पहल करते हुए हंस फाउंडेशन से निवेदन किया है.
दून मेडिकल में न सिर्फ पहाड़ी जिलों से लोग इलाज करने के लिए आते है, बल्कि यूपी और हिमाचल के लगे के मरीज भी यहां काफी संख्या में आते है. कई बार बड़े ऑपरेशन और अन्य वजहों को मरीजों को कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है. ऐसे में मरीजों के तीमारदारों को रुकने के लिए कोई सही जगह नहीं मिल पाती है और उन्हें सड़कों या ऐसी ही किसी अन्य जगहों पर रात गुजरानी पड़ती है.
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गरीबों मरीजों के तीमारदारों की इस समस्या को ध्यान में रखते हुए दून अस्पताल प्रबंधन ने हॉस्पिटल परिसर में एक भवन बनाने पर विचार किया है. इस भवन में न्यूनतम शुल्क लेकर तीमारदारों को रहने व लॉकर में सामान रखने के साथ ही शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी. अब तक यह सुविधा दिल्ली जैसे राज्यों के अस्पतालों में थी जो कि अब उत्तराखंड के सबसे बड़े में भी होगी.
अस्पताल प्रबंधन ने इस बारे में हंस फाउंडेशन से वार्ता भी की है. यदि भवन निर्माण की योजना परवान चढ़ती है तो सुदूरवर्ती क्षेत्रों से आए मरीजों के परिजनों को भारी राहत मिलेगी.
इस संबंध में दून मेडिकल कॉलेज के डिप्टी मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ एनएस खत्री ने बताया कि दून अस्पताल उत्तराखंड के सबसे बड़े अस्पतालों में शामिल है. यहां पर्वतीय जिलों के दूरदराज के क्षेत्रों से मरीज इलाज करवाने आते हैं. लेकिन मरीजों के परिजनों को यहां रहने की काफी दिक्कत होती है. इसी को देखते हुए अस्पताल प्रबंधन ने ये पहल की है. इसके लिए हंस फाउंडेशन से बात चल रही है. भवन का संचालन स्वयं हंस फाउंडेशन करेगा.
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बता दें कि दून अस्पताल में हर महीने करीब 50 से 60 सीरियस ऑपरेशन होते हैं, जबकि 100 ऑपरेशन जनरल सर्जरी,100 ऑपरेशन ऑर्थोपेडिक, 50 ऑपरेशन ईएनटी और 200 ऑपरेशन आंख संबंधी होते हैं. वहीं प्रत्येक दिन करीबन 100 मरीज अस्पताल में रोज भर्ती किए जाते हैं.