देहरादून: उत्तराखंड में सीधी भर्ती के लिए नए रोस्टर पर लड़ाई कर्मचारियों से आगे बढ़कर राजनेताओं तक पहुंच गई है. बीजेपी के विधायकों ने भी नए रोस्टर पर सरकार के निर्णय का विरोध शुरू कर दिया है. खजानदास ने नए रोस्टर के फैसले को सरकार की बड़ी चूक बताया है.
प्रमोशन में आरक्षण और सीधी भर्ती में नए रोस्टर पर कर्मचारी वर्ग आमने-सामने आ गये हैं. इस मामले को लेकर सरकार में भी दो फाड़ होता दिखाई दे रहा है. कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य की नाराजगी जगजाहिर है. वहीं अब भाजपा विधायक खजानदास ने भी एससी/एसटी कर्मचारी संगठन के पक्ष में खुलकर बयानबाजी शुरू कर दी है. बीजेपी विधायक और संगठन में महामंत्री खजानदास ने नई रोस्टर व्यवस्था को गलत ठहराते हुए इसे सरकार की चूक बताया है.
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खजानदास ने कहा है कि हिमाचल की रोस्टर व्यवस्था का सरकार को अनुसरण नहीं करना चाहिए था बल्कि उत्तर प्रदेश की रोस्टर व्यवस्था के आधार पर उत्तराखंड में भी आरक्षित वर्ग को लाभ दिया जाना चाहिए.
राज्य में नई रोस्टर व्यवस्था बनने के बाद अब आरक्षित वर्ग से जुड़े विधायकों ने इस पर खुलकर बोलना शुरू कर दिया है. हालांकि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा नई रोस्टर व्यवस्था पर सब कमेटी गठित किए जाने की बात कही गई है.
गौर हो कि शासन ने सरकारी सेवाओं में सीधी भर्ती के लिए आरक्षण का रोस्टर जारी किया है. इसमें सामान्य वर्ग को पहले क्रम पर रखते हुए आरक्षण प्रतिशत के हिसाब से क्रमवार रोस्टर चार्ट जारी किया गया है. इसमें-
- अनुसूचित जाति को आरक्षण के लिहाज से छठवें, अन्य पिछड़ा वर्ग को आठवें, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10वें और अनुसूचित जनजाति को 25वें नंबर पर रखा गया है.
- प्रदेश में सरकारी सेवाओं में सीधी भर्ती के लिए अनुसूचित जाति के अभ्यर्थियों के लिए 19 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग को 14 प्रतिशत, आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को दस प्रतिशत तथा अनुसूचित जनजाति के लिए चार प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है.
- यानी 100 पदों में 19 पद अनुसूचित जाति जनजाति, 14 पद अन्य पिछड़ा वर्ग, 10 पद आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और अनुसूचित जनजाति के चार पद हैं.
- इसी तरह नए रोस्टर में आरक्षण के लिहाज से की गई पदों की गणना में क्षैतिज आरक्षण की गणना की जाएगी.
- शासन ने पूर्व सैनिकों को सरकारी सेवाओं में लेने के लिए क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था की है, लेकिन ये भी साफ किया है कि सरकारी सेवा में एक बार पूर्व सैनिक के रूप में लाभ लेने के बाद दोबारा ये लाभ नहीं मिलेगा.
बता दें कि प्रदेश में पिछले वर्ष एक आदेश के तहत रोस्टर क्रमांक में बदलाव करते हुए अनुसूचित जाति को पहले क्रमांक पर रखा गया था. अगस्त में हुई कैबिनेट बैठक में इसमें बदलाव करते हुए पहले से हटाकर छठवें स्थान पर रखा गया. इसी आधार पर अब सीधी भर्ती में आरक्षण का रोस्टर तैयार किया गया है.
दरअसल, प्रमोशन में आरक्षण को लेकर इस समय कर्मचारी संगठन आंदोलनरत हैं. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी कई याचिकाएं पेडिंग हैं, जिन पर फैसला आना है. प्रदेश सरकार भी इसी मसले पर हाई कोर्ट में एक पुनर्विचार याचिका दायर कर चुकी है, जिस पर अभी फैसला बाकी है. तब तक प्रमोशन के लिहाज से खाली होने वाले पदों पर भी नई भर्तियां नहीं हो पाएंगी.