देहरादून: नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश पिछले चार दशक से उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड की राजनीति में बड़े नेताओं में शुमार रहीं. इंदिरा हृदयेश को पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी का उत्तराधिकारी माना जाता था. उम्मीद की जा रही थी कि साल 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में इंदिरा हृदयेश को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा. अब अटकलें लगाई जा रही थीं कि 2022 में अगर कांग्रेस सत्ता पर काबिज होती है, तो इंदिरा हृदयेश को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है.
सीएम बनने की इच्छा रही अधूरी
इंदिरा हृदयेश का सपना था कि वह एक बार मुख्यमंत्री जरूर बनें. हालांकि, इसके लिए इंदिरा हृदयेश ने कई बार हाथ पैर मारे. उनको सीएम के सत्ता का सुख उन्हें नही नसीब हो पाया है. कांग्रेस पार्टी के लिए पूरा राजनीतिक जीवन समर्पित करने वाली डॉ. हृदयेश के मुख्यमंत्री न बन पाने का मलाल हमेशा से उनकी बातों और चेहरे पर साफ झलकता रहा.
2012 में रहीं सीएम पद की प्रबल दावेदार
साल 2012 में जब नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के मुख्यमंत्री बनने का प्रबल दावेदार माना जा रहा था, तो उस दौरान कांग्रेस आलाकमान ने प्रदेश के समीकरण को देखते हुए विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी.
पढ़ें- 'आयरन लेडी' का सफरनामा, जो कह दिया वो पत्थर की लकीर!
हालांकि, इसके बाद चर्चाएं फिर चलनी शुरू हो गई थी कि कांग्रेस के इस कार्यकाल के दौरान नेतृत्व परिवर्तन किया जाएगा और इंदिरा हृदयेश को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा. लेकिन ऐसा ना हो सका और हरीश रावत ने बाजी मार ली.
आगामी 2022 में मुख्यमंत्री बनने का था मौका
अटकलें यह भी लगाई जा रही थीं कि आगामी विधानसभा चुनाव 2022 में अगर कांग्रेस बहुमत हासिल कर सत्ता पर काबिज होती है, तो इंदिरा हृदयेश को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है. क्योंकि वर्तमान समय में इंदिरा हृदयेश मुख्यमंत्री पद के लिए प्रबल दावेदार थीं. आलाकमान ने हरीश रावत को सीएम चेहरा घोषित करने से पहले ही मना कर दिया था. ऐसे में अब इंदिरा हृदयेश की बारी थी, लेकिन उससे पहले ही इंदिरा हृदयेश ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.